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रानी लक्ष्मीबाई अस्पताल में नहीं चल रहीं तीन ओपीडी, इलाज के लिए भटक रहे मरीज

रानी लक्ष्मीबाई अस्पताल में मरीज इलाज के लिए पहुंचता है तो पता चलता है कि यहां पर कई जरूरत की जांचें नहीं हो रही हैं. अस्पताल में ईएनटी के एक भी डॉक्टर नहीं है. साथ ही कार्डियो के स्पेशलिस्ट डॉक्टर भी अस्पताल में तैनात नहीं है. पेश है एक रिपोर्ट...

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Published : Dec 5, 2022, 3:33 PM IST

लखनऊ : प्रदेश सरकार लगातार स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारने में कार्य कर रही है प्रदेश के हर जिले में मेडिकल कॉलेज तो खोले जा रहे हैं लेकिन प्रदेश के जिला अस्पतालों का हाल बेहाल है. बात करें अगर जिला अस्पतालों की तो यहां पर परमानेंट डॉक्टरों से अधिक संविदा के डॉक्टर पद पर तैनात हैं. इन्हीं के भरोसे अस्पताल चल रहा है न ही इन्हें प्रमोट किया जा रहा है और न ही सीनियर डॉक्टरों को नियुक्त किया जा रहा है. सितंबर माह में हुए तबादले के बाद से कई अस्पतालों की ओपीडी में ताले लगे हैं. सिविल अस्पताल के दंत रोग विभाग में जूनियर डॉक्टर जो कि संविदा पर तैनात हैं उनके भरोसे ओपीडी चलती है. फिलहाल यहां से परमानेंट डॉ. शिल्पा सिंह का तबादला हो चुका है



रानी लक्ष्मीबाई अस्पताल (Rani Laxmibai Hospital) में मरीज इलाज के लिए पहुंचता है तो पता चलता है कि यहां पर कई जरूरत की जांचें नहीं हो रही हैं. अस्पताल में ईएनटी के एक भी डॉक्टर नहीं है. साथ ही कार्डियो के स्पेशलिस्ट डॉक्टर भी अस्पताल में तैनात नहीं है. यहां पर एक भी फिजीशियन भी नहीं है और ना ही आर्थो के डॉक्टर हैं. जिसके चलते तमाम मरीज बिना इलाज के लौट जाते हैं. राजाजीपुरम क्षेत्र के इस अस्पताल में चार ओपीडी चल ही नहीं रही है. जिसमें सबसे अधिक भीड़ होती है.

जानकारी देतीं संवाददाता अपर्णा शुक्ला.

फिजीशियन की ओपीडी ऐसी मानी जाती है जहां पर सबसे ज्यादा भीड़ होती है. जब डेंगू तेजी से फैला था, उस समय फिजीशियन की ओपीडी में 400 से अधिक मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे थे. ऐसे में आरएलबी अस्पताल में एक भी फिजीशियन नहीं होने के चलते सिविल अस्पताल और बलरामपुर अस्पताल में काफी भीड़ उमड़ी थी. रानी लक्ष्मीबाई अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचे चारबाग निवासी धर्मेंद्र कुमार पांडे (Dharmendra Kumar Pandey) दंत विभाग में दिखाने के लिए सोमवार को पहुंचे. उन्होंने कहा कि यहां पर उन्होंने जूनियर डॉक्टर को दिखाया है. यहां पर सीनियर डॉक्टर नहीं है. सीनियर को दिखाने की बात अलग हो जाती है. उन्हें काफी एक्सपीरियंस रहता है. जूनियर को दिखाने में डर रहता है लेकिन उन्होंने देखा ठीक से है. वहीं हमारे घर के नजदीक आरएलबी अस्पताल पड़ता है लेकिन वहां पर फिजीशियन, ईएनटी और हड्डियों के डॉक्टर नहीं बैठते हैं. कई बार वहां जाते हैं फिर उसके बाद मजबूरी में वापस लौटना पड़ता है.


इलाज कराने पहुंचे रोहित कुमार श्रीवास्तव (Rohit Kumar Srivastava) ने बताया कि फिलहाल उन्होंने अभी दंत विभाग में बेटे को दिखाया है. यहां के डॉक्टर अच्छे हैं. बाकी सारी चीजें ठीक हैं, पहले से अभी में काफी ज्यादा बदलाव है. पिछले महीने में पेट में काफी ज्यादा दर्द था इस वजह से फिजीशियन से मिले उन्होंने अल्ट्रासाउंड के लिए लिखा फिर उसके बाद 1 महीने से अधिक की तारीख अल्ट्रासाउंड के लिए मिली यह काफी ज्यादा खराब है. अगर किसी मरीज को आज दर्द हो रहा है अल्ट्रासाउंड एक-दो महीने बाद के लिख रहे हैं तो यह बातें खराब लगती हैं. रानी लक्ष्मीबाई अस्पताल की सीएमएस डॉ. संगीता टंडन (Dr. Sangeeta Tandon, CMS of Rani Laxmibai Hospital) ने कहा कि अस्पताल में फिजीशियन, ईएनटी और हड्डियों के डॉक्टर नहीं होने के कारण ओपीडी बंद चल रही है. जबसे डॉक्टरों का तबादला हुआ है उसके बाद से अभी तक कोई भी डॉक्टर नियुक्त नहीं हुए हैं. हालांकि कोशिश पूरी की जा रही है कि जल्द से जल्द यह सभी ओपीडी चलें ताकि मरीजों को समस्या न हो.

यह भी पढ़ें : लोक बंधु अस्पताल की नर्स ने की जान देने की कोशिश, अधिकारियों पर पति ने लगाया उत्पीड़न का आरोप

लखनऊ : प्रदेश सरकार लगातार स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारने में कार्य कर रही है प्रदेश के हर जिले में मेडिकल कॉलेज तो खोले जा रहे हैं लेकिन प्रदेश के जिला अस्पतालों का हाल बेहाल है. बात करें अगर जिला अस्पतालों की तो यहां पर परमानेंट डॉक्टरों से अधिक संविदा के डॉक्टर पद पर तैनात हैं. इन्हीं के भरोसे अस्पताल चल रहा है न ही इन्हें प्रमोट किया जा रहा है और न ही सीनियर डॉक्टरों को नियुक्त किया जा रहा है. सितंबर माह में हुए तबादले के बाद से कई अस्पतालों की ओपीडी में ताले लगे हैं. सिविल अस्पताल के दंत रोग विभाग में जूनियर डॉक्टर जो कि संविदा पर तैनात हैं उनके भरोसे ओपीडी चलती है. फिलहाल यहां से परमानेंट डॉ. शिल्पा सिंह का तबादला हो चुका है



रानी लक्ष्मीबाई अस्पताल (Rani Laxmibai Hospital) में मरीज इलाज के लिए पहुंचता है तो पता चलता है कि यहां पर कई जरूरत की जांचें नहीं हो रही हैं. अस्पताल में ईएनटी के एक भी डॉक्टर नहीं है. साथ ही कार्डियो के स्पेशलिस्ट डॉक्टर भी अस्पताल में तैनात नहीं है. यहां पर एक भी फिजीशियन भी नहीं है और ना ही आर्थो के डॉक्टर हैं. जिसके चलते तमाम मरीज बिना इलाज के लौट जाते हैं. राजाजीपुरम क्षेत्र के इस अस्पताल में चार ओपीडी चल ही नहीं रही है. जिसमें सबसे अधिक भीड़ होती है.

जानकारी देतीं संवाददाता अपर्णा शुक्ला.

फिजीशियन की ओपीडी ऐसी मानी जाती है जहां पर सबसे ज्यादा भीड़ होती है. जब डेंगू तेजी से फैला था, उस समय फिजीशियन की ओपीडी में 400 से अधिक मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे थे. ऐसे में आरएलबी अस्पताल में एक भी फिजीशियन नहीं होने के चलते सिविल अस्पताल और बलरामपुर अस्पताल में काफी भीड़ उमड़ी थी. रानी लक्ष्मीबाई अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचे चारबाग निवासी धर्मेंद्र कुमार पांडे (Dharmendra Kumar Pandey) दंत विभाग में दिखाने के लिए सोमवार को पहुंचे. उन्होंने कहा कि यहां पर उन्होंने जूनियर डॉक्टर को दिखाया है. यहां पर सीनियर डॉक्टर नहीं है. सीनियर को दिखाने की बात अलग हो जाती है. उन्हें काफी एक्सपीरियंस रहता है. जूनियर को दिखाने में डर रहता है लेकिन उन्होंने देखा ठीक से है. वहीं हमारे घर के नजदीक आरएलबी अस्पताल पड़ता है लेकिन वहां पर फिजीशियन, ईएनटी और हड्डियों के डॉक्टर नहीं बैठते हैं. कई बार वहां जाते हैं फिर उसके बाद मजबूरी में वापस लौटना पड़ता है.


इलाज कराने पहुंचे रोहित कुमार श्रीवास्तव (Rohit Kumar Srivastava) ने बताया कि फिलहाल उन्होंने अभी दंत विभाग में बेटे को दिखाया है. यहां के डॉक्टर अच्छे हैं. बाकी सारी चीजें ठीक हैं, पहले से अभी में काफी ज्यादा बदलाव है. पिछले महीने में पेट में काफी ज्यादा दर्द था इस वजह से फिजीशियन से मिले उन्होंने अल्ट्रासाउंड के लिए लिखा फिर उसके बाद 1 महीने से अधिक की तारीख अल्ट्रासाउंड के लिए मिली यह काफी ज्यादा खराब है. अगर किसी मरीज को आज दर्द हो रहा है अल्ट्रासाउंड एक-दो महीने बाद के लिख रहे हैं तो यह बातें खराब लगती हैं. रानी लक्ष्मीबाई अस्पताल की सीएमएस डॉ. संगीता टंडन (Dr. Sangeeta Tandon, CMS of Rani Laxmibai Hospital) ने कहा कि अस्पताल में फिजीशियन, ईएनटी और हड्डियों के डॉक्टर नहीं होने के कारण ओपीडी बंद चल रही है. जबसे डॉक्टरों का तबादला हुआ है उसके बाद से अभी तक कोई भी डॉक्टर नियुक्त नहीं हुए हैं. हालांकि कोशिश पूरी की जा रही है कि जल्द से जल्द यह सभी ओपीडी चलें ताकि मरीजों को समस्या न हो.

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