लखनऊ: उत्तर प्रदेश में 3 और वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगाए जाएंगे. नगर विकास विभाग ने कानपुर के बाद आगरा, गाजियाबाद और मुजफ्फरनगर में भी वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगाने की मंजूरी दे दी है. योजना के तहत इन सभी प्लांट में कूड़े से बिजली बनाई जाएगी. बिजली उत्पादन के दौरान इससे तेल और गैस उत्पादन की भी योजना है. तेल का उपयोग इंडस्ट्रियल कार्य में होगा. जबकि गैस से यह पावर प्लांट चलेंगे.
पिछले दिनों अमृत महोत्सव के दौरान प्रधानमंत्री के आगमन पर नगर विकास विभाग और सोलर एनर्जी कारपोरेशन ऑफ इंडिया के बीच करार हुआ था. जिसे मूर्त रूप देने की कवायद शुरू हो गई है. प्लांट की स्थापना पीपीपी मॉडल पर की जाएगी. नगर निगम और नगर पालिका इसके लिए कचरा उपलब्ध कराएंगे. इसमें सरकार को कोई लागत नहीं लगानी पड़ेगी.
करार के मुताबिक इसके लिए जमीन अवश्य 1 रुपये प्रति वर्ष प्रति वर्ग मीटर की दर से नगर विकास विभाग उपलब्ध कराएगा. नगर विकास विभाग के अधिकारी बताते हैं कि पहला प्लांट कानपुर में स्थापित करने की योजना है. इसके बाद आगरा, गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर में प्लांट स्थापित किए जाएंगे. अगले चरण में प्रदेश के सभी नगर निकायों में वेस्ट टू एनर्जी प्लांट स्थापित करने की योजना है. इस करार के बाद प्रदेश में कचरा निस्तारण की समस्या का समाधान हो सकेगा. योजना पर कार्य शुरू हो गया है. इसके लिए कानपुर में जमीन भी उपलब्ध करा दी गई है.
नगर विकास विभाग में कचरा निस्तारण और पर्यावरण संरक्षण का काम देख रहे सर्वदमन सिंह बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में कचरे से बिजली बनाने का काम शुरू होते ही सस्ती बिजली मिल सकेगी. इस पर आने वाली लागत बहुत कम है. कोयला और तेल का झंझट भी नहीं है केवल पहली बार प्लांट चलाने के लिए तेल की जरूरत पड़ेगी. इसके बाद इससे उत्पन्न होने वाले तेल और गैस से पी प्लांट चल सकेगा. नगर विकास मंत्री आशुतोष टंडन ने सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन के साथ जो करार किया था. उसे मूर्त रोने रूप देने का कार्य शुरू हो गया है. प्रमुख सचिव और अन्य वरिष्ठ अधिकारी इसके लिए निरंतर प्रयत्नशील हैं जल्द ही उत्पादन शुरू हो सकेगा.
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