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देश में उत्पादन और उत्पादकता दोनों को बढ़ाने की है आवश्यकता : कृषि मंत्री

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Published : Aug 17, 2023, 6:01 PM IST

राजधानी में गुरुवार को एनबीआरआई में तीन समझौते पर हस्ताक्षर हुए. इस दौरान प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि 'देश में आज उत्पादन एवं उत्पादकता दोनों को ही बढ़ाये जाने की आवश्यकता है.'

कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही व अन्य
कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही व अन्य

लखनऊ : देश में आज उत्पादन एवं उत्पादकता दोनों को ही बढ़ाये जाने की आवश्यकता है. उत्तर प्रदेश की कृषि एवं वानिकी पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को देखते हुए भविष्य के लिए योजनाबद्ध तरीके से समाधान तलाश किये जाने की दिशा में प्रयास करें. प्रदेश में आर्सेनिक के कृषि पर दुष्प्रभावों के समाधान की दिशा में हल ढूंढने के लिए भी कहा. आने वाले वर्षों में उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में धार्मिक पर्यटन के लिए प्रतिवर्ष 5-6 करोड़ पर्यटकों के आने की संभावनाएं हैं. यह बातें गुरुवार को प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहीं. वहीं आज एनबीआरआई में तीन समझौते पर हस्ताक्षर हुए हैं.

कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही व अन्य
कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही व अन्य

दरअसल, सीएसआईआर-एनबीआरआई, लखनऊ में 14 से 19 अगस्त के मध्य आयोजित हो रहे एक सप्ताह-एक प्रयोगशाला समारोह के तहत गुरुवार को ‘जलवायु परिवर्तन, सूक्ष्म जीव एवं पर्यावरणीय प्रौद्योगिकियों’ पर अनुसंधान एवं विकास प्रदर्शनी का उद्घाटन किया गया. इस मौके पर उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे, जबकि उत्तर प्रदेश सरकार के पर्यावरण एवं वन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. अरुण कुमार सक्सेना विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे.

कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही व अन्य
कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही व अन्य

मुख्य अतिथि सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि 'ऐसे में इन क्षेत्रों में फूलों की मांग बढ़ने के आसार हैं, जिनसे एक ओर जहां पुष्प कृषि में संभावनाएं दिख रही हैं, वहीं दूसरी ओर इन फूलों के इधर-उधर डाले जाने से इनके निस्तारण की समस्या भी सामने आती दिख रही है. उन्होंने संस्थान के वैज्ञानिकों से इन दोनों दिशाओं में कार्य किये जाने का आवाहन किया. शाही ने कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह कार्यक्रम विभिन्न हितधारकों, उद्योग, नवप्रवर्तक और स्टार्ट-अप के बीच संस्थान द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों के बारे में अधिक जानने के लिए संसाधनपूर्ण संपर्क स्थापित करेगा.'

कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही
कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही



कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ. अरुण कुमार सक्सेना ने किसान एवं विज्ञान के बीच दूरी कम किये जाने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि 'वैज्ञानिक शोध का किसानों तक पहुंचना बहुत आवश्यक है. उन्होंने जलवायु परिवर्तन की चर्चा करते हुए कहा कि आज किसानों को जलवायु परिवर्तन की समस्या के विषय में जागरुक करने के साथ-साथ यह जानकारी भी देने की आवश्यकता है कि इन बदलती हुई परिस्थितियों के अनुसार, खेती में किस तरह के बदलाव करने की जरूरत है. उन्होंने पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सबसे आसान तरीके के रूप में वृक्षारोपण का जिक्र करते हुए 'पेड़ लगाओ, पेड़ बचाओ' की बात की. उन्होंने मियावाकी वन रोपण के क्षेत्र में संस्थान की पहल का स्वागत किया एवं उद्योगों में मियावाकी वन लगाए जाने की आवश्यकता पर बल दिया.

कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही व अन्य
कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही व अन्य

तीन समझौते पर हुए हस्ताक्षर : इस मौके पर संस्थान द्वारा तीन समझौतों पर हस्ताक्षर किये गये, जिनमें पहला कृषि विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार के साथ संस्थान द्वारा विकसित माइक्रोबियल प्रौद्योगिकियों के उपयोग पर किया गया. दूसरा मैसर्स एग्रीफोर्ट प्रा. लिमिटेड के साथ देश के किसानों तक संस्थान की प्रौद्योगिकियों को पहुंचाने के लिए एवं तीसरा उत्तर प्रदेश वन विभाग के साथ साझा कार्य करने के लिए है. इसके अलावा राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण परिषद (एनसीवीईटी) द्वारा अनुमोदित और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रायोजित 'उद्योगों के लिए ग्रीनबेल्ट विकास' विषयक हरित कौशल विकास प्रमाणपत्र कार्यक्रम का संस्थान द्वारा विकसित पाठ्यक्रम मैनुअल वर्शन 3.0 को भी जारी किया गया.

संस्थान के निदेशक डॉ. एके शासनी ने संस्थान द्वारा कृषि एवं पर्यावरण के क्षेत्रों में कार्यान्वित की जा रही अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों पर प्रकाश डाला. उन्होंने देश में समाज, किसानों और उद्योगों के लिए सीएसआईआर-एनबीआरआई के योगदान का एक संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया. एवं साथ ही कहा कि देश एवं उत्तर प्रदेश के विकास के लिए कार्य करने की दिशा में संस्थान प्रयासरत है. संस्थान के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ. पंकज कुमार श्रीवास्तव ने 14 से 19 अगस्त 2023 तक सप्ताह निर्धारित 'वन वीक-वन लैब' कार्यक्रम के बारे में बताया.

संस्थान के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ. पंकज कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि 'अभियान में वैज्ञानिक-छात्रों के बीच संवाद कार्यक्रम, अनुसंधान एवं विकास प्रदर्शनी, पोस्टर प्रस्तुतियां और उद्योग बैठकें सम्मिलित हैं. उन्होंने 'भारत के पर्यावरण और कृषि क्षेत्रों में वर्तमान चुनौतियों के संदर्भ में तकनीकी नेतृत्व' विषय पर पैनल परिचर्चा के बारे में जानकारी दी, जिसमें प्रख्यात विशेषज्ञ पैनलिस्ट डॉ. जितेंद्र कुमार, एडीजी-एनएएसएफ, डॉ. आलोक श्रीवास्तव, निदेशक, आईसीएआर-एनबीएआईएम, डॉ. विवेक सक्सेना, डीडीजी, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और प्रोफेसर एसके बारिक, पूर्व निदेशक, सीएसआईआर-एनबीआरआई ने भाग लिया. इस परिचर्चा में उत्तर प्रदेश के बीस विभिन्न डिग्री कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के 75 शिक्षाविदों और संकाय सदस्यों ने भाग लिया.

इससे पहले मंत्रियों ने सीएसआईआर-एनबीआरआई के प्रदर्शनी मंडपों का उद्घाटन किया. जिसमें संस्थान के माइक्रोबियल और पर्यावरण प्रभागों के अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रमों और वैज्ञानिक परिणामों का प्रदर्शन किया गया. जिसमें एनबीआरआई-ईआईएसीपी, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार का एक 'पौधे और प्रदूषण' की थीम पर आधारित कार्यक्रम केंद्र भी शामिल है. प्रदेश के विभिन्न सरकारी विभागों, सीपीसीबी, एनटीपीसी, उद्योगों और जैवउर्वरक फर्मों के 15 अधिकारियों और व्यक्तियों ने हितधारक-संपर्क (स्टेकहोल्डर कनेक्ट मीट) कार्यक्रम में भाग लिया. अधिकारियों ने पर्यावरण और कृषि क्षेत्रों में सीएसआईआर-एनबीआरआई द्वारा निष्पादित किए जाने वाले आवश्यकता-आधारित अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रमों पर विचार-विमर्श किया.

यह भी पढ़ें : शुद्ध वातावरण के लिए लगाने होंगे अधिक से अधिक पेड़ पौधे, मुख्य सचिव ने किया पुस्तक का विमोचन

लखनऊ : देश में आज उत्पादन एवं उत्पादकता दोनों को ही बढ़ाये जाने की आवश्यकता है. उत्तर प्रदेश की कृषि एवं वानिकी पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को देखते हुए भविष्य के लिए योजनाबद्ध तरीके से समाधान तलाश किये जाने की दिशा में प्रयास करें. प्रदेश में आर्सेनिक के कृषि पर दुष्प्रभावों के समाधान की दिशा में हल ढूंढने के लिए भी कहा. आने वाले वर्षों में उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में धार्मिक पर्यटन के लिए प्रतिवर्ष 5-6 करोड़ पर्यटकों के आने की संभावनाएं हैं. यह बातें गुरुवार को प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहीं. वहीं आज एनबीआरआई में तीन समझौते पर हस्ताक्षर हुए हैं.

कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही व अन्य
कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही व अन्य

दरअसल, सीएसआईआर-एनबीआरआई, लखनऊ में 14 से 19 अगस्त के मध्य आयोजित हो रहे एक सप्ताह-एक प्रयोगशाला समारोह के तहत गुरुवार को ‘जलवायु परिवर्तन, सूक्ष्म जीव एवं पर्यावरणीय प्रौद्योगिकियों’ पर अनुसंधान एवं विकास प्रदर्शनी का उद्घाटन किया गया. इस मौके पर उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे, जबकि उत्तर प्रदेश सरकार के पर्यावरण एवं वन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. अरुण कुमार सक्सेना विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे.

कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही व अन्य
कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही व अन्य

मुख्य अतिथि सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि 'ऐसे में इन क्षेत्रों में फूलों की मांग बढ़ने के आसार हैं, जिनसे एक ओर जहां पुष्प कृषि में संभावनाएं दिख रही हैं, वहीं दूसरी ओर इन फूलों के इधर-उधर डाले जाने से इनके निस्तारण की समस्या भी सामने आती दिख रही है. उन्होंने संस्थान के वैज्ञानिकों से इन दोनों दिशाओं में कार्य किये जाने का आवाहन किया. शाही ने कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह कार्यक्रम विभिन्न हितधारकों, उद्योग, नवप्रवर्तक और स्टार्ट-अप के बीच संस्थान द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों के बारे में अधिक जानने के लिए संसाधनपूर्ण संपर्क स्थापित करेगा.'

कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही
कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही



कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ. अरुण कुमार सक्सेना ने किसान एवं विज्ञान के बीच दूरी कम किये जाने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि 'वैज्ञानिक शोध का किसानों तक पहुंचना बहुत आवश्यक है. उन्होंने जलवायु परिवर्तन की चर्चा करते हुए कहा कि आज किसानों को जलवायु परिवर्तन की समस्या के विषय में जागरुक करने के साथ-साथ यह जानकारी भी देने की आवश्यकता है कि इन बदलती हुई परिस्थितियों के अनुसार, खेती में किस तरह के बदलाव करने की जरूरत है. उन्होंने पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सबसे आसान तरीके के रूप में वृक्षारोपण का जिक्र करते हुए 'पेड़ लगाओ, पेड़ बचाओ' की बात की. उन्होंने मियावाकी वन रोपण के क्षेत्र में संस्थान की पहल का स्वागत किया एवं उद्योगों में मियावाकी वन लगाए जाने की आवश्यकता पर बल दिया.

कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही व अन्य
कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही व अन्य

तीन समझौते पर हुए हस्ताक्षर : इस मौके पर संस्थान द्वारा तीन समझौतों पर हस्ताक्षर किये गये, जिनमें पहला कृषि विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार के साथ संस्थान द्वारा विकसित माइक्रोबियल प्रौद्योगिकियों के उपयोग पर किया गया. दूसरा मैसर्स एग्रीफोर्ट प्रा. लिमिटेड के साथ देश के किसानों तक संस्थान की प्रौद्योगिकियों को पहुंचाने के लिए एवं तीसरा उत्तर प्रदेश वन विभाग के साथ साझा कार्य करने के लिए है. इसके अलावा राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण परिषद (एनसीवीईटी) द्वारा अनुमोदित और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रायोजित 'उद्योगों के लिए ग्रीनबेल्ट विकास' विषयक हरित कौशल विकास प्रमाणपत्र कार्यक्रम का संस्थान द्वारा विकसित पाठ्यक्रम मैनुअल वर्शन 3.0 को भी जारी किया गया.

संस्थान के निदेशक डॉ. एके शासनी ने संस्थान द्वारा कृषि एवं पर्यावरण के क्षेत्रों में कार्यान्वित की जा रही अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों पर प्रकाश डाला. उन्होंने देश में समाज, किसानों और उद्योगों के लिए सीएसआईआर-एनबीआरआई के योगदान का एक संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया. एवं साथ ही कहा कि देश एवं उत्तर प्रदेश के विकास के लिए कार्य करने की दिशा में संस्थान प्रयासरत है. संस्थान के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ. पंकज कुमार श्रीवास्तव ने 14 से 19 अगस्त 2023 तक सप्ताह निर्धारित 'वन वीक-वन लैब' कार्यक्रम के बारे में बताया.

संस्थान के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ. पंकज कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि 'अभियान में वैज्ञानिक-छात्रों के बीच संवाद कार्यक्रम, अनुसंधान एवं विकास प्रदर्शनी, पोस्टर प्रस्तुतियां और उद्योग बैठकें सम्मिलित हैं. उन्होंने 'भारत के पर्यावरण और कृषि क्षेत्रों में वर्तमान चुनौतियों के संदर्भ में तकनीकी नेतृत्व' विषय पर पैनल परिचर्चा के बारे में जानकारी दी, जिसमें प्रख्यात विशेषज्ञ पैनलिस्ट डॉ. जितेंद्र कुमार, एडीजी-एनएएसएफ, डॉ. आलोक श्रीवास्तव, निदेशक, आईसीएआर-एनबीएआईएम, डॉ. विवेक सक्सेना, डीडीजी, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और प्रोफेसर एसके बारिक, पूर्व निदेशक, सीएसआईआर-एनबीआरआई ने भाग लिया. इस परिचर्चा में उत्तर प्रदेश के बीस विभिन्न डिग्री कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के 75 शिक्षाविदों और संकाय सदस्यों ने भाग लिया.

इससे पहले मंत्रियों ने सीएसआईआर-एनबीआरआई के प्रदर्शनी मंडपों का उद्घाटन किया. जिसमें संस्थान के माइक्रोबियल और पर्यावरण प्रभागों के अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रमों और वैज्ञानिक परिणामों का प्रदर्शन किया गया. जिसमें एनबीआरआई-ईआईएसीपी, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार का एक 'पौधे और प्रदूषण' की थीम पर आधारित कार्यक्रम केंद्र भी शामिल है. प्रदेश के विभिन्न सरकारी विभागों, सीपीसीबी, एनटीपीसी, उद्योगों और जैवउर्वरक फर्मों के 15 अधिकारियों और व्यक्तियों ने हितधारक-संपर्क (स्टेकहोल्डर कनेक्ट मीट) कार्यक्रम में भाग लिया. अधिकारियों ने पर्यावरण और कृषि क्षेत्रों में सीएसआईआर-एनबीआरआई द्वारा निष्पादित किए जाने वाले आवश्यकता-आधारित अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रमों पर विचार-विमर्श किया.

यह भी पढ़ें : शुद्ध वातावरण के लिए लगाने होंगे अधिक से अधिक पेड़ पौधे, मुख्य सचिव ने किया पुस्तक का विमोचन
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