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देश में सबसे ज्यादा साइबर क्राइम यूपी में, साइबर कैडर की जरूरत

देशभर में सबसे ज्यादा साइबर अपराध यूपी में होते हैं इसके बावजूद इनसे निपटने के लिए प्रशिक्षित पुलिसकर्मी है नहीं. ऐसे में अब साइबर कैडर की जरूरत महसूस होने लगी है.

देश में सबसे ज्यादा साइबर क्राइम यूपी में, साइबर कैडर की जरूरत
देश में सबसे ज्यादा साइबर क्राइम यूपी में, साइबर कैडर की जरूरत
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Published : Apr 10, 2022, 12:34 PM IST

लखनऊ: भारत में साइबर क्रिमनल्स गांवों-शहरों तक अपना जाल बिछा चुके है. हर रोज सैकड़ों की संख्या में लोग साइबर क्राइम के शिकार हो रहे हैं. कमोबेश यही हालात उत्तर प्रदेश में भी है. साल 2020 में यूपी में 11097 साइबर क्राइम के मामले दर्ज हुए थे जो किसी अन्य राज्य की तुलना में सबसे ज्यादा थे. ये वो मामले थे जो दर्ज हुए थे इससे भी कहीं अधिक ऐसे मामले होते है जो शर्म के चलते लोग दर्ज नही कराते है. ऐसे में यूपी सरकार ने इनसे निपटने के लिए राज्य में 18 नए साइबर थानों की स्थापना की थी. लेकिन सबसे बड़ी समस्या पुलिस विभाग के सामने इन थानों में ट्रेंड पुलिस कर्मियों की तैनाती को लेकर है. ऐसे में अब यूपी में साइबर कैडर की जरूरत महसूस होने लगी है.

साइबर सुरक्षा देश के सामने मौजूदा समय में सबसे बड़ी चुनौती है. बीते साल नवंबर 2021 को लखनऊ में आयोजित हुई डीजी कॉन्फ्रेंस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के सभी डीजीपी के सामने साइबर क्राइम को लेकर अपनी चिंता जाहिर की थी. इसी के चलते लगभग हर प्रदेश के साथ ही यूपी में भी ADG रैंक के अधिकारी के तत्वावधान में एक साइबर यूनिट बनाई गई है. हालांकि उसके बावजूद रोजाना सैकड़ों लोग साइबर क्राइम का शिकार हो रहे है. साल 2020 के एनसीआरबी रिपोर्ट के अनुसार देश में सबसे ज्यादा साइबर क्राइम के केस उत्तर प्रदेश में ही आये थे. यूपी में 2020 में 11097 साल 2019 में 11416 मामले दर्ज हुए थे. यही नही साल 2021 में भी साइबर मामलों में लगातार बढ़ोतरी हुई है.

यूपी में साइबर क्रिमनल्स से निपटने के लिए योगी सरकार ने राज्य के 18 मंडलों में साइबर थाने खोले थे लेकिन पुलिस मुख्यालय के सामने सबसे बड़ी चुनौती उन थानों में साइबर मामलों में प्रशिक्षित पुलिस कर्मियों की तैनाती को लेकर है. इन 18 साइबर थानों में अभी तक पूर्ण रूप से पुलिस कर्मियों व अधिकारियों की तैनाती नही हो सकी है. अपर पुलिस महानिदेशक साइबर क्राइम सुभाष चंद्रा ने बताया कि पुलिस कर्मियों को साइबर सुरक्षा को लेकर ट्रेनिंग दी जा रही है. यही नही हर थानों में साइबर हेल्प डेस्क भी बनाई गई है. हालांकि ये सही है कि साइबर से संबंधित प्रशिक्षित पुलिस कर्मियों की कमी है. ऐसे में जिस साइबर सुरक्षा को लेकर पीएम मोदी से लेकर राज्य की पुलिस परेशान है तो आखिरकार साइबर थानों के लिए विशेषज्ञ पुलिस कर्मियों की अलग से भर्ती क्यों नही की रही है.

साइबर पुलिस कैडर है समय की मांग
उत्तर प्रदेश में साइबर क्राइम को रोकने व अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए 18 साइबर थानों का संचालन शुरू करने के बाद अब हर जिले में साइबर थाने खोले जाने पर चर्चा हो रही है. हालांकि यूपी पुलिस के पास इन साइबर थानों में तैनात करने के लिए पर्याप्त साइबर स्पेशलिस्ट पुलिस कर्मियों व अधिकारियों की कमी है. यही कमी पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश को महसूस हुई तो वहां के पुलिस महकमे ने साइबर पुलिस के लिए विशेष तौर पर साइबर कैडर की अनुशंसा की थी जिसके लिए उन्होंने 57 पदों पर भर्ती करने की तैयारी की थी. साइबर पुलिस के लिए वहां 55 एसओ स्तर के व 61 पद सिपाही के भर्ती होने थे जिसमें 50 प्रतिशत पद साइबर कैडर से भरने की अनुशंसा की गई थी. एसओ स्तर के लिए शैक्षणिक योग्यता कंप्यूटर साइंस व आईटी इंजीनियरिंग या बीसीए रखी गयी थी. वहीं सिपाही के लिए 12वीं व आईटी डिप्लोमा अनिवार्य योग्यता थी. वहीं पंजाब पुलिस ने भी इन्ही मानकों में बीते साल भर्ती निकाली थी. अब जब साइबर सुरक्षा को लेकर पड़ोसी राज्य गंभीर है व साइबर थानों के लिए प्रशिक्षित पुलिस कर्मियों की भर्ती कर रहे है तो यूपी में क्यों सम्भव नही हो पा रहा है.

साइबर से जुड़े एक वरिष्ठ यूपी पुलिस अधिकारी बताते है कि साइबर क्रिमनल्स को पकड़ने व उन्हें दबोचने के लिए उन्ही के तरीकों का इस्तेमाल कर जाल बिछाने के लिए हम लोग जब तक एक पुलिसकर्मी को ट्रेनिंग देते है तब तक उसका दूसरे थाने में ट्रांसफर हो जाता है और एक बार फिर वो कानून व्यवस्था संभालने व चोर लुटेरों को पकड़ने चला जाता है. ऐसे में लंबे समय तक साइबर यूनिट के लिए दरोगा या सिपाही मिल पाना बड़ा मुश्किल होता है. यही नही साइबर थानों में काम करने में भी बहुत कम संख्या में पुलिस कर्मी अपनी रुचि दिखाते है. ऐसे में हम कैसे उन क्रिमनल्स को पकड़ सकेंगे जो हमारी सोच से दस कदम आगे चलते है.


मध्य प्रदेश पुलिस के साइबर सेल से जुड़े अधिकारी बताते है कि साइबर कैडर से भर्ती होने से एक लाभ यह होता है कि फोर्स के पास ऐसे पुलिस कर्मी मौजूद रहते है जो साइबर क्रिमनल्स को उन्ही के दांव से पकड़ने में माहिर होते है, दूसरा इन पुलिसकर्मियों का तबादला भी साइबर थानों के ही मध्य होता रहता है. इससे हमे बार बार नए पुलिस कर्मियों को साइबर क्राइम के लिए विशेषतौर पर ट्रेनिंग नही देनी पड़ती है.

इन तरीकों से होता है साइबर क्राइम
साइबर सेल के आंकड़ों के मुताबिक 50 प्रतिशत फिशिंग, साइबर जबरन वसूली, साइबर स्टॉकिंग, डेटा ब्लीचिंग, पहचान की चोरी, उत्पीड़न, हनी ट्रैप और बाल यौन शोषण सामग्री जैसे साइबर अपराध के मामले सामने आते है. जिसमें गूगल, फेसबुक, इंस्ट्राग्राम , ओलेक्स व ट्विटर के यूजर शामिल होते हैं. 40 प्रतिशत लोग साइबर अपराध के शिकार होते है. लगभग 55 प्रतिशत पीड़ितों को स्कैम टेक्स्ट या कॉल से ठगने की कोशिश की जाती है.

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लखनऊ: भारत में साइबर क्रिमनल्स गांवों-शहरों तक अपना जाल बिछा चुके है. हर रोज सैकड़ों की संख्या में लोग साइबर क्राइम के शिकार हो रहे हैं. कमोबेश यही हालात उत्तर प्रदेश में भी है. साल 2020 में यूपी में 11097 साइबर क्राइम के मामले दर्ज हुए थे जो किसी अन्य राज्य की तुलना में सबसे ज्यादा थे. ये वो मामले थे जो दर्ज हुए थे इससे भी कहीं अधिक ऐसे मामले होते है जो शर्म के चलते लोग दर्ज नही कराते है. ऐसे में यूपी सरकार ने इनसे निपटने के लिए राज्य में 18 नए साइबर थानों की स्थापना की थी. लेकिन सबसे बड़ी समस्या पुलिस विभाग के सामने इन थानों में ट्रेंड पुलिस कर्मियों की तैनाती को लेकर है. ऐसे में अब यूपी में साइबर कैडर की जरूरत महसूस होने लगी है.

साइबर सुरक्षा देश के सामने मौजूदा समय में सबसे बड़ी चुनौती है. बीते साल नवंबर 2021 को लखनऊ में आयोजित हुई डीजी कॉन्फ्रेंस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के सभी डीजीपी के सामने साइबर क्राइम को लेकर अपनी चिंता जाहिर की थी. इसी के चलते लगभग हर प्रदेश के साथ ही यूपी में भी ADG रैंक के अधिकारी के तत्वावधान में एक साइबर यूनिट बनाई गई है. हालांकि उसके बावजूद रोजाना सैकड़ों लोग साइबर क्राइम का शिकार हो रहे है. साल 2020 के एनसीआरबी रिपोर्ट के अनुसार देश में सबसे ज्यादा साइबर क्राइम के केस उत्तर प्रदेश में ही आये थे. यूपी में 2020 में 11097 साल 2019 में 11416 मामले दर्ज हुए थे. यही नही साल 2021 में भी साइबर मामलों में लगातार बढ़ोतरी हुई है.

यूपी में साइबर क्रिमनल्स से निपटने के लिए योगी सरकार ने राज्य के 18 मंडलों में साइबर थाने खोले थे लेकिन पुलिस मुख्यालय के सामने सबसे बड़ी चुनौती उन थानों में साइबर मामलों में प्रशिक्षित पुलिस कर्मियों की तैनाती को लेकर है. इन 18 साइबर थानों में अभी तक पूर्ण रूप से पुलिस कर्मियों व अधिकारियों की तैनाती नही हो सकी है. अपर पुलिस महानिदेशक साइबर क्राइम सुभाष चंद्रा ने बताया कि पुलिस कर्मियों को साइबर सुरक्षा को लेकर ट्रेनिंग दी जा रही है. यही नही हर थानों में साइबर हेल्प डेस्क भी बनाई गई है. हालांकि ये सही है कि साइबर से संबंधित प्रशिक्षित पुलिस कर्मियों की कमी है. ऐसे में जिस साइबर सुरक्षा को लेकर पीएम मोदी से लेकर राज्य की पुलिस परेशान है तो आखिरकार साइबर थानों के लिए विशेषज्ञ पुलिस कर्मियों की अलग से भर्ती क्यों नही की रही है.

साइबर पुलिस कैडर है समय की मांग
उत्तर प्रदेश में साइबर क्राइम को रोकने व अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए 18 साइबर थानों का संचालन शुरू करने के बाद अब हर जिले में साइबर थाने खोले जाने पर चर्चा हो रही है. हालांकि यूपी पुलिस के पास इन साइबर थानों में तैनात करने के लिए पर्याप्त साइबर स्पेशलिस्ट पुलिस कर्मियों व अधिकारियों की कमी है. यही कमी पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश को महसूस हुई तो वहां के पुलिस महकमे ने साइबर पुलिस के लिए विशेष तौर पर साइबर कैडर की अनुशंसा की थी जिसके लिए उन्होंने 57 पदों पर भर्ती करने की तैयारी की थी. साइबर पुलिस के लिए वहां 55 एसओ स्तर के व 61 पद सिपाही के भर्ती होने थे जिसमें 50 प्रतिशत पद साइबर कैडर से भरने की अनुशंसा की गई थी. एसओ स्तर के लिए शैक्षणिक योग्यता कंप्यूटर साइंस व आईटी इंजीनियरिंग या बीसीए रखी गयी थी. वहीं सिपाही के लिए 12वीं व आईटी डिप्लोमा अनिवार्य योग्यता थी. वहीं पंजाब पुलिस ने भी इन्ही मानकों में बीते साल भर्ती निकाली थी. अब जब साइबर सुरक्षा को लेकर पड़ोसी राज्य गंभीर है व साइबर थानों के लिए प्रशिक्षित पुलिस कर्मियों की भर्ती कर रहे है तो यूपी में क्यों सम्भव नही हो पा रहा है.

साइबर से जुड़े एक वरिष्ठ यूपी पुलिस अधिकारी बताते है कि साइबर क्रिमनल्स को पकड़ने व उन्हें दबोचने के लिए उन्ही के तरीकों का इस्तेमाल कर जाल बिछाने के लिए हम लोग जब तक एक पुलिसकर्मी को ट्रेनिंग देते है तब तक उसका दूसरे थाने में ट्रांसफर हो जाता है और एक बार फिर वो कानून व्यवस्था संभालने व चोर लुटेरों को पकड़ने चला जाता है. ऐसे में लंबे समय तक साइबर यूनिट के लिए दरोगा या सिपाही मिल पाना बड़ा मुश्किल होता है. यही नही साइबर थानों में काम करने में भी बहुत कम संख्या में पुलिस कर्मी अपनी रुचि दिखाते है. ऐसे में हम कैसे उन क्रिमनल्स को पकड़ सकेंगे जो हमारी सोच से दस कदम आगे चलते है.


मध्य प्रदेश पुलिस के साइबर सेल से जुड़े अधिकारी बताते है कि साइबर कैडर से भर्ती होने से एक लाभ यह होता है कि फोर्स के पास ऐसे पुलिस कर्मी मौजूद रहते है जो साइबर क्रिमनल्स को उन्ही के दांव से पकड़ने में माहिर होते है, दूसरा इन पुलिसकर्मियों का तबादला भी साइबर थानों के ही मध्य होता रहता है. इससे हमे बार बार नए पुलिस कर्मियों को साइबर क्राइम के लिए विशेषतौर पर ट्रेनिंग नही देनी पड़ती है.

इन तरीकों से होता है साइबर क्राइम
साइबर सेल के आंकड़ों के मुताबिक 50 प्रतिशत फिशिंग, साइबर जबरन वसूली, साइबर स्टॉकिंग, डेटा ब्लीचिंग, पहचान की चोरी, उत्पीड़न, हनी ट्रैप और बाल यौन शोषण सामग्री जैसे साइबर अपराध के मामले सामने आते है. जिसमें गूगल, फेसबुक, इंस्ट्राग्राम , ओलेक्स व ट्विटर के यूजर शामिल होते हैं. 40 प्रतिशत लोग साइबर अपराध के शिकार होते है. लगभग 55 प्रतिशत पीड़ितों को स्कैम टेक्स्ट या कॉल से ठगने की कोशिश की जाती है.

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