लखनऊ : नगर निगम में शामिल ग्राम पंचायतें बदहाली के आंसू बहा रहीं है. सरकार की तरफ से इन ग्राम पंचायतों के लिए बजट जारी न होने के कारण यहां विकास कार्य नहीं हुआ है. आलम ये है कि गांव में जगह-जगह नालियों का पानी सड़कों पर बह रहा है. गांव की गली-कूंचे में लगे कूड़े के ढेर को कोई उठाने वाला नहीं है. बारिश का पानी सड़कों पर भर जाने से ग्रामीणों को आने-जाने में परेशानी होती है. साथ ही इधर-उधर घास उग आने के कारण मच्छर पनप रहे हैं. ऐसे में डेंगू, वायरल, आदि खतरनाक बीमारियां फैलने का खतरा बना रहता है.
ग्रामीणों का कहना है कि कई बार संंबंधित अधिकारियो/कर्मचारियों से इस संबंध में शिकायत की गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. ग्रामीणों ने बताया कि जब वह अपनी समस्या बताने खंड विकास कार्यालय गए, तो वहां से जवाब मिला कि उनका गांव नगर निगम में शामिल हो गया है. वहीं नगर नगम कार्यालय जाने पर अधिकारियों/कर्मचारियों ने बजट ना होने का बहाना बनाकर बात टाल दी.
दरअसल, नगर निगम की सीमा बढ़ाने के लिए दिसंबर 2019 को लखनऊ के 88 ग्राम पंचायतों को नगर निगम में शामिल किया गया था. नगर निगम में शामिल किए गए इन गांव की कुल आबादी 2,69,000 आंकी गई थी. इनमे सीतापुर रोड के 15 गांव, कुर्सी रोड के 10 गांव, फैजाबाद रोड के 20 गांव, रायबरेली रोड के 7 गांव, सुल्तानपुर रोड के 14 गांव, कानपुर रोड के 8 गांव, मोहान रोड के 2 गांव और हरदोई रोड के 6 गांव शामिल किए गए थे.
इसी क्रम में सरोजनी नगर तहसील क्षेत्र के कलिया खेड़ा, अलीनगर सुनहरा, सदरौना, सरोसा भरोसा, नरोना, सलेमपुर, लाल नगर, रसूलपुर इटोरिया, अशरफ नगर, बिजनौर, नटकुर, मीरानपुर पिनवट, अमौसी व अनौरा को नगर निगम में शामिल किया गया है.
नगर निगम में शामिल नटकुर गांव में विकास की जमीनी हकीकत जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने गांव का जायजा लिया. इस दौरान नटकुर गांव के हालात बेहद खराब मिले. इस बारे में जब ग्रामीणों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि नगर निगम में शामिल होने के बाद गांव में कोई विकास कार्य नहीं हुआ है. गांव में जगह-जगह गंदगी फैली हुई है, नगर निगम का कोई अधिकारी/कर्मचारी इधर नहीं आता है.
कई बार शिकायत करने के बाद वर्ष 2019 से अब तक सिर्फ 2 बार ही नगर निगम के कर्मचारी गांव में आए हैं. गांव में फैली गंदगी के कारण खतरनाक बीमारियां फैलने का खतरा बना हुआ है. इस संबंध में जब सरोजिनी नगर खंड विकास अधिकारी निशांत राय से बात की गई तो उन्होंने बताया, कि सरोजनी नगर के 22 गांव दिसंबर 2019 से नगर निगम में चले गए हैं. नगर निगम में जाने के बावजूद लगभग एक साल तक हमने वहां पर साफ सफाई की व्यवस्था करवाई है. अब इन गांव के लिए हमारे पास बजट नहीं है. इस विषय में जब नगर निगम के अधिकारियों से बातचीत तो उन्होंने अपनी जिम्मेदारी एक-दूसरे पर डालकर पल्ला झाड़ लिया.
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