लखनऊः एटीएस ने रविवार को काकोरी थाना क्षेत्र के दुबग्गा इलाके में सर्च अभियान में दो आतंकियों को पकड़ा है. इसी इलाके में 3 साल पहले आतंकी सैफुल्ला को पकड़ने के लिए ATS ने 11 घंटे तक सर्च अभियान चलाया था. इस दौरान दोनों तरफ से जमकर फायरिंग हुई थी, जिसमें सैफुल्ला को मार गिराया गया था. सैफुल्ला को आईएसआईएस खुरासान मॉड्यूल का मेंबर बताया गया था. यह इलाका अब काफी संवेदनशील बनता जा रहा है. ऐसे में अब पुलिस की नजर इस इलाके में निवास करने वाले लोगों पर भी रहेगी. उत्तर प्रदेश के आसपास के इलाकों में पुलिस ने हाई अलर्ट जारी कर दिया है.
रविवार को ATS की गिरफ्त में आए दोनों के संबंध अलकायदा से बताए जा रहे हैं. दोनों आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने की फिराक में थे. इससे पहले ही एटीएस ने सर्च अभियान चलाकर उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया. इन आतंकियों के पास से प्रेशर कुकर बम के साथ अर्ध निर्मित टाइम बम बनाने के अलावा विस्फोटक सामग्री भी बरामद हुई है. बड़ी संख्या में विदेशी असलहे भी बरामद हुए हैं. एटीएस के कमांडोज और पूरी टीम इन आतंकियों से पूछताछ कर रही है. आसपास के इलाकों को खाली कराया गया है. काकोरी के एक अन्य इलाके में भी छापेमारी कर ATS ने पूछताछ शुरू की है. सूत्र बताते हैं कि भारतीय जनता पार्टी के एक सांसद के साथ ही कई अन्य बड़े नेताओं को मारने की साजिश इन आतंकवादियों ने रची थी.
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आईजी एटीएस जीके गोस्वामी की अगुवाई में ऑपरेशन को अंजाम दिया गया है. करीब एक हफ्ते से आतंकियों को एटीएस टीम ट्रेस कर रही थी. पकड़े गए आतंकियों के कनेक्शन अलकायदा से बताए जा रहे हैं. एटीएस के अधिकारियों के मुताबिक यह दोनों आतंकवादी ट्रेनिंग लिए हुए हैं. इनके पास से बम बनाने की 6 से 7 किलो सामग्री बरामद की गई है. एटीएस के सूत्रों की मानें तो पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बॉर्डर से इन आतंकियों के हैंडलिंग हो रही थी. उमर अल-मंदी इन आतंकियों का कंट्रोलर था.
जानकारी के मुताबिक जम्मू-कश्मीर में भी कई जगह पुलिस ने छापेमारी कर संदिग्धों को धर दबोचा है. बताया जा रहा है कि आतंकवादी गतिविधि को अंजाम देने से पहले यह आतंकी यहां पर जो विस्फोटक तैयार कर रहे थे, उसमें छोटे ब्लास्ट की वजह से एटीएस को सुराग मिला था. बताया ये भी जा रहा है कि आतंकियों ने गिरफ्तारी से पहले यहां पर कुछ जलाया था. बताया जा रहा है कि जिस मकान में यह आतंकवादी छुपे हैं, वह शाहिद का मकान है. 15 साल से ज्यादा समय से वहां पर रह रहा है. एक अन्य संदिग्ध का नाम वसीम बताया जा रहा है. इस मकान में मोटर गैराज है, लेकिन इसमें काम कुछ और ही चल रहा है. आसपास के लोगों का कहना है कि शाहिद 8 साल पहले सऊदी अरब से लौटा है.
जिस इलाके में एटीएस ने दो आतंकवादियों को गिरफ्तार किया है. दरअसल, उस इलाके में काफी संख्या में लोग रहते हैं. लखनऊ से बाहर इलाका होने के नाते इस तरफ पुलिस की नजर कम ही रहती है और इसी का फायदा संदिग्ध उठाते हैं. किराएदारी अधिनियम का भी पालन नहीं हो रहा है. घरों में रहने वाले किरायेदारों को लेकर पुलिस अभियान नहीं चलाती, यही वजह है कि संदिग्ध इस निष्क्रियता का फायदा उठाते हैं.
अलकायदा का उत्तर प्रदेश कनेक्शन
अलकायदा ने साल 2014 इंडिया सबकॉन्टिनेंट का एलान किया था. खूफिया एजंसियों ने खुलासा किया था कि अलकायदा इंडिया सबकॉन्टिनेंट का चीफ उत्तर प्रदेश के संभल का रहने वाला है, जिसका नाम मौलाना असीम उमर है. बहुत पहले असीम उमर पाकिस्तान शिफ्ट हो गया था, जो बाद में अलकायदा से जुड़ गया था. कुछ साल पहले मौलाना असीम उमर को अफगानिस्तान में अफगान एजेंसियों ने मार गिराया था. लेकिन अलकायदा के स्लीपर सेल्स को लगातार यूपी से पकड़ा जाता रहा है. इन्हें पकड़ने में दिल्ली पुलिस समेत तमाम एजेंसियां शामिल रहती हैं. 8 मार्च 2017 को करीब 11 घंटे चले ऑपरेशन में संदिग्ध आतंकी सैफुल्लाह को मारा गया था. उसके पास से कुछ हथियार और दस्तावेज बरामद होने की बात कही थी. बाद में इस एनकाउंटर के मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए गए थे.