लखनऊ: विशेष कोर्ट (पॉक्सो एक्ट) ने एक नाबालिग बच्चे से अप्राकृतिक दुराचार के मामले में किशोर नामक अभियुक्त को लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम की धारा 3/4 के तहत दोषसिद्ध किया है. सजा के बिंदु पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अभियुक्त को 10 साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई है. कोर्ट ने अभियुक्त पर 20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है.
यह निर्णय विशेष जज राम विलास प्रसाद ने पारित किया. सरकारी वकील शशि पाठक ने बताया कि 29 सितंबर 2018 को इस मामले की एफआईआर पीड़ित की मां ने थाना बीकेटी में दर्ज कराई थी. एफआईआर में कहा गया कि घटना की रात में लगभग नौ बजे खेलते समय उनके सात वर्षीय बेटे को अभियुक्त किशोर टॉफी देने के बहाने बाग में ले गया था, जहां अभियुक्त ने बच्चे के साथ कुकर्म किया.
कहा गया कि अभियुक्त के इस कृत्य के बाद बच्चे की हालत काफी बिगड़ गई थी और उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था. वहीं बचाव पक्ष ने दलील दी कि अभियुक्त को झूठा फंसाया गया है. कहा गया कि दुश्मनी के चलते वादिनी ने अभियुक्त के खिलाफ झूठी एफआईआर दर्ज कराई है. हालांकि कोर्ट ने बचाव पक्ष की सभी दलीलों को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपों को संदेह से परे साबित करने में सफल रहा है.