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माटी मेले में हुई 50 लाख रुपये से अधिक की बिक्री

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आयोजित माटी मेले का समापन हो गया. मेले का आयोजन यूपी माटी मेला बोर्ड की ओर से किया गया था. बोर्ड के अध्यक्ष ने बताया कि मेले के दौरान 50 लाख रुपये से अधिक मिट्टी के सामानों की बिक्री हुई है.

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Published : Nov 14, 2020, 2:38 AM IST

माटी मेले के समापन पर शिल्पकारों को दिया गया प्रमाण पत्र.
माटी मेले के समापन पर शिल्पकारों को दिया गया प्रमाण पत्र.

लखनऊ: राजधानी लखनऊ के खाद्य भवन में उत्तर प्रदेश माटी मेला बोर्ड की ओर से 4 से 13 नवंबर तक माटी मेले का आयोजन किया गया था. जिसका शुक्रवार को समापन हुआ. मेले में मिट्टी से बने सामानों के 40 से अधिक स्टाॅल लगाए गए थे. जिसमें प्रदेश के कई जिलों ने हिस्सा लिया. समापन अवसर पर शिल्पकारों को स्मृति चिन्ह व प्रमाण पत्र देकर सम्मानित भी किया गया.

मेले में मिर्जापुर, कुशीनगर, आजमगढ़, बाराबंकी, बलिया, वाराणसी, उन्नाव, पीलीभीत, लखनऊ, अयोध्या, कानपुर, गोरखपुर बुलंदशहर व प्रयागराज जिले से आए शिल्पकारों द्वारा प्रदर्शनी में उत्पाद की बिक्री की गई. माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. धर्मवीर प्रजापति ने कहा कि प्रदेश सरकार स्वदेशी अपनाने और लोगों को स्वरोजगार देने की दिशा में काम कर रही है.

इस तरह के आयोजनों का उद्देश्य पारंपरिक कला से जुड़े कुशल कारीगरों एवं शिल्पकारों को मंच प्रदान करना है. जिससे कि उनकी कला को प्रोत्साहन मिलता रहे. उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजनों से आमदनी के साथ शिल्पकारों का उत्साहवर्धन भी होता है. भविष्य में इस तरह के आयोजन जिला और मंडल स्तर पर भी कराए जाने का प्रयास किया जाएगा. माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष ने बताया कि मेले के दौरान करीब 50 लाख रुपये से अधिक मिट्टी के बने हुए सामानों की बिक्री हुई है.

लखनऊ: राजधानी लखनऊ के खाद्य भवन में उत्तर प्रदेश माटी मेला बोर्ड की ओर से 4 से 13 नवंबर तक माटी मेले का आयोजन किया गया था. जिसका शुक्रवार को समापन हुआ. मेले में मिट्टी से बने सामानों के 40 से अधिक स्टाॅल लगाए गए थे. जिसमें प्रदेश के कई जिलों ने हिस्सा लिया. समापन अवसर पर शिल्पकारों को स्मृति चिन्ह व प्रमाण पत्र देकर सम्मानित भी किया गया.

मेले में मिर्जापुर, कुशीनगर, आजमगढ़, बाराबंकी, बलिया, वाराणसी, उन्नाव, पीलीभीत, लखनऊ, अयोध्या, कानपुर, गोरखपुर बुलंदशहर व प्रयागराज जिले से आए शिल्पकारों द्वारा प्रदर्शनी में उत्पाद की बिक्री की गई. माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. धर्मवीर प्रजापति ने कहा कि प्रदेश सरकार स्वदेशी अपनाने और लोगों को स्वरोजगार देने की दिशा में काम कर रही है.

इस तरह के आयोजनों का उद्देश्य पारंपरिक कला से जुड़े कुशल कारीगरों एवं शिल्पकारों को मंच प्रदान करना है. जिससे कि उनकी कला को प्रोत्साहन मिलता रहे. उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजनों से आमदनी के साथ शिल्पकारों का उत्साहवर्धन भी होता है. भविष्य में इस तरह के आयोजन जिला और मंडल स्तर पर भी कराए जाने का प्रयास किया जाएगा. माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष ने बताया कि मेले के दौरान करीब 50 लाख रुपये से अधिक मिट्टी के बने हुए सामानों की बिक्री हुई है.

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