लखनऊ : लक्ष्मण टीला स्थित मंदिर-मस्जिद विवाद प्रकरण में विवादित स्थान को शेषावतार मंदिर, पटल कूप और शेषनागेष्ट टीलेश्वर महादेव मंदिर बताते हुए, निर्बाध पूजा, अर्चना, आरती और हनुमान चालीसा का पाठ करने में हस्तक्षेप को रोकने की मांग करते हुए, सिविल कोर्ट में वाद दायर किया गया है. उक्त वाद में टीले वाली मस्जिद के पेश इमाम व उनके द्वारा स्थान पर दावा करने वाले सभी लोगों को पूजा पाठ में हस्तक्षेप रोकने के लिए अनिवार्य निषेधाज्ञा की डिक्री जारी करने की मांग की गई है.
सिविल जज जूनियर डिवीजन, साउथ पीयूष भारती ने मामले को मूलवाद के रूप में दर्ज करने का आदेश देते हुए, इसे सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है. कोर्ट ने मामले के विपक्षियों को जवाब दाखिल करने के लिए समन जारी करने का भी आदेश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 15 मार्च को होगी. यह वाद सेंट्रल बार एसोसिएशन के महासचिव रहे नृपेंद्र पांडेय, अनीता देवी, धीरेंद्र सिंह, मोहित कुमार सक्सेना, अभिषेक मिश्रा, रवि कुमार राय और सर्वेश कुमार ने दाखिल किया है.
वाद में सचिव, गृह मंत्रालय, भारत सरकार, अपर मुख्य सचिव, गृह, यूपी, एएसआई, जिलाधिकारी लखनऊ, पुलिस कमिश्नर, लखनऊ टीले वाली मस्जिद के पेश इमाम मौलाना अब्दुल मन्नान को विपक्षी पक्षकार बनाया गया है. कहा गया है कि औरंगजेब के शासनकाल में लक्ष्मण टीला स्थित मंदिर को तोड़कर जमीन के एक हिस्से में टीले वाली मस्जिद बना दी गई थी. जबकि मस्जिद के चारदीवारी के बाहर शेषनाग पटल कूप, शेषनागेष्ट टीलेश्वर महादेव मंदिर और पुराने हिंदू मंदिर अभी भी हैं. वादियों का कहना है कि 17 मई 2022 को बड़े मंगल पर वादीगण लक्ष्मण टीला स्थित मंदिर में पूजा और हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहते थे, लेकिन मौलाना अब्दुल मन्नान ने इसे वक्फ सम्पत्ति बताते हुए, पूजा पाठ पर धमकी देने लगे और बवाल होने पर पुलिस ने उक्त स्थल पर पूजा करने की अनुमति नहीं दी.