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Technical University will investigate : गंगा-यमुना में गिर रहे 196 उद्योगों के गंदे पानी की जांच होगी

उत्तर प्रदेश और हरियाणा के 196 उद्योगों का गंदा पानी सीधे गंगा और यमुना नदी में गिर रहा है. इससे नदियां दूषित हो रही हैं और इसका असर नदियों के पारिस्थिकीय तंत्र के साथ किनारे बसे गांवों पर भी पड़ रहा है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नदियों में गिरने वाले अवजल के जांच (Technical University will investigate) की जिम्मेदारी डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय को दी है.

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Published : Jan 17, 2023, 7:20 PM IST

लखनऊ : गंगा और यमुना के जल को स्वच्छ बनाने की मुहिम में जुटी सरकार ने डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय ( एकेटीयू) को बड़ी जिम्मेदारी दी है. इन नदियों में उत्तर प्रदेश व हरियाणा के 196 उद्योगों का गंदा पानी सीधे गिर रहा है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इन दोनों प्रदेशों इन नदियों के किनारे बने उद्योगों के गंदे पानी के जांच की जिम्मेदारी दी है. इसके लिए एकेटीयू के कुलपति प्रोफेसर प्रदीप कुमार मिश्र को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नोडल अधिकारी भी बनाया है. इनकी निगरानी में दोनों नदियों में गिर रहे उद्योगों के गंदे पानी व अवजल की जांच होगी. इसके लिए विश्वविद्यालय को बजट भी आवंटित कर दिया गया है.

उद्योगों से निकलने वाला गंदा पानी सीधे इन दोनों नदियों (गंगा और यमुना) में गिरता है. जिससे नदियां दूषित हो रही हैं. ऐसे में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने उद्योगों से निकलने वाले गंदे पानी की जांच कराने का निर्णय लिया है. इस काम के लिए एकेटीयू को चुना गया है. इस कार्य में विश्वविद्यालय के अध्यापक, शोध छात्र और विशेषज्ञ कुलपति प्रो. प्रदीप कुमार मिश्र के अगुवाई में इन उद्योगों से निकलने वाले गंदे पानी की जांच कर रिपोर्ट तैयार करेगी.

वाराणसी, उन्नाव, पलवल सहित कई शहरों में होगी जांच : गंगा और यमुना के किनारे उत्तर प्रदेश और हरियाणा में करीब 196 उद्योग हैं. इन उद्योगों से रोजाना काफी मात्रा में गंदा पानी निकलकर गंगा और यमुना में समाहित हो रहा है. ऐसे में यह जरूरी है कि इन गंदे पानी की जांच की जाए. विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ यूपी में उन्नाव, सीतापुर, लखनऊ और वाराणसी व हरियाणा के पलवल सहित कारखानों की मॉनीटरिंग करेंगे. यहां चर्म उद्योग, टेक्सटाइल, शुगर फैक्टी एवं रासायनिक उद्योगों के अवजल की जांच की जाएगी. विशेषज्ञ इन उद्योगों से निकलने वाले अवजल का सैंपल लेंगे. इसके बाद इन सैंपल की जांच प्रयोगशाला में होगी.

कुलपति पीके मिश्र पहले भी कर चुके हैं जांच : कुलपति प्रो. प्रदीप कुमार मिश्र ने आईआईटी बीएचयू में रहने के दौरान भी गंगा में गिरने वाले उद्योगों के गंदे पानी की जांच की थी. उस वक्त उन्होंने वाराणसी, कानपुर सहित गंगा बेसिन के किनारे के करीब तीन सौ उद्योगों से निकलने वाले गंदे पानी को परखा था. इसके बाद झारखंड तकनीकी विश्वविद्यालय में कुलपति के कार्यकाल के दौरान भी प्रो. मिश्र ने करीब 32 उद्योगों के गंदे पानी की जांच कर रिपोर्ट दी थी. ऐसे में गंगा और यमुना में उद्योगों से गिरने वाले अवजल की जांच की जिम्मेदारी काफी अहम है.

लखनऊ : गंगा और यमुना के जल को स्वच्छ बनाने की मुहिम में जुटी सरकार ने डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय ( एकेटीयू) को बड़ी जिम्मेदारी दी है. इन नदियों में उत्तर प्रदेश व हरियाणा के 196 उद्योगों का गंदा पानी सीधे गिर रहा है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इन दोनों प्रदेशों इन नदियों के किनारे बने उद्योगों के गंदे पानी के जांच की जिम्मेदारी दी है. इसके लिए एकेटीयू के कुलपति प्रोफेसर प्रदीप कुमार मिश्र को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नोडल अधिकारी भी बनाया है. इनकी निगरानी में दोनों नदियों में गिर रहे उद्योगों के गंदे पानी व अवजल की जांच होगी. इसके लिए विश्वविद्यालय को बजट भी आवंटित कर दिया गया है.

उद्योगों से निकलने वाला गंदा पानी सीधे इन दोनों नदियों (गंगा और यमुना) में गिरता है. जिससे नदियां दूषित हो रही हैं. ऐसे में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने उद्योगों से निकलने वाले गंदे पानी की जांच कराने का निर्णय लिया है. इस काम के लिए एकेटीयू को चुना गया है. इस कार्य में विश्वविद्यालय के अध्यापक, शोध छात्र और विशेषज्ञ कुलपति प्रो. प्रदीप कुमार मिश्र के अगुवाई में इन उद्योगों से निकलने वाले गंदे पानी की जांच कर रिपोर्ट तैयार करेगी.

वाराणसी, उन्नाव, पलवल सहित कई शहरों में होगी जांच : गंगा और यमुना के किनारे उत्तर प्रदेश और हरियाणा में करीब 196 उद्योग हैं. इन उद्योगों से रोजाना काफी मात्रा में गंदा पानी निकलकर गंगा और यमुना में समाहित हो रहा है. ऐसे में यह जरूरी है कि इन गंदे पानी की जांच की जाए. विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ यूपी में उन्नाव, सीतापुर, लखनऊ और वाराणसी व हरियाणा के पलवल सहित कारखानों की मॉनीटरिंग करेंगे. यहां चर्म उद्योग, टेक्सटाइल, शुगर फैक्टी एवं रासायनिक उद्योगों के अवजल की जांच की जाएगी. विशेषज्ञ इन उद्योगों से निकलने वाले अवजल का सैंपल लेंगे. इसके बाद इन सैंपल की जांच प्रयोगशाला में होगी.

कुलपति पीके मिश्र पहले भी कर चुके हैं जांच : कुलपति प्रो. प्रदीप कुमार मिश्र ने आईआईटी बीएचयू में रहने के दौरान भी गंगा में गिरने वाले उद्योगों के गंदे पानी की जांच की थी. उस वक्त उन्होंने वाराणसी, कानपुर सहित गंगा बेसिन के किनारे के करीब तीन सौ उद्योगों से निकलने वाले गंदे पानी को परखा था. इसके बाद झारखंड तकनीकी विश्वविद्यालय में कुलपति के कार्यकाल के दौरान भी प्रो. मिश्र ने करीब 32 उद्योगों के गंदे पानी की जांच कर रिपोर्ट दी थी. ऐसे में गंगा और यमुना में उद्योगों से गिरने वाले अवजल की जांच की जिम्मेदारी काफी अहम है.

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