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जहरीली शराब पीने वालों को अब तुरंत मिलेगा इलाज

उत्तर प्रदेश में जहरीली शराब पीने वाले लोगों को अब तुरंत इलाज देने की तैयारी की जा रही है. इसके लिए डॉक्टरों की एक विशेष टीम बनाई गई है.

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जहरीली शराब पीने वालों को अब तुरंत मिलेगा इलाज.
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Published : Jun 17, 2021, 8:42 AM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में जहरीली शराब पीने से हो रही मौतों को देखते हुए अब उन्हें तत्काल इलाज देने की तैयारी की जा रही है. इसके लिए राजधानी के 5 प्रमुख अस्पतालों के विशेषज्ञों की एक टीम गठित की गई है. टीम में डॉ. राम मनोहर लोहिया संस्थान, किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय, बलरामपुर अस्पताल, सिविल अस्पताल और लोक बंधु अस्पताल के मेडिसिन विभाग के विशेषज्ञ शामिल किए गए हैं.


बनेगी गाइडलाइन, ताकि बचाई जा सके आंखों की रोशनी

विशेषज्ञों की एक टीम इलाज के लिए गाइडलाइन तैयार करेगी. गाइडलाइन न होने के कारण जहरीली शराब पीने से न केवल मौतें बढ़ रही हैं, बल्कि जिलों और स्वास्थ्य केंद्रों से उन्हें राजधानी के लिए रेफर कर दिया जाता है. गाइडलाइन तैयार हो जाने से स्वास्थ केंद्रों को यह जानकारी हो सकेगी कि किस स्टेज में कौन सी दवा देनी है और कब उसे सुपर स्पेशलिटी चिकित्सा संस्थानों में रेफर किया जा रहा है.

ठीक नहीं हो पाते प्रभावित अंग

किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के मेडिसिन विभागाध्यक्ष अनुपम बताते हैं कि शराब में मिला मिथाइल अल्कोहल एक तरह का जहर है. इससे आंख, किडनी, लीवर, फेफड़े और अन्य अंग खराब हो सकते हैं. शरीर में झटके आ सकते हैं तथा पूरा शरीर सुन्न हो सकता है.


तत्काल उपचार से बचेगी जान

स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. डीएस नेगी कहते हैं कि जहरीली शराब पीने से बीमार होने वाले लोगों को तत्काल इलाज मिल जाए, इसके लिए गाइडलाइन तैयार कराने के लिए टीम गठित की गई है. स्पष्ट गाइडलाइन होने से न केवल जान बच सकेगी, बल्कि विभिन्न अंगों को प्रभावित होने से भी बचाया जा सकेगा.

अब सीएमओ भी ओपीडी में देखेंगे मरीज

अपर मुख्य सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने एक आदेश जारी कर उत्तर प्रदेश के सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारियों सहित सभी प्रशासनिक अधिकारियों को प्रतिदिन ओपीडी में बैठकर मरीजों को परामर्श देना अनिवार्य कर दिया है. सभी स्वास्थ्य अधिकारी अस्पतालों में बैठकर कम से कम 200 घंटे मरीजों को परामर्श देंगे. इलाज की पूरी कार्रवाई को एक रजिस्टर बनाकर दर्ज करना होगा.

इसे भी पढ़ें: केजीएमयू में कूल्हा-घुटना, लोहिया में किडनी प्रत्यारोपण शुरू

जिले स्तर पर चिकित्सा अधिकारियों के ओपीडी का दिन तय करने की जिम्मेदारी भी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों की होगी. मंडल मुख्यालयों पर तैनात अपर निदेशक प्रमुख अधीक्षक मंडलीय चिकित्सालय और संयुक्त निदेशक को भी ओपीडी में मरीजों का इलाज करना होगा. आधे चिकित्सा अधिकारी सोमवार से बुधवार और आधे बृहस्पतिवार से शनिवार को ओपीडी में बैठेंगे.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में जहरीली शराब पीने से हो रही मौतों को देखते हुए अब उन्हें तत्काल इलाज देने की तैयारी की जा रही है. इसके लिए राजधानी के 5 प्रमुख अस्पतालों के विशेषज्ञों की एक टीम गठित की गई है. टीम में डॉ. राम मनोहर लोहिया संस्थान, किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय, बलरामपुर अस्पताल, सिविल अस्पताल और लोक बंधु अस्पताल के मेडिसिन विभाग के विशेषज्ञ शामिल किए गए हैं.


बनेगी गाइडलाइन, ताकि बचाई जा सके आंखों की रोशनी

विशेषज्ञों की एक टीम इलाज के लिए गाइडलाइन तैयार करेगी. गाइडलाइन न होने के कारण जहरीली शराब पीने से न केवल मौतें बढ़ रही हैं, बल्कि जिलों और स्वास्थ्य केंद्रों से उन्हें राजधानी के लिए रेफर कर दिया जाता है. गाइडलाइन तैयार हो जाने से स्वास्थ केंद्रों को यह जानकारी हो सकेगी कि किस स्टेज में कौन सी दवा देनी है और कब उसे सुपर स्पेशलिटी चिकित्सा संस्थानों में रेफर किया जा रहा है.

ठीक नहीं हो पाते प्रभावित अंग

किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के मेडिसिन विभागाध्यक्ष अनुपम बताते हैं कि शराब में मिला मिथाइल अल्कोहल एक तरह का जहर है. इससे आंख, किडनी, लीवर, फेफड़े और अन्य अंग खराब हो सकते हैं. शरीर में झटके आ सकते हैं तथा पूरा शरीर सुन्न हो सकता है.


तत्काल उपचार से बचेगी जान

स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. डीएस नेगी कहते हैं कि जहरीली शराब पीने से बीमार होने वाले लोगों को तत्काल इलाज मिल जाए, इसके लिए गाइडलाइन तैयार कराने के लिए टीम गठित की गई है. स्पष्ट गाइडलाइन होने से न केवल जान बच सकेगी, बल्कि विभिन्न अंगों को प्रभावित होने से भी बचाया जा सकेगा.

अब सीएमओ भी ओपीडी में देखेंगे मरीज

अपर मुख्य सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने एक आदेश जारी कर उत्तर प्रदेश के सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारियों सहित सभी प्रशासनिक अधिकारियों को प्रतिदिन ओपीडी में बैठकर मरीजों को परामर्श देना अनिवार्य कर दिया है. सभी स्वास्थ्य अधिकारी अस्पतालों में बैठकर कम से कम 200 घंटे मरीजों को परामर्श देंगे. इलाज की पूरी कार्रवाई को एक रजिस्टर बनाकर दर्ज करना होगा.

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जिले स्तर पर चिकित्सा अधिकारियों के ओपीडी का दिन तय करने की जिम्मेदारी भी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों की होगी. मंडल मुख्यालयों पर तैनात अपर निदेशक प्रमुख अधीक्षक मंडलीय चिकित्सालय और संयुक्त निदेशक को भी ओपीडी में मरीजों का इलाज करना होगा. आधे चिकित्सा अधिकारी सोमवार से बुधवार और आधे बृहस्पतिवार से शनिवार को ओपीडी में बैठेंगे.

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