लखनऊ : बेसिक शिक्षा परिषद में कार्यरत शिक्षकों के जिले के अंदर परस्पर तबादले (Basic Education Council) के अंतिम चरण को शिक्षकों की प्रमोशन प्रक्रिया को पूरा करने की मांग को लेकर सैकड़ों की संख्या में शिक्षकों ने बेसिक शिक्षा निदेशालय का घेराव किया. शिक्षकों का आरोप है कि 'परिषदीय प्राथमिक विद्यालय में कार्यालय शिक्षकों का अंतर्जनपदीय पारस्परिक स्थानांतरण प्रक्रिया को लेकर विभाग के अधिकारी जानबूझकर रोड़ा अटका रहे हैं. प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों का कहना है कि 'उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद में कार्यरत शिक्षकों का अंतर्जनपदीय पारस्परिक स्थानांतरण करने का शासनादेश 20 जनवरी 2023 को जारी किया गया था. शासनादेश जारी होने के 7 महीने से अधिक समय बीत चुका है. स्थानांतरण गर्मियों की छुट्टी में पूरे करा लिए जाने चाहिए थे, पर विभागीय अधिकारियों की उदासीनता की वजह से अब तक लंबित है.'
20 सितंबर तक रिलीविंग करने का दिया था आश्वासन : शिक्षकों का कहना है कि 'जारी स्थानांतरण प्रक्रिया में शिक्षकों का आवेदन, वेरिफिकेशन, पेयरिंग का कार्य पूरा हो चुका है. अब मात्र शिक्षकों की रिवाल्विंग और जॉइनिंग का काम ही शेष बचा है. यह शेष प्रक्रिया एक दिन में आसानी से पूरी की जा सकती है, लेकिन विभाग इसको लेकर गंभीर नहीं है. प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों का कहना है विभाग के अधिकारियों ने 20 सितंबर तक स्थानांतरण प्रक्रिया को पूरा करने का आश्वासन दिया था, लेकिन आज 25 सितंबर हो गया है. इस पर कोई निर्णय नहीं हुआ है.'
शिक्षकों का कहना है कि 'पारस्परिक स्थानांतरण की प्रक्रिया के साथ-साथ शिक्षकों की पदोन्नति की प्रक्रिया भी चल रही है. यदि शिक्षकों की पदोन्नति शिक्षकों के स्थानांतरण से पहले कर दी जाती है, तो कई शिक्षकों के पारस्परिक साथी का विकल्प टूटने का डर है. प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों का कहना है कि अगर अंतर्जनपदीय स्थानांतरण में शिक्षकों की रिलीविंग और जॉइनिंग जल्दी नहीं दी जाती है तो आगामी लोकसभा चुनाव की वजह से शिक्षकों की रिलीविंग अगले वर्ष भी संभव नहीं होगी, क्योंकि चुनाव में ड्यूटी के लिए शिक्षकों की सूची चुनाव आयोग को काफी समय पहले भेज दिया जाता है. इससे पहले विभाग के शिक्षकों का अंतर्जनपदीय स्थानांतरण अंतिम बार 2018 में हुआ था. बहुत लंबे समय के बाद जब शासन में अंतर्जनपदीय स्थानांतरण का शासनादेश जारी किया तो उसके बाद इस अति महत्वपूर्ण प्रकरण में विभागीय अधिकारियों की सन्देहास्पद प्रतीत होता है.'