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शिक्षक संगठनों ने किया एस्मा का विरोध, सरकार पर खड़े किए सवाल - प्रदेश में एस्मा लागू

प्रदेश में एस्मा लागू होने के बाद शिक्षक संगठनों की ओर से विरोध शुरू हो गया है. संगठनों का कहना है कि कर्मचारियों की मांगो का समाधान करने के बजाय उनके लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है. शासन अपने इस निर्णय पर पुनः विचार करें.

शिक्षक संगठनों ने किया एस्मा का विरोध
शिक्षक संगठनों ने किया एस्मा का विरोध
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Published : May 28, 2021, 5:22 AM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश में एस्मा लागू कर दिया है. जिसके बाद शिक्षक संगठनों की ओर से इसका विरोध शुरू हो गया है. संगठनों की ओर से सरकार पर शिक्षकों और कर्मचारियों के लोकतांत्रिक अधिकारों को दबाने के आरोप लगाए गए हैं. आरोप है कि कोरोना महामारी के दौर में सरकार के साथ खड़े होने वाले शिक्षकों और कर्मचारियों की आवाज को अब दबाया जा रहा है.

कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी एवं पेंशनर्स अधिकार मंच ने किया विरोध.
कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी एवं पेंशनर्स अधिकार मंच ने किया विरोध.
तीसरी बार किया गया लागू
उत्तर प्रदेश दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव का कहना है कि यूपी सरकार द्वारा प्रदेश में तीसरी बार एस्मा लगाकर कर्मचारियों की आवाज को दबाने /रोकने की कोशिश की गई है. इस कोरोना महामारी में अपनी जान हथेली पर रख कर प्रदेश में अवाम की सेवा कर रहे यूपी के कर्मचारियों के साथ शासन द्वारा छल व कपट किया जा रहा है. कर्मचारियों की मांगो का समाधान करने के बजाय उनके लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है. शासन अपने इस निर्णय पर पुनः विचार करे.

इसे भी पढ़ें- योगी सरकार ने प्रदेश में 6 माह के लिए लगाया एस्मा, सरकारी कर्मचारियों के हड़ताल पर लगी पाबंदी

संवैधानिक हक छीनने के लगाए आरोप
कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी एवं पेंशनर्स अधिकार मंच के अध्यक्ष डॉक्टर दिनेश चंद्र शर्मा का कहना है कि कर्मचारी और शिक्षकों की ओर से किसी मुद्दे को लेकर हड़ताल की सूचना दिए जाने पर सरकार द्वारा इस तरह का कठोर कदम उठाया जाना गलत है. अभी तक किसी संगठन की ओर से आधिकारिक रूप से हड़ताल पर जाने की सूचना तक नहीं दी गई, ऐसे में सरकार द्वारा इस तरह का कदम उठाया जाना पूरी तरह से गलत है. उन्होंने मांग की है कि सरकार इस कठोर कानून को वापस ले और संगठनों के साथ वार्ता करके उनकी समस्याओं का हल निकालने का प्रयास करें.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश में एस्मा लागू कर दिया है. जिसके बाद शिक्षक संगठनों की ओर से इसका विरोध शुरू हो गया है. संगठनों की ओर से सरकार पर शिक्षकों और कर्मचारियों के लोकतांत्रिक अधिकारों को दबाने के आरोप लगाए गए हैं. आरोप है कि कोरोना महामारी के दौर में सरकार के साथ खड़े होने वाले शिक्षकों और कर्मचारियों की आवाज को अब दबाया जा रहा है.

कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी एवं पेंशनर्स अधिकार मंच ने किया विरोध.
कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी एवं पेंशनर्स अधिकार मंच ने किया विरोध.
तीसरी बार किया गया लागू
उत्तर प्रदेश दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव का कहना है कि यूपी सरकार द्वारा प्रदेश में तीसरी बार एस्मा लगाकर कर्मचारियों की आवाज को दबाने /रोकने की कोशिश की गई है. इस कोरोना महामारी में अपनी जान हथेली पर रख कर प्रदेश में अवाम की सेवा कर रहे यूपी के कर्मचारियों के साथ शासन द्वारा छल व कपट किया जा रहा है. कर्मचारियों की मांगो का समाधान करने के बजाय उनके लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है. शासन अपने इस निर्णय पर पुनः विचार करे.

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संवैधानिक हक छीनने के लगाए आरोप
कर्मचारी, शिक्षक, अधिकारी एवं पेंशनर्स अधिकार मंच के अध्यक्ष डॉक्टर दिनेश चंद्र शर्मा का कहना है कि कर्मचारी और शिक्षकों की ओर से किसी मुद्दे को लेकर हड़ताल की सूचना दिए जाने पर सरकार द्वारा इस तरह का कठोर कदम उठाया जाना गलत है. अभी तक किसी संगठन की ओर से आधिकारिक रूप से हड़ताल पर जाने की सूचना तक नहीं दी गई, ऐसे में सरकार द्वारा इस तरह का कदम उठाया जाना पूरी तरह से गलत है. उन्होंने मांग की है कि सरकार इस कठोर कानून को वापस ले और संगठनों के साथ वार्ता करके उनकी समस्याओं का हल निकालने का प्रयास करें.

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