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शिक्षकों की मौतः सरकारी आंकड़े पर भड़के गुरुजन, सरकार को बताया संवेदनहीन - बेसिक शिक्षा विभाग

बेसिक शिक्षा विभाग के प्रदेश में पंचायत निर्वाचन के दौरान मात्र 3 शिक्षकों की मौत के दावे की शिक्षकों ने आलोचना की है. सरकार पर संवेदनहीनता बरतने के आरोप लगाए गए हैं.

लखनऊ:
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Published : May 19, 2021, 3:31 PM IST

लखनऊ: बेसिक शिक्षा विभाग ने प्रदेश में पंचायत निर्वाचन के दौरान मात्र 3 शिक्षकों की मौत का दावा किया तो शिक्षक भड़क गए. शिक्षकों ने बुधवार को इस दावे की कड़ी आलोचना की है. शिक्षक संगठनों की ओर से सरकार पर संवेदनहीनता बरतने के आरोप लगाए गए हैं. उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेशीय मंत्री एवं प्रवक्ता डॉ. आरपी मिश्र ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. उनका कहना है कि यह आपदा का समय है. इन हालातों में कोरोना संक्रमण में शिक्षकों और कर्मचारियों को काम में झोंक दिया गया. डॉ. मिश्र ने बताया कि प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने पहले 706 शिक्षकों और बाद में 1621 शिक्षकों की सूची सरकार को सौंपी है. इसमें प्रशिक्षण, मतदान या मतगणना के दौरान संक्रमित हुए शिक्षक और बाद में उनकी मृत्यु हुई है.

संवेदनहीनता बरतने के आरोप
विभाग ने कहा सिर्फ तीन की हुई मौतगौरतलब है कि बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से मंगलवार देर रात एक पत्र जारी किया गया. इसमें कहा गया है कि शिक्षक के अपने घर से मतदान या मतगणना स्थल तक आने और वहां से वापस जाने के बीच में अगर मृत्यु होती है तो राज्य निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार मुआवजा दिया जाएगा. इन मानकों के आधार पर सरकार ने सिर्फ 3 शिक्षकों की मृत्यु की बात स्वीकार की है.

यह है शिक्षक संगठन के दावे
प्राथमिक शिक्षक संघ ने 1621 शिक्षकों की एक सूची जारी की है. यह सूची 14 अप्रैल से लेकर 16 मई के बीच अपनी जान गंवाने वाले शिक्षकों की है. संगठन का दावा है कि इनमें से ज्यादातर शिक्षकों को पंचायत चुनाव की ड्यूटी में लगाया गया. इस दौरान वह संक्रमित हुए और बाद में उनकी मृत्यु हो गई. संगठन की ओर से इन सभी मृत शिक्षकों और कर्मचारियों के आश्रितों को सहायता के रूप में एक करोड़ रुपए तक दिए जाने की मांग उठाई गई है. संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेश चन्द्र शर्मा ने कहा है कि इनके परिवार में जो आश्रित डीएलएड या बीएड की योग्यता रखता है, उसे टीईटी से छूट देते हुए शिक्षक के पद पर तुरंत नियुक्ति दी जाए. वहीं बाकियों को लिपिक के पद पर नियुक्त दी जाए.

इसे भी पढ़ेंः कोरोना से मुक्ति के लिए अपनाई जा रही यह तरकीब, देखें वीडियो

बेसिक शिक्षा मंत्री के इस बयान से विवाद
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ की ओर से 1621 शिक्षक कर्मचारियों की सूची को बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ. सतीश चंद्र द्विवेदी ने सिरे से खारिज कर दिया है. मंत्री की ओर से बुधवार को जारी एक बयान में इस आंकड़े को भ्रामक और गलत बताया गया है. उनका कहना है कि संबंधित जिलों के जिला अधिकारियों की रिपोर्ट के आधार पर राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से 3 शिक्षकों की मृत्यु होने की पुष्टि की गई है.

बेसिक शिक्षा मंत्री का बयान
बेसिक शिक्षा मंत्री की ओर से जारी इस बयान पर कई सवाल खड़े हो गए. माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश मंत्री डॉक्टर आरपी मिश्रा का कहना है कि चुनाव आयोग की ओर से चुनाव खत्म होने के बाद और घर पहुंचने तक जिन लोगों की मृत्यु हुई है, उन्हें इस सूची में रखा गया है. इन सबके बीच जिम्मेदार शायद भूल गए कि यह आपदा का दौर है. कोरोना संक्रमण का पता लगाने में भी समय लगता है. ऐसे में अगर चुनाव के दौरान कोई शिक्षक कर्मचारी संक्रमित हुआ है और घर पहुंचने के दो-चार दिन के बाद मृत्यु हुई तो उसकी जिम्मेदारी भी तो विभाग को ही लेनी होगी.

लखनऊ: बेसिक शिक्षा विभाग ने प्रदेश में पंचायत निर्वाचन के दौरान मात्र 3 शिक्षकों की मौत का दावा किया तो शिक्षक भड़क गए. शिक्षकों ने बुधवार को इस दावे की कड़ी आलोचना की है. शिक्षक संगठनों की ओर से सरकार पर संवेदनहीनता बरतने के आरोप लगाए गए हैं. उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेशीय मंत्री एवं प्रवक्ता डॉ. आरपी मिश्र ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. उनका कहना है कि यह आपदा का समय है. इन हालातों में कोरोना संक्रमण में शिक्षकों और कर्मचारियों को काम में झोंक दिया गया. डॉ. मिश्र ने बताया कि प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने पहले 706 शिक्षकों और बाद में 1621 शिक्षकों की सूची सरकार को सौंपी है. इसमें प्रशिक्षण, मतदान या मतगणना के दौरान संक्रमित हुए शिक्षक और बाद में उनकी मृत्यु हुई है.

संवेदनहीनता बरतने के आरोप
विभाग ने कहा सिर्फ तीन की हुई मौतगौरतलब है कि बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से मंगलवार देर रात एक पत्र जारी किया गया. इसमें कहा गया है कि शिक्षक के अपने घर से मतदान या मतगणना स्थल तक आने और वहां से वापस जाने के बीच में अगर मृत्यु होती है तो राज्य निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार मुआवजा दिया जाएगा. इन मानकों के आधार पर सरकार ने सिर्फ 3 शिक्षकों की मृत्यु की बात स्वीकार की है.

यह है शिक्षक संगठन के दावे
प्राथमिक शिक्षक संघ ने 1621 शिक्षकों की एक सूची जारी की है. यह सूची 14 अप्रैल से लेकर 16 मई के बीच अपनी जान गंवाने वाले शिक्षकों की है. संगठन का दावा है कि इनमें से ज्यादातर शिक्षकों को पंचायत चुनाव की ड्यूटी में लगाया गया. इस दौरान वह संक्रमित हुए और बाद में उनकी मृत्यु हो गई. संगठन की ओर से इन सभी मृत शिक्षकों और कर्मचारियों के आश्रितों को सहायता के रूप में एक करोड़ रुपए तक दिए जाने की मांग उठाई गई है. संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेश चन्द्र शर्मा ने कहा है कि इनके परिवार में जो आश्रित डीएलएड या बीएड की योग्यता रखता है, उसे टीईटी से छूट देते हुए शिक्षक के पद पर तुरंत नियुक्ति दी जाए. वहीं बाकियों को लिपिक के पद पर नियुक्त दी जाए.

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बेसिक शिक्षा मंत्री के इस बयान से विवाद
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ की ओर से 1621 शिक्षक कर्मचारियों की सूची को बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ. सतीश चंद्र द्विवेदी ने सिरे से खारिज कर दिया है. मंत्री की ओर से बुधवार को जारी एक बयान में इस आंकड़े को भ्रामक और गलत बताया गया है. उनका कहना है कि संबंधित जिलों के जिला अधिकारियों की रिपोर्ट के आधार पर राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से 3 शिक्षकों की मृत्यु होने की पुष्टि की गई है.

बेसिक शिक्षा मंत्री का बयान
बेसिक शिक्षा मंत्री की ओर से जारी इस बयान पर कई सवाल खड़े हो गए. माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश मंत्री डॉक्टर आरपी मिश्रा का कहना है कि चुनाव आयोग की ओर से चुनाव खत्म होने के बाद और घर पहुंचने तक जिन लोगों की मृत्यु हुई है, उन्हें इस सूची में रखा गया है. इन सबके बीच जिम्मेदार शायद भूल गए कि यह आपदा का दौर है. कोरोना संक्रमण का पता लगाने में भी समय लगता है. ऐसे में अगर चुनाव के दौरान कोई शिक्षक कर्मचारी संक्रमित हुआ है और घर पहुंचने के दो-चार दिन के बाद मृत्यु हुई तो उसकी जिम्मेदारी भी तो विभाग को ही लेनी होगी.
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