लखनऊः उत्तर प्रदेश सरकार टीबी रोग की रोकथाम के लिए लगातार सक्रिय नजर आ रही है. शासन के निर्देशों के तहत राजधानी लखनऊ स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) टीवी के बीमार बच्चों को गोद लेकर उन्हें बेहतर इलाज उपलब्ध कराने का काम कर रहा है. अब तक केजीएमयू 15 टीबी रोग से ग्रसित बच्चों को गोद ले चुका है, जिनमें से कई ठीक हो गए हैं तो कुछ का इलाज चल रहा है.
तीन बच्चे केजीएमयू में भर्ती
केजीएमयू के डॉक्टर से मिली जानकारी के अनुसार टीवी रोग से ग्रसित 3 बच्चे इस समय भर्ती हैं. इनमें से दो की स्थिति काफी गंभीर है. तीनों बच्चों का बेहतर तरह से यहां पर इलाज चल रहा है. इन्हें जहां निशुल्क उपचार उपलब्ध कराया जा रहा है तो वहीं खाने पीने की भी बेहतर व्यवस्था उपलब्ध कराई गई है.
डॉक्टर की निगरानी में टीबी का मरीज
केजीएमयू में टीबी रोग से ग्रसित मरीजों के बेहतर इलाज के लिए उनकी निगरानी के लिए एक डॉक्टर को लगाया जाता है. डॉक्टर की पूरी जिम्मेदारी होती है कि वह बच्चे को बेहतर उपचार देने के साथ-साथ देखरेख भी करें. अस्पताल की ओर से टीबी से ग्रसित बच्चों को बेहतर और पौष्टिक आहार उपलब्ध कराया जाता है, जिससे कि वह टीबी से मजबूती से लड़ सके.
गवर्नर के निर्देशों पर सबसे पहले 6 बच्चों को लिया गया था गोद
उत्तर प्रदेश की गवर्नर आनंदीबेन पटेल के निर्देशों पर केजीएमयू ने सबसे पहले 6 बच्चों को गोद लिया था. 6 बच्चों को गोद देने के बाद उपचार उपलब्ध कराया गया. इसके बाद आगे बढ़ते हुए 9 अन्य बच्चों को भी केजीएमयू ने गोद लिया. इनका इलाज केजीएमयू में चल रहा है. अब तक केजीएमयू 15 बच्चों को गोद ले चुका है.
टीबी से ग्रसित मरीजों पर एक डॉक्टर की निगरानी
बाल रोग विभाग की विभागाध्यक्ष शैली अवस्थी ने बताया कि केजीएमयू ने 15 बच्चों को गोद लिया है. लगभग 42 टीबी रोग से ग्रसित बच्चों का इलाज किया जा रहा है. हालांकि, यह बच्चे पीजीआई में भर्ती नहीं है और अपने घर पर रहते इलाज करा रहे हैं. केजीएमयू का स्टाफ लगातार इन पर निगरानी बनाए रखता है. सप्ताह में एक दिन डॉक्टर फोन पर इनका हाल चाल लेते हैं. साथ यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि मरीज समय पर दवा ले रहा है या नहीं और उन्हें पौष्टिक आहार दिया जा रहा है या नहीं.
अक्षय पोर्टल पर उपलब्ध रहता है डाटा
टीबी की रोकथाम के लिए अक्षय पोर्टल का निर्माण किया गया है. जिस पर टीबी रोगियों के संदर्भ में जानकारी उपलब्ध कराई जाती है. जब मरीज इलाज के लिए केजीएमयू पहुंचता है तो सबसे पहले उसका डाटा अक्षय पोर्टल पर अपलोड किया जाता है. इसके बाद अक्षय पोर्टल से जानकारी संबंधित विभाग और डॉक्टर तक पहुंचती है. डॉक्टर इस जानकारी के आधार पर मरीज पर निगरानी रखते हैं.