लखनऊ: प्रदेश में विकास से जुड़ी बड़ी परियोजनाओं में निर्माण सामग्री और श्रमिकों के आपूर्तिकर्ताओं के GST रिटर्न भरने के मामले में भारी अनियमितता सामने आई है. ऐसे में वाणिज्य कर विभाग अब ऐसे आपूर्तिकर्ताओं यानी ठेकेदारों पर शिकंजा कसने जा रहा है. जिन्होंने जीएसटी आर-1 और जीएसटी आर 3b दाखिल करने में खेल किया है. इसका खुलासा विभाग की कर अनुसंधान इकाई ने अपनी जांच रिपोर्ट में किया था. इसके बाद वाणिज्य कर विभाग ऐसे निर्माण सप्लाई करने वाले ठेकेदारों की जांच करा कर कार्रवाई करने का फैसला किया है.
18 हजार से अधिक आपूर्तिकर्ता चिन्हित
वाणिज्य कर विभाग ने ऐसे 18,342 आपूर्तिकर्ता यानी ठेकेदारों को चिन्हित किया है. इन लोगों ने लगभग 2,652 करोड़ रुपये कम टैक्स जमा किया है. इनके जीएसटी आर 1 माल बिक्री से संबंधित सूचना के रिटर्न और जीएसटी आर-3b विक्रय की धनराशि पर अनुमन्य कर का भुगतान के आंकड़ों में भारी अंतर मिला है.
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एडिशनल कमिश्नर से मांगी गई रिपोर्ट
जांच रिपोर्ट के आधार पर सभी जोन के वाणिज्य कर के एडिशनल कमिश्नर को अपने अपने क्षेत्र के आपूर्तिकर्ता द्वारा दाखिल जीएसटी से संबंधित दस्तावेजों का परीक्षण कर मुख्यालय को रिपोर्ट भेजने के आदेश दिए गए हैं. प्रदेश में इस वक्त एक्सप्रेस-वे, डिफेंस कॉरिडोर और रियल स्टेट समेत अवस्थापना विकास की कई बड़ी परियोजनाएं संचालित हो रही हैं. यह योजनाएं सरकार की प्राथमिकता में हैं, ऐसे में केंद्र और राज्य सरकार इस पर अधिक बजट भी खर्च कर रही है. इस सेक्टर में विकास कार्य कराने को लेकर सरकारी विभागों द्वारा भारी मात्रा में माल एवं सेवाओं की आपूर्ति की जा रही है.
टैक्स देने में हेरफेर कर रहे हैं आपूर्तिकर्ता
जीएसटी प्रणाली में माल एवं सेवा की आपूर्ति पर 12 फीसद का टैक्स लागू है, लेकिन सामान लाने वाले कुछ आपूर्तिकर्ताओं द्वारा इसमें हेरफेर किया जा रहा है और कर चोरी की जा रही है. इसको लेकर संबंधित आपूर्तिकर्ताओं को चिन्हित करते हुए गहनता से जांच कराकर कार्रवाई के निर्देश वाणिज्य कर विभाग ने दिए हैं.