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क्या आपका Car Insurance समाप्त हो गया है ? नया इंश्योरेंस या इसे रिन्यू कराने जाएं तो बरतें ये सावधानियां - Make the most of your NCB

अगर आप बीमा नहीं कराते हैं तो आपको सड़कों पर गाड़ी चलाने के लिए दो हजार रुपये हर्जाना या तीन साल की सजा हो सकती है. वैसे भी कार का इंश्योरेंस होना बहुत जरूरी है. एक्सीडेंट, चोरी या किसी दूसरे तरह के नुकसान की स्थिति में बीमा आपको फाइनेंशियल लॉस (Financial Loss) से भी बचाता है. दूसरा, यह कानून के लिहाज से भी जरूरी है.

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car insurance कराने या इसे रिन्यू कराने से पहले बरतें ये सावधानियां
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Published : Apr 7, 2022, 5:25 PM IST

Updated : Apr 7, 2022, 6:44 PM IST

लखनऊ : वाहन खरीदने के साथ ही उसका बीमा कराना जरूरी है. हालांकि अधिकतर लोग इंश्योरेंस कराने से कतराते हैं. मोटर व्हीकल कानून लागू होने के बाद गाड़ी का बीमा कराना अब जरूरी हो गया है. अगर आप बीमा नहीं कराते हैं तो आपको सड़कों पर गाड़ी चलाने के लिए दो हजार रुपये हर्जाना या तीन साल की सजा हो सकती है. वैसे भी कार का इंश्योरेंस होना बहुत जरूरी है. एक्सीडेंट, चोरी या किसी दूसरे तरह के नुकसान की स्थिति में बीमा आपको फाइनेंशियल लॉस (Financial Loss) से भी बचाता है. दूसरा, यह कानून के लिहाज से भी जरूरी है. इंश्योरेंस के बगैर आप कार नहीं चला सकते. अगर आप बगैर इंश्योरेंस कार चलाते पकड़े जाते हैं तो आपको जुर्माना देना होगा. कार इंश्योरेंस से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें..

1. समय पर अपनी पॉलिसी रिन्यू कराएं : सबसे पहले आपको अपनी कार के इंश्योरेंस को चेक कर लेना चाहिए. अगर यह लैप्स कर गया है तो बगैर देरी इसका दोबारा इंश्योरेंस करा लें. अगर अगले कुछ महीनों में इंश्योरेंस लैप्स हो रहा है तो उसकी तारीख ध्यान में रखें. एक बार इंश्योरेंस लैप्स हो जाने पर आपको फिर से सारे कागजात जमा करने होंगे. इसलिए आपको पॉलिसी लैप्स करने से पहले ही उसे रिन्यू करा लेना चाहिए.

2. बीमा लेने से पहले ढंग से रिसर्च करें : अगर आप नया कार बीमा खरीद रहे हैं या रिन्यू कराते वक्त आप नई बीमा कंपनी पर स्विच करना चाहते हैं तो आपको अपनी जरूरत के हिसाब से सबसे पहले अच्छे से बीमा को लेकर रिसर्च करना चाहिए. आजकल ये काफी आसान हो गया है, आप कई ऑनलाइन पोर्टल पर जाकर इसके लिए कंपेयर या रिसर्च कर सकते हैं. इससे आपको अपने कार बीमा के प्रीमियम पर काफी पैसे बचाने में मदद मिलती है.

3. पालिसी का सही चुनाव जरूरी : मोटर का इंश्योरेंस कराते वक्त सही पालिसी का चयन जरूरी है. मुख्य रूप से चार तरह की इंश्योरेंस पॉलिसियां होतीं हैं जिनमें थर्ड पार्टी इंश्योरेंस और ओन डैमेज इंश्योरेंस भी शामिल हैं. इनमें अपने हिसाब से सही पालिसी का चयन करना चाहिए. ये पालिसियां इस प्रकार हैं..

थर्ड पार्टी इंश्योरेंस : कार के साथ थर्ड पार्टी इंश्योरेंस कराना कानूनी अनिवार्य है. इसके तहत आपके व्हीकल से सड़क पर चलने वाले किसी व्यक्ति या अन्य को या किसी प्रॉपर्टी को हुए नुकसान का मुआवजा दिया जाता है. ऐसी घटना के कारण आप पर बनने वाली कानूनी देनदारियों का इसी पॉलिसी से निपटारा होता है. इरडा के नियमों के मुताबिक, कार लेने पर 3 साल और टूव्हीलर लेने पर 5 साल का थर्ड पार्टी कवर लेना अनिवार्य है.

ऑन डैमेज : केवल व्हीकल को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए जो पॉलिसी खरीदी जाती है, उसे ओन डैमेज (Own Damage Policy) कहा जाता है. इसमें बीमा कंपनी कार को हुए नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजा देती है. IRDAI के मुताबिक, ओन डैमेज सेक्शन के तहत इन हालातों में नुकसान कवर होता है..

. आग, विस्फोट, अपने-आप आग लगना, बिजली गिरना

. भूकम्प. बाढ़, तूफान, चक्रवात, बवंडर, झंझावात, जल प्लवन, ओलावृष्टि, बर्फबारी

. रेल/सड़क, अंतर्देशीय जलमार्गों, लिफ्ट, एलिवेटर या वायु द्वारा सफर के दौरान भूस्खलन/चट्‌टानें खिसकना

. सेंधमारी/डाका/चोरी, दंगा और हड़ताल, बाह्य कारकों में दुर्घटना, दुर्भावनापूर्ण कृत्य, आतंकवादी कृत्य

यह भी पढ़ें : EPFO NEWS : जून में आ सकता है पीएफ ब्याज का पैसा, 2.5 लाख से अधिक डिपॉजिट पर टैक्स के दायरे में आएगा ब्याज

कॉम्प्रिहेन्सिव पॉलिसी या पैकेज पॉलिसी : थर्ड पार्टी बीमा के साथ जब Own Damage Policy भी एक ही पैकेज में शामिल करके ली जाती है तो उसे कॉम्प्रिहैन्सिव पॉलिसी कहते हैं. ऐसी पॉलिसी से अन्य व्यक्ति व वाहन को नुकसान के साथ-साथ आपके वाहन को हुए नुकसान की भी भरपाई एक ही पॉलिसी से हो जाती है. इरडा ने इसी लॉन्ग टर्म पैकेज पॉलिसी को लेने की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है. अब व्हीकल ओनर के लिए पैकेज में ​थर्ड पार्टी इंश्योरेंस व ओन डैमेज इंश्योरेंस लेना वैकल्पिक होगा. एक अगस्त से नया फोर व्हीलर लेने पर 3 साल और टूव्हीलर लेने पर 5 साल का थर्ड पार्टी कवर लेना जरूरी होगा. वहीं ओन डैमेज कवर के लिए दो विकल्प होंगे. पहला, ग्राहक थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के साथ बंडल में एक साल का ओन डैमेज कवर ले सकता है और दूसरा थर्ड पार्टी व ओन डैमेज के लिए दो अलग-अलग पॉलिसी ले सकता है.

व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा : कार दुर्घटना में गाड़ी चलाने वाले को हुई शारीरिक क्षति के लिए व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा काम आता है. इसे लेना भी थर्ड पार्टी इंश्योरेंस की तरह अनिवार्य है. इसमें चालक और सामने वाली सीट पर बैठे दूसरे व्यक्ति के अलावा अन्य पैसेंजर्स को भी शामिल किया जा सकता है. हादसे में अगर कार मालिक की मौत हो जाती है या स्थायी विकलांगता की स्थिति में उसे/ परिवार वालों को मुआवजा मिलता है. भारत में मोटर इंश्योरेंस के साथ व्हीकल ओनर/ड्राइवर और साथ में बैठे व्यक्ति के लिए न्यूनतम 15 लाख का व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा लेना अनिवार्य है. IRDAI ने 1 जनवरी 2019 से पर्सनल एक्सीडेंट कवर को मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी से अलग कर दिया है.

4. एड-ऑन सुविधा : मोटर बीमा पॉलिसी के तहत आप अपने अतिरिक्त प्रीमियम का भुगतान कर एड-ऑन की सुविधा ले सकते हैं. नए वाहनों के लिए जीरो डेप्रिसिएशन एड-ऑन जैसा कवर लिया जा सकता है. ये कवर नए वाहनों पर देय दावे और क्लेम पेयबल को बढ़ाता है. हालांकि आपके पास अगर पुराना वाहन है तो इस कवर का कोई फायदा नहीं है.

5. अतिरिक्त फैसिलिटी के लिए राइडर : इंश्योरेंस कंपनियां कंप्रिहेन्सिव पॉलिसी के साथ कई तरह के राइडर्स ऑफर देती हैं. इससे आपकी कार के प्रोटेक्शन का दायरा बढ़ जाता है. उदाहरण के लिए आप रोडसाइड एसिस्टेंस का राइडर ले सकते हैं. इसमें सफर के दौरान कार में खराबी आने पर मैकेनिक की व्यवस्था, कार को सुरक्षित जगह तक ले जाने, अल्टरनेटिव कार की व्यवस्था, फ्यूल डिलीवरी आदि शामिल होती है. राइ़डर लेने के लिए आपको अतरिक्त रकम चुकानी पड़ती है.

6. क्लेम सेटलमेंट रेशियो चेक करें : आपको कार का इश्योरेंस कराने से पहले बीमा कंपनी का क्लेम सेटलमेंट रेशियो (CSR) जरूर चेक कर लेना चाहिए. जिस इंश्योरेंस कंपनी का क्लेम सेटलमेंट रेशियो ज्यादा होता है, उससे बीमा कराना ठीक रहेगा. इससे क्लेम करने की स्थिति में आपको दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ेगा. कई बीमा कंपनियां क्लेम सेटल करने में देर करतीं हैं या उसे खारिज करने के बहाने ढूंढतीं हैं. 90 या इससे ऊपर का सीएसआर अच्छा माना जाता है.

7. नो-क्लेम बोनस का ख्याल रखें : अगर आप अपने कार बीमा को समय से रीन्यू कराते वक्त हर साल नो क्लेम का दावा करते हैं तो आपको प्रीमियम पर इसका बोनस मिलता है. पहले साल में नो क्लेम बोनस का फायदा प्रीमियम पर 20% तक छूट के तौर पर मिल सकता है. यानी अगर आपकी कार बीमा की किस्त 10,000 रुपये है तो नो क्लेम बोनस के तौर पर आपके 2,000 रुपये तक बच सकते हैं. नो क्लेम बोनस का लाभ हर साल बढ़ता जाता है.

8. लें बंपर to बंपर बीमा : अगर आप अपनी कार का बीमा करा रहे हैं तो आपको बंपर टू बंपर बीमा लेने के बारे में सोचना चाहिए. इस बीमा में सबसे बड़ा फायदा 100% डैमेज कवर का होता है. इससे ग्राहक निश्चिंत रहता है. वहीं, क्लेम सेटलमेंट के वक्त ग्राहक को पूरा कवरेज मिलता है. ऊपर से ग्राहक को डैमेज के बाद सर्विस कराने पर डेप्रिसिएशन कॉस्ट का नुकसान भी नहीं उठाना पड़ता.

इंश्योरेंस की दरों में बढ़ोतरी बढ़ाएगी टेंशन : चारपहिया या दोपहिया वाहन मालिकों को अब वाहन के इंश्योरेंस पर अपनी जेब हल्की करनी पड़ सकती है. सड़क परिवहन मंत्रालय ने अलग-अलग वाहनों के कैटेगरी में थर्ड पार्टी इंश्योरेंस (Third-Party Motor Insurance) की प्रीमियम को बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है, इसका सीधा असर वाहन मालिकों के जेब पर पड़ेगा. मंत्रालय के एक प्रस्ताव के अनुसार, थर्ड-पार्टी मोटर बीमा प्रीमियम में 21% तक की वृद्धि देखी जा सकती है. COVID-19 महामारी की शुरुआत के बाद दो साल से बीमा प्रीमियम को संशोधित नहीं किया गया है. भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) द्वारा हर साल थर्ड-पार्टी इंश्योरेंस की प्रीमियम दरों को संशोधित किया जाता है. आप अपनी वाहन बीमा पॉलिसी को एक अप्रैल, 2022 से पहले रिन्यू करा सकते हैं. 2022-23 तक प्रस्तावित थर्ड-पार्टी बीमा प्रीमियम दरें कुछ इस प्रकार होंगी.

प्रस्तावित थर्ड-पार्टी इंश्योरेंस प्रीमियम दरें : कार और बाइक्स के इंश्योरेंस प्रीमियम दरों में 1000cc की क्षमता वाले कारों की प्रीमियम दर में तकरीबन 01% का बदलाव देखने को मिलेगा. यह पहले 2,072 रुपये हुआ करता था अब वो 2,094 रुपये हो जाएगा. वहीं 1000 से 1500cc के बीच की इंजन क्षमता वाली कारों के इंश्योरेंस प्रीमियम दर 3,221 से बढ़कर 3,416 रुपये हो जाएगी. 1500cc से ज्यादा की कारों के लिए 7,897 रुपये प्रीमियम देना होगा, इसमें महज 7 रुपये का बदलाव देखने को मिला है.

लखनऊ : वाहन खरीदने के साथ ही उसका बीमा कराना जरूरी है. हालांकि अधिकतर लोग इंश्योरेंस कराने से कतराते हैं. मोटर व्हीकल कानून लागू होने के बाद गाड़ी का बीमा कराना अब जरूरी हो गया है. अगर आप बीमा नहीं कराते हैं तो आपको सड़कों पर गाड़ी चलाने के लिए दो हजार रुपये हर्जाना या तीन साल की सजा हो सकती है. वैसे भी कार का इंश्योरेंस होना बहुत जरूरी है. एक्सीडेंट, चोरी या किसी दूसरे तरह के नुकसान की स्थिति में बीमा आपको फाइनेंशियल लॉस (Financial Loss) से भी बचाता है. दूसरा, यह कानून के लिहाज से भी जरूरी है. इंश्योरेंस के बगैर आप कार नहीं चला सकते. अगर आप बगैर इंश्योरेंस कार चलाते पकड़े जाते हैं तो आपको जुर्माना देना होगा. कार इंश्योरेंस से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें..

1. समय पर अपनी पॉलिसी रिन्यू कराएं : सबसे पहले आपको अपनी कार के इंश्योरेंस को चेक कर लेना चाहिए. अगर यह लैप्स कर गया है तो बगैर देरी इसका दोबारा इंश्योरेंस करा लें. अगर अगले कुछ महीनों में इंश्योरेंस लैप्स हो रहा है तो उसकी तारीख ध्यान में रखें. एक बार इंश्योरेंस लैप्स हो जाने पर आपको फिर से सारे कागजात जमा करने होंगे. इसलिए आपको पॉलिसी लैप्स करने से पहले ही उसे रिन्यू करा लेना चाहिए.

2. बीमा लेने से पहले ढंग से रिसर्च करें : अगर आप नया कार बीमा खरीद रहे हैं या रिन्यू कराते वक्त आप नई बीमा कंपनी पर स्विच करना चाहते हैं तो आपको अपनी जरूरत के हिसाब से सबसे पहले अच्छे से बीमा को लेकर रिसर्च करना चाहिए. आजकल ये काफी आसान हो गया है, आप कई ऑनलाइन पोर्टल पर जाकर इसके लिए कंपेयर या रिसर्च कर सकते हैं. इससे आपको अपने कार बीमा के प्रीमियम पर काफी पैसे बचाने में मदद मिलती है.

3. पालिसी का सही चुनाव जरूरी : मोटर का इंश्योरेंस कराते वक्त सही पालिसी का चयन जरूरी है. मुख्य रूप से चार तरह की इंश्योरेंस पॉलिसियां होतीं हैं जिनमें थर्ड पार्टी इंश्योरेंस और ओन डैमेज इंश्योरेंस भी शामिल हैं. इनमें अपने हिसाब से सही पालिसी का चयन करना चाहिए. ये पालिसियां इस प्रकार हैं..

थर्ड पार्टी इंश्योरेंस : कार के साथ थर्ड पार्टी इंश्योरेंस कराना कानूनी अनिवार्य है. इसके तहत आपके व्हीकल से सड़क पर चलने वाले किसी व्यक्ति या अन्य को या किसी प्रॉपर्टी को हुए नुकसान का मुआवजा दिया जाता है. ऐसी घटना के कारण आप पर बनने वाली कानूनी देनदारियों का इसी पॉलिसी से निपटारा होता है. इरडा के नियमों के मुताबिक, कार लेने पर 3 साल और टूव्हीलर लेने पर 5 साल का थर्ड पार्टी कवर लेना अनिवार्य है.

ऑन डैमेज : केवल व्हीकल को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए जो पॉलिसी खरीदी जाती है, उसे ओन डैमेज (Own Damage Policy) कहा जाता है. इसमें बीमा कंपनी कार को हुए नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजा देती है. IRDAI के मुताबिक, ओन डैमेज सेक्शन के तहत इन हालातों में नुकसान कवर होता है..

. आग, विस्फोट, अपने-आप आग लगना, बिजली गिरना

. भूकम्प. बाढ़, तूफान, चक्रवात, बवंडर, झंझावात, जल प्लवन, ओलावृष्टि, बर्फबारी

. रेल/सड़क, अंतर्देशीय जलमार्गों, लिफ्ट, एलिवेटर या वायु द्वारा सफर के दौरान भूस्खलन/चट्‌टानें खिसकना

. सेंधमारी/डाका/चोरी, दंगा और हड़ताल, बाह्य कारकों में दुर्घटना, दुर्भावनापूर्ण कृत्य, आतंकवादी कृत्य

यह भी पढ़ें : EPFO NEWS : जून में आ सकता है पीएफ ब्याज का पैसा, 2.5 लाख से अधिक डिपॉजिट पर टैक्स के दायरे में आएगा ब्याज

कॉम्प्रिहेन्सिव पॉलिसी या पैकेज पॉलिसी : थर्ड पार्टी बीमा के साथ जब Own Damage Policy भी एक ही पैकेज में शामिल करके ली जाती है तो उसे कॉम्प्रिहैन्सिव पॉलिसी कहते हैं. ऐसी पॉलिसी से अन्य व्यक्ति व वाहन को नुकसान के साथ-साथ आपके वाहन को हुए नुकसान की भी भरपाई एक ही पॉलिसी से हो जाती है. इरडा ने इसी लॉन्ग टर्म पैकेज पॉलिसी को लेने की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है. अब व्हीकल ओनर के लिए पैकेज में ​थर्ड पार्टी इंश्योरेंस व ओन डैमेज इंश्योरेंस लेना वैकल्पिक होगा. एक अगस्त से नया फोर व्हीलर लेने पर 3 साल और टूव्हीलर लेने पर 5 साल का थर्ड पार्टी कवर लेना जरूरी होगा. वहीं ओन डैमेज कवर के लिए दो विकल्प होंगे. पहला, ग्राहक थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के साथ बंडल में एक साल का ओन डैमेज कवर ले सकता है और दूसरा थर्ड पार्टी व ओन डैमेज के लिए दो अलग-अलग पॉलिसी ले सकता है.

व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा : कार दुर्घटना में गाड़ी चलाने वाले को हुई शारीरिक क्षति के लिए व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा काम आता है. इसे लेना भी थर्ड पार्टी इंश्योरेंस की तरह अनिवार्य है. इसमें चालक और सामने वाली सीट पर बैठे दूसरे व्यक्ति के अलावा अन्य पैसेंजर्स को भी शामिल किया जा सकता है. हादसे में अगर कार मालिक की मौत हो जाती है या स्थायी विकलांगता की स्थिति में उसे/ परिवार वालों को मुआवजा मिलता है. भारत में मोटर इंश्योरेंस के साथ व्हीकल ओनर/ड्राइवर और साथ में बैठे व्यक्ति के लिए न्यूनतम 15 लाख का व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा लेना अनिवार्य है. IRDAI ने 1 जनवरी 2019 से पर्सनल एक्सीडेंट कवर को मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी से अलग कर दिया है.

4. एड-ऑन सुविधा : मोटर बीमा पॉलिसी के तहत आप अपने अतिरिक्त प्रीमियम का भुगतान कर एड-ऑन की सुविधा ले सकते हैं. नए वाहनों के लिए जीरो डेप्रिसिएशन एड-ऑन जैसा कवर लिया जा सकता है. ये कवर नए वाहनों पर देय दावे और क्लेम पेयबल को बढ़ाता है. हालांकि आपके पास अगर पुराना वाहन है तो इस कवर का कोई फायदा नहीं है.

5. अतिरिक्त फैसिलिटी के लिए राइडर : इंश्योरेंस कंपनियां कंप्रिहेन्सिव पॉलिसी के साथ कई तरह के राइडर्स ऑफर देती हैं. इससे आपकी कार के प्रोटेक्शन का दायरा बढ़ जाता है. उदाहरण के लिए आप रोडसाइड एसिस्टेंस का राइडर ले सकते हैं. इसमें सफर के दौरान कार में खराबी आने पर मैकेनिक की व्यवस्था, कार को सुरक्षित जगह तक ले जाने, अल्टरनेटिव कार की व्यवस्था, फ्यूल डिलीवरी आदि शामिल होती है. राइ़डर लेने के लिए आपको अतरिक्त रकम चुकानी पड़ती है.

6. क्लेम सेटलमेंट रेशियो चेक करें : आपको कार का इश्योरेंस कराने से पहले बीमा कंपनी का क्लेम सेटलमेंट रेशियो (CSR) जरूर चेक कर लेना चाहिए. जिस इंश्योरेंस कंपनी का क्लेम सेटलमेंट रेशियो ज्यादा होता है, उससे बीमा कराना ठीक रहेगा. इससे क्लेम करने की स्थिति में आपको दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ेगा. कई बीमा कंपनियां क्लेम सेटल करने में देर करतीं हैं या उसे खारिज करने के बहाने ढूंढतीं हैं. 90 या इससे ऊपर का सीएसआर अच्छा माना जाता है.

7. नो-क्लेम बोनस का ख्याल रखें : अगर आप अपने कार बीमा को समय से रीन्यू कराते वक्त हर साल नो क्लेम का दावा करते हैं तो आपको प्रीमियम पर इसका बोनस मिलता है. पहले साल में नो क्लेम बोनस का फायदा प्रीमियम पर 20% तक छूट के तौर पर मिल सकता है. यानी अगर आपकी कार बीमा की किस्त 10,000 रुपये है तो नो क्लेम बोनस के तौर पर आपके 2,000 रुपये तक बच सकते हैं. नो क्लेम बोनस का लाभ हर साल बढ़ता जाता है.

8. लें बंपर to बंपर बीमा : अगर आप अपनी कार का बीमा करा रहे हैं तो आपको बंपर टू बंपर बीमा लेने के बारे में सोचना चाहिए. इस बीमा में सबसे बड़ा फायदा 100% डैमेज कवर का होता है. इससे ग्राहक निश्चिंत रहता है. वहीं, क्लेम सेटलमेंट के वक्त ग्राहक को पूरा कवरेज मिलता है. ऊपर से ग्राहक को डैमेज के बाद सर्विस कराने पर डेप्रिसिएशन कॉस्ट का नुकसान भी नहीं उठाना पड़ता.

इंश्योरेंस की दरों में बढ़ोतरी बढ़ाएगी टेंशन : चारपहिया या दोपहिया वाहन मालिकों को अब वाहन के इंश्योरेंस पर अपनी जेब हल्की करनी पड़ सकती है. सड़क परिवहन मंत्रालय ने अलग-अलग वाहनों के कैटेगरी में थर्ड पार्टी इंश्योरेंस (Third-Party Motor Insurance) की प्रीमियम को बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है, इसका सीधा असर वाहन मालिकों के जेब पर पड़ेगा. मंत्रालय के एक प्रस्ताव के अनुसार, थर्ड-पार्टी मोटर बीमा प्रीमियम में 21% तक की वृद्धि देखी जा सकती है. COVID-19 महामारी की शुरुआत के बाद दो साल से बीमा प्रीमियम को संशोधित नहीं किया गया है. भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) द्वारा हर साल थर्ड-पार्टी इंश्योरेंस की प्रीमियम दरों को संशोधित किया जाता है. आप अपनी वाहन बीमा पॉलिसी को एक अप्रैल, 2022 से पहले रिन्यू करा सकते हैं. 2022-23 तक प्रस्तावित थर्ड-पार्टी बीमा प्रीमियम दरें कुछ इस प्रकार होंगी.

प्रस्तावित थर्ड-पार्टी इंश्योरेंस प्रीमियम दरें : कार और बाइक्स के इंश्योरेंस प्रीमियम दरों में 1000cc की क्षमता वाले कारों की प्रीमियम दर में तकरीबन 01% का बदलाव देखने को मिलेगा. यह पहले 2,072 रुपये हुआ करता था अब वो 2,094 रुपये हो जाएगा. वहीं 1000 से 1500cc के बीच की इंजन क्षमता वाली कारों के इंश्योरेंस प्रीमियम दर 3,221 से बढ़कर 3,416 रुपये हो जाएगी. 1500cc से ज्यादा की कारों के लिए 7,897 रुपये प्रीमियम देना होगा, इसमें महज 7 रुपये का बदलाव देखने को मिला है.

Last Updated : Apr 7, 2022, 6:44 PM IST
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