लखनऊ : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य बहुसंख्यक हिंदुओं की आस्था को ठेस पहुंचाने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं. पहले रामचरित मानस को लेकर विवादित टिप्पणी की और अब दीपावली के मौके पर मां लक्ष्मी पर भी बयान देकर चर्चा में आ गए. अपनी राजनीतिक जमीन खो चुके स्वामी प्रसाद मौर्य शायद ऐसे बयान देकर चर्चा में बने रहना चाहते हैं. हालांकि उनकी यह चाहत समाजवादी पार्टी के लिए घातक साबित हो सकती है. सपा मुखिया अखिलेश यादव को मालूम है कि अकेले मुसलमानों और यादवों के दम पर चुनाव नहीं जीता जा सकता है. यही कारण है कि न सिर्फ अखिलेश यादव स्वामी प्रसाद के बयानों से किनारा कर चुके हैं, बल्कि पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता भी इन बयानों से नाराज हैं. पांच राज्यों के बाद जब उत्तर प्रदेश में लोकसभा के चुनावों का माहौल बनेगा तो भाजपा इसे बड़ा मुद्दा बना सकती है, जिसका नुकसान समाजवादी पार्टी को होना तय है.
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5 वर्ष बीजेपी में आप कैबिनेट मंत्री रहे तब मां लक्ष्मी जी और भगवान गणेश जी पर अभद्र टिप्पणी करते हुए डरते थे।
— I.P. Singh (@IPSinghSp) November 13, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
आपकी बेटी बदायूं से सांसद हैं अपने को सनातनी बताती हैं कोई पूजा-पाठ नहीं छोड़ती। कम से कम आप अपने बेटे बेटी को समझा लेते।
पार्टी को नुकसान पहुँचाना बन्द करिये।
ये आपके… https://t.co/BRwXom9h4k pic.twitter.com/RL7uxGao8E
">5 वर्ष बीजेपी में आप कैबिनेट मंत्री रहे तब मां लक्ष्मी जी और भगवान गणेश जी पर अभद्र टिप्पणी करते हुए डरते थे।
— I.P. Singh (@IPSinghSp) November 13, 2023
आपकी बेटी बदायूं से सांसद हैं अपने को सनातनी बताती हैं कोई पूजा-पाठ नहीं छोड़ती। कम से कम आप अपने बेटे बेटी को समझा लेते।
पार्टी को नुकसान पहुँचाना बन्द करिये।
ये आपके… https://t.co/BRwXom9h4k pic.twitter.com/RL7uxGao8E5 वर्ष बीजेपी में आप कैबिनेट मंत्री रहे तब मां लक्ष्मी जी और भगवान गणेश जी पर अभद्र टिप्पणी करते हुए डरते थे।
— I.P. Singh (@IPSinghSp) November 13, 2023
आपकी बेटी बदायूं से सांसद हैं अपने को सनातनी बताती हैं कोई पूजा-पाठ नहीं छोड़ती। कम से कम आप अपने बेटे बेटी को समझा लेते।
पार्टी को नुकसान पहुँचाना बन्द करिये।
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इस संबंध में राजनीतिक विश्लेषक डॉ. दिलीप अग्निहोत्री कहते हैं 'उम्र के करीब सत्तरवें पड़ाव पर पहुंच कर स्वामी प्रसाद ने अपनी आस्था बयान की है. उन्होंने कहा कि वह दिपावली पर अपनी पत्नी का पूजन करते हैं. अभी तक वह अपने को बौद्ध कहते थे. वैसे पत्नी पूजन उनकी व्यक्तिगत आस्था है. इस पर कोई आपत्ति नहीं हो सकती. यदि वह यही संदेश देकर रुक जाते तो इस पर चर्चा की भी कोई आवश्यकता नहीं थी, लेकिन सपा में पहुंच कर वह हिंदू अस्था पर प्रहार का एजेंडा चला रहे हैं. इसी क्रम में उन्होंने देवी लक्ष्मी पर अमर्यादित टिप्पणी की है. वह जानते हैं कि हिंदू उदारवादी हैं. सहिष्णु हैं. इसलिए हिंदू धर्म पर हमला बोलकर अपने को राजनीति में चर्चित रखा जा सकता है. स्वामी प्रसाद यही कर रहे हैं. अन्य मजहबों पर बोलने के खतरे उन्हें मालूम है. इसलिए उसका पूरा ज्ञान हिंदुओं के लिए रहता है. अच्छा यह है कि इस नेता की कोई विश्वसनीयता नहीं रहा गई है. पार्टी के अनुरूप इनके रंग बदलते हैं. बसपा में थे तो मायावती को एक हाथ से पुष्प गुच्छ देते थे, दूसरे हांथ से उनका चरणा स्पर्श करते थे. भाजपा में पहुंचे तो सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के तत्व इनमें समाहित हो गए. इन दोनों दलों की यात्राओं के समय उनके निशाने पर सपा ही हुआ करती थी. बसपा में रहते हुए यह मुलायम सिंह यादव पर अमर्यादित टिप्पणी करते रहे. अच्छा है कि सपा के वर्तमान मुखिया उन बातों को याद नहीं करना चाहते. वैसे अखिलेश यादव को भी प्रदेश का सर्वाधिक विफल मुख्यमंत्री बताया गया था. आज स्वामी प्रसाद सपा के राष्ट्रीय महासचिव हैं.
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रामायण के अपमान पर चुप रहे समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव की माता महालक्ष्मी जी के अपमान पर भी चुप्पी ये साबित करती है कि सपा प्रमुख ने ही स्वामी प्रसाद मौर्य को राष्ट्रीय महासचिव बनाकर सनातन हिंदू धर्म के अपमान का एजेंडा सौप रखा है। ये भी साबित हो गया है कि सपा प्रमुख का…
— Bhupendra Singh Chaudhary (@Bhupendraupbjp) November 13, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
">रामायण के अपमान पर चुप रहे समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव की माता महालक्ष्मी जी के अपमान पर भी चुप्पी ये साबित करती है कि सपा प्रमुख ने ही स्वामी प्रसाद मौर्य को राष्ट्रीय महासचिव बनाकर सनातन हिंदू धर्म के अपमान का एजेंडा सौप रखा है। ये भी साबित हो गया है कि सपा प्रमुख का…
— Bhupendra Singh Chaudhary (@Bhupendraupbjp) November 13, 2023रामायण के अपमान पर चुप रहे समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव की माता महालक्ष्मी जी के अपमान पर भी चुप्पी ये साबित करती है कि सपा प्रमुख ने ही स्वामी प्रसाद मौर्य को राष्ट्रीय महासचिव बनाकर सनातन हिंदू धर्म के अपमान का एजेंडा सौप रखा है। ये भी साबित हो गया है कि सपा प्रमुख का…
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स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान का विरोध उन्हीं की पार्टी से शुरू हुआ और वरिष्ठ सपा नेता और पूर्व मंत्री आईपी सिंह ने कहा 'पांच वर्ष बीजेपी में आप कैबिनेट मंत्री रहे, तब मां लक्ष्मी जी और भगवान गणेश जी पर अभद्र टिप्पणी करते हुए डरते थे.आपकी बेटी बदायूं से सांसद हैं. अपने को सनातनी बताती हैं. कोई पूजा-पाठ नहीं छोड़तीं. कम से कम आप अपने बेटे-बेटी को समझा लेते. पार्टी को नुकसान पहुंचाना बंद करिए. यह आपके निजी विचार हैं. समाजवादी पार्टी से इसका दूर-दूर तक मतलब नहीं. समाजवादी पार्टी सभी धर्मों का सम्मान करती है.मैनपुरी की सांसद डिंपल यादव जी पांच नवंबर को बाबा केदारनाथ जी के दर्शन करके लौटी हैं. हिन्दू धर्म में पूरी आस्था है, समाजवादी पार्टी की.' इससे पहले खुद अखिलेश यादव और पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री रविदास मेहरोत्रा भी स्वामी प्रसाद मौर्य के बयानों से खुद को अलग कर चुके हैं.
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भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने भी स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी थी. उन्होंने कहा है कि रामायण के अपमान पर चुप रहे समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव की माता महालक्ष्मी जी के अपमान पर भी चुप्पी यह साबित करती है कि सपा प्रमुख ने ही स्वामी प्रसाद मौर्य को राष्ट्रीय महासचिव बनाकर सनातन हिंदू धर्म के अपमान का एजेंडा सौंप रखा है. यह भी साबित हो गया है कि सपा प्रमुख का खुद को हिंदू बताना, विष्णु जी और परशुराम जी का मंदिर बनवाने की घोषणा और अपने पूजा-पाठ का प्रचार कराना सब ढोंग है. अपनी तुष्टीकरण की राजनीति के कारण सपा प्रमुख हिंदू धर्म का अपमान कराने से बाज नहीं आने वाले. स्वामी प्रसाद मौर्य तो मानसिक रूप से दिवालिया हो गए हैं. वास्तव में उनके बयानों में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ही की सोच है. सपा प्रमुख हिंदू धर्म और देवी देवताओं को अपमानित कराना बंद करे.
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