लखनऊ: मध्यस्थता पैनल अयोध्या विवाद सुलझाने में विफल साबित हुआ. मंदिर-मस्जिद पक्षकार तीन महीने में भी इस मुद्दे का हल नहीं निकाल पाए, जिसकी वजह से सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता कमेटी को भंग कर दिया. अब सुप्रीम कोर्ट ने 6 अगस्त से इस मुद्दे की रोजाना सुनवाई शुरू करने का फैसला किया है. वहीं सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय पर मुस्लिम समुदाय ने देश की सर्वोच्च अदालत का स्वागत किया है और जल्द ही इस पर फैसले की उम्मीद जताई है.
मध्यस्थता कमेटी भंग होने पर बोले मुस्लिम
- मुस्लिम समुदाय से आने वाले जीशान खान का कहना है कि मध्यस्थता से इस बड़े मसले का हल निकालना मुश्किल ही लग रहा था.
- देश की सबसे बड़ी अदालत ने इसकी जल्द सुनवाई का फैसला किया है तो इसके जल्द हल होने की उम्मीद जगी है.
- पेशे से व्यापारी अबरार खान का कहना है कि इस मसले का हल अगर आपसी समझौते से हो जाता तो बेहतर था.
- प्रयोग विफल हो गया है, जो भी फैसला सुप्रीम कोर्ट करेगा, मुस्लिम समुदाय उसका स्वागत करेगा.
मुस्लिम समुदाय से आने वाले रईस अहमद का कहना है कि देश के इतने बड़े मुद्दे का हल जिसमें कई पक्षकार शामिल हों, उसमें सबकी रजामन्दी होना मुश्किल ही था. उलेमा का भी कहना है कि जो भी फैसला कोर्ट करेगा, वह हम सब मानेंगे.