ETV Bharat / state

लखनऊः एसजीपीजीआई में न्यूरो सर्जरी डिपार्टमेंट में 'सुनो सुनाओ' कार्यक्रम आयोजित

राजधानी लखनऊ के एसजीपीजीआई ने न्यूरो सर्जरी डिपार्टमेंट में ‘सुनो सुनाओ’ कार्यक्रम का आयोजन किया. इस कार्यक्रम में पेशेंट और उनके घर वालों के साथ डॉक्टर्स ने वर्कशॉप में हिस्सा लिया.

etv bharat
'सुनो सुनाओ' कार्यक्रम आयोजित
author img

By

Published : Jan 18, 2020, 2:42 PM IST

लखनऊः एसजीपीजीआई में न्यूरो सर्जरी डिपार्टमेंट ने ‘सुनो सुनाओ’ कार्यक्रम का आयोजन किया. इस कार्यक्रम में उन पेशेंट और उनके घर वालों को बुलाया गया. जिनका कोकलियर इंप्लांटेशन पीजीआई में हुआ था.

क्या है कोकलियर इंप्लांटेशन
कुछ बच्चे पैदा होने के बाद सुन और बोल नहीं सकते हैं. ऐसे बच्चों की सर्जरी के तहत उनके कान के अंदर एक मशीन लगाई जाती है. इसके बाद वह किसी भी सामान्य व्यक्ति की तरह आवाजों को सुन सकते हैं. इसी तकनीक को कोकलियर इंप्लांटेशन कहते हैं.

'सुनो सुनाओ' कार्यक्रम आयोजित.

यह तकनीक राजधानी लखनऊ के मेडिकल कॉलेज और एसजीपीजीआई में उपलब्ध है. इस तकनीक में इस्तेमाल की जाने वाली मशीनों को विदेशों से मंगाया जाता है. इसकी वजह से इस तकनीक का खर्च अधिक होता है.

डॉक्टरों का दावा इंप्लांटेशन के बाद 80 प्रतिशत बच्चे हुए नॉर्मल
ओरियंटेशन प्रोग्राम में पहुंचे बच्चों के माता-पिता ने बताया कि ऑपरेशन के बाद उन्हें बेहतर रिस्पांस मिल रहा है. उनका बच्चा अब सुन सकता है और वह बोल भी सकता है. डॉक्टर अमित केसरी ने बताया कि इस इंप्लांटेशन में करीब 6 लाख रुपये तक का खर्च आता है.

इसे भी पढे़ं- CAA और NRC के खिलाफ लखनऊ में महिलाओं का प्रदर्शन

साथ ही इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार अलग-अलग स्कीम चला रही है. पिछले 5 सालों में एसजीपीजीआई में अब तक 130 ऑपरेशन हुए हैं. इन ऑपरेशंस के बाद का फीडबैक भी काफी अच्छा रहा है और इन प्लांट किए गए बच्चों में से 80% बच्चे नॉर्मल स्कूल में पढ़ाई के लिए जाते हैं.

लखनऊः एसजीपीजीआई में न्यूरो सर्जरी डिपार्टमेंट ने ‘सुनो सुनाओ’ कार्यक्रम का आयोजन किया. इस कार्यक्रम में उन पेशेंट और उनके घर वालों को बुलाया गया. जिनका कोकलियर इंप्लांटेशन पीजीआई में हुआ था.

क्या है कोकलियर इंप्लांटेशन
कुछ बच्चे पैदा होने के बाद सुन और बोल नहीं सकते हैं. ऐसे बच्चों की सर्जरी के तहत उनके कान के अंदर एक मशीन लगाई जाती है. इसके बाद वह किसी भी सामान्य व्यक्ति की तरह आवाजों को सुन सकते हैं. इसी तकनीक को कोकलियर इंप्लांटेशन कहते हैं.

'सुनो सुनाओ' कार्यक्रम आयोजित.

यह तकनीक राजधानी लखनऊ के मेडिकल कॉलेज और एसजीपीजीआई में उपलब्ध है. इस तकनीक में इस्तेमाल की जाने वाली मशीनों को विदेशों से मंगाया जाता है. इसकी वजह से इस तकनीक का खर्च अधिक होता है.

डॉक्टरों का दावा इंप्लांटेशन के बाद 80 प्रतिशत बच्चे हुए नॉर्मल
ओरियंटेशन प्रोग्राम में पहुंचे बच्चों के माता-पिता ने बताया कि ऑपरेशन के बाद उन्हें बेहतर रिस्पांस मिल रहा है. उनका बच्चा अब सुन सकता है और वह बोल भी सकता है. डॉक्टर अमित केसरी ने बताया कि इस इंप्लांटेशन में करीब 6 लाख रुपये तक का खर्च आता है.

इसे भी पढे़ं- CAA और NRC के खिलाफ लखनऊ में महिलाओं का प्रदर्शन

साथ ही इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार अलग-अलग स्कीम चला रही है. पिछले 5 सालों में एसजीपीजीआई में अब तक 130 ऑपरेशन हुए हैं. इन ऑपरेशंस के बाद का फीडबैक भी काफी अच्छा रहा है और इन प्लांट किए गए बच्चों में से 80% बच्चे नॉर्मल स्कूल में पढ़ाई के लिए जाते हैं.

Intro:राजधानी लखनऊ के एसजीपीजीआई मैं न्यूरो सर्जरी डिपार्टमेंट के द्वारा सुनो सुनाओ कार्यक्रम का आयोजन किया गया इस कार्यक्रम में पेशेंट और उनके घर वालों के साथ डॉक्टर्स ने वर्कशॉप भी की।


Body:राजधानी लखनऊ के एसजीपीजीआई में न्यूरो सर्जरी डिपार्टमेंट के द्वारा सुनो सुनो कार्यक्रम का आयोजन किया गया इस कार्यक्रम में उन पेशेंट और उनके घर वालों को बुलाया गया जिनका कोकलियर इंप्लांटेशन पीजीआई में हुआ था।

क्या है कोकलियर इंप्लांटेशन-

कुछ बच्चे पैदा होने के बाद सुन व बोल नहीं सकते हैं ऐसे बच्चों की सर्जरी के द्वारा उनके कान के अंदर एक मशीन लगाई जाती है जिसके बाद वह किसी भी सामान्य व्यक्ति की तरह आवाजों को सुन सकते हैं इसी तकनीक को कोकलियर इंप्लांटेशन कहते हैं।

यह तकनीक राजधानी लखनऊ के मेडिकल कॉलेज व एसजीपीजीआई में उपलब्ध है इस तकनीक में इस्तेमाल की जाने वाली मशीनों को विदेशों से मंगाया जाता है जिसकी वजह से इस तकनीक का खर्च अधिक होता है।

ओरियंटेशन प्रोग्राम में पहुंचे बच्चों के माता-पिता ने बताया कि ऑपरेशन के बाद उन्हें बेहतर रिस्पांस मिल रहा है उनका बच्चा अब सुन सकता है और वह बोल भी सकता है।

बाइट- सुहानी अग्रवाल (पेरेंट्स)
बाइट- सुरेश जैसवाल (पेरेंट्स)

कोकलियर इंप्लांटेशन करने वाले डॉक्टर अमित केसरी ने बताया कि इस इंप्लांटेशन में करीब ₹6 लाख तक का खर्च आता है जिसके लिए केंद्र व राज्य सरकार अलग-अलग स्कीम चला रही है। पिछले 5 सालों में एसजीपीजीआई में अब तक 130 ऑपरेशन हुए हैं। इन ऑपरेशंस के बाद का फीडबैक भी काफी अच्छा रहा है और इन प्लांट किए गए बच्चों में से 80% बच्चे नॉर्मल स्कूल में पढ़ाई के लिए जाते हैं वहीं कई बच्चे बहुत छोटे हैं जिन्होंने अभी तक स्कूल जाना शुरु नहीं किया है।

बाइट- डॉ अमित केसरी (सर्जन एसजीपीजीआई)


Conclusion:एसजीपीजीआई के द्वारा सुनो सुनो कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें मरीज और उनके पेरेंट्स के साथ वर्कशॉप भी की। जिन बच्चों का कॉकलियर इंप्लांटेशन किया गया था उनका फीडबैक भी लिया गया वहीं पेरेंट्स भी काफी खुश नजर आए।

योगेश मिश्रा लखनऊ
7054179998
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.