लखनऊः एसजीपीजीआई में न्यूरो सर्जरी डिपार्टमेंट ने ‘सुनो सुनाओ’ कार्यक्रम का आयोजन किया. इस कार्यक्रम में उन पेशेंट और उनके घर वालों को बुलाया गया. जिनका कोकलियर इंप्लांटेशन पीजीआई में हुआ था.
क्या है कोकलियर इंप्लांटेशन
कुछ बच्चे पैदा होने के बाद सुन और बोल नहीं सकते हैं. ऐसे बच्चों की सर्जरी के तहत उनके कान के अंदर एक मशीन लगाई जाती है. इसके बाद वह किसी भी सामान्य व्यक्ति की तरह आवाजों को सुन सकते हैं. इसी तकनीक को कोकलियर इंप्लांटेशन कहते हैं.
यह तकनीक राजधानी लखनऊ के मेडिकल कॉलेज और एसजीपीजीआई में उपलब्ध है. इस तकनीक में इस्तेमाल की जाने वाली मशीनों को विदेशों से मंगाया जाता है. इसकी वजह से इस तकनीक का खर्च अधिक होता है.
डॉक्टरों का दावा इंप्लांटेशन के बाद 80 प्रतिशत बच्चे हुए नॉर्मल
ओरियंटेशन प्रोग्राम में पहुंचे बच्चों के माता-पिता ने बताया कि ऑपरेशन के बाद उन्हें बेहतर रिस्पांस मिल रहा है. उनका बच्चा अब सुन सकता है और वह बोल भी सकता है. डॉक्टर अमित केसरी ने बताया कि इस इंप्लांटेशन में करीब 6 लाख रुपये तक का खर्च आता है.
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साथ ही इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार अलग-अलग स्कीम चला रही है. पिछले 5 सालों में एसजीपीजीआई में अब तक 130 ऑपरेशन हुए हैं. इन ऑपरेशंस के बाद का फीडबैक भी काफी अच्छा रहा है और इन प्लांट किए गए बच्चों में से 80% बच्चे नॉर्मल स्कूल में पढ़ाई के लिए जाते हैं.