लखनऊ: कोरोना महामारी की वजह से लॉकडाउन के समय में चीनी की खपत में भारी कमी आई है. वहीं चीनी की कीमतों में भी करीब 10 फीसद की गिरावट आई है. इस समय सिर्फ डोमेस्टिक सेल ही हो रही है. लाकडॉउन की वजह से इंस्टीट्यूशनल सेल यानी होटल, रेस्टोरेंट, सॉफ्ट ड्रिंक इंडस्ट्री और फार्मा इंडस्ट्री में चीनी की खपत पूरी तरह से ठप हो गई, जिसकी वजह से पूरा चीनी कारोबार संकट में आ गया है.
शुगर मिल्स एसोसिएशन की तरफ से इसको लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक पत्र भी लिखा गया है. शुगर मिल मालिकों ने सरकार से राहत पैकेज दिए जाने की मांग भी की है. करीब 2 महीने से चल रहे लंबे लॉकडाउन ने प्रदेश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहे जाने वाले चीनी उद्योग की दिक्कतें बढ़ा दी हैं. चीनी की मांग पिछले कुछ सालों में सबसे कम है. मिठाई, चॉकलेट सहित अन्य चीनी के उपयोग से जुड़े उद्योग कन्फेक्शनरी सहित तमाम अन्य इंडस्ट्रीज में होने वाली चीनी की खपत कम हो गई है. ऐसे में 2 महीने में 25 लाख टन की खपत नहीं हो पाई, जबकि डोमेस्टिक सेल करीब 15 लाख टन ही हो पाई है.
चीनी कीमतों में आई कमी
शुगर मिल्स एसोसिएशन के अनुसार 2 महीने में करीब 15 लाख टन चीनी की ही आपूर्ति डोमेस्टिक सेल के माध्यम से की जा सकी है. ऐसी स्थिति में चीनी की कीमतों में भी कमी आई है. लॉकडाउन से पहले अगर फरवरी माह की बात करें तो 3500 रुपये प्रति क्विंटल चीनी के दाम घटकर अब लॉकडाउन के समय 3100 रुपये प्रति क्विंटल हो गए हैं. चीनी के दाम में करीब 10 से 11 फीसद की कमी आई है.
राहत पैकेज की मांग
संस्थागत चीनी की उठान न होने की वजह से चीनी मिल मालिकों के सामने संकट है. तमाम चीनी मिल चीनी नहीं भेज पाए. भंडारण क्षमता कम होने के कारण चीनी को खुले में रखना पड़ रहा है, जो अपने आप में भी एक बड़ी चुनौती है. उत्तर प्रदेश शुगर मिल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सीबी पटोदिया की तरफ से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चीनी उद्योग के संकट को दूर करने के लिए राहत पैकेज की भी मांग की गई है. यह राहत पैकेज नगद सब्सिडी के रूप में देने की मांग हुई है.
कठिन दौर से गुजर रहा चीनी उद्योग
शुगर मिल्स एसोसिएशन के अनुसार उत्तर प्रदेश में चीनी उद्योग से लगभग 50 लाख किसान और 5 लाख से ज्यादा कामगार प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़े हुए हैं. चीनी मिलें 10 हजार क्रय केंद्रों के साथ ही मिल गेट से हर साल करीब 30 से 35 हजार करोड़ रुपये का गन्ना खरीदती हैं. चीनी उत्पादन में देश में उत्तर प्रदेश नंबर वन स्थिति में है. सभी बड़े चीनी मिल की डिस्टलरी हैं और अकेले शराब से ही उत्तर प्रदेश को लगभग 24 हजार करोड़ का राजस्व मिलता है, लेकिन लॉकडाउन की वजह से यह चीनी उद्योग कठिन दौर से गुजर रहा है.
किसानों को गन्ना मूल्य का भुगतान कर पाना मुश्किल
शुगर मिल्स एसोसिएशन की तरफ से कहा गया है कि आयल कंपनियों द्वारा इथेनॉल की उठान न होने से भी संकट और बढ़ गया है. इसकी वजह पेट्रोल की बिक्री का घट जाना है. पावर कारपोरेशन पर साल भर से चीनी मिलों में उत्पादित बिजली का पैसा बकाया रहता है. ऐसे में किसानों को गन्ना मूल्य का भुगतान कर पाना भी काफी मुश्किल हो गया है.
उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव गन्ना एवं चीनी विभाग संजय भुसरेड्डी कहते हैं कि लॉकडाउन की वजह से चीनी की डिमांड में कमी आई है. ऐसे में स्वाभाविक रूप से चीनी मिल मालिकों के सामने संकट आया है. सरकार संकट को दूर करने को लेकर कुछ उपाय जरूर करेगी.