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अब छात्र-छात्राएं भी देंगे किसानों को फसल और उसमे लगने वाले कीटों की जानकारी

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Published : Oct 26, 2021, 10:43 PM IST

राजधानी लखनऊ के चंद्र भानु गुप्ता कृषि स्नातकोत्तर महाविद्यालय के छात्र-छात्राएं भी किसानों को कृषि व उनमें लगने वाले कीटों से संबंधित जानकारी देंगे. इसको लेकर महाविद्यालय विद्यार्थियों को प्रशिक्षित कर रहा है.

चंद्र भानु गुप्ता कृषि स्नातकोत्तर महाविद्यालय
चंद्र भानु गुप्ता कृषि स्नातकोत्तर महाविद्यालय

लखनऊः राजधानी के बख्शी का तालाब क्षेत्र में स्थित चंद्र भानु गुप्ता कृषि स्नातकोत्तर महाविद्यालय के कीट विज्ञान विभाग ने नई पहल शुरू की है. जिसके तहत अब शिक्षकों के साथ-साथ विद्यार्थी भी किसानों को कृषि व उनमें लगने वाले कीटों से संबंधित जानकारी देंगे. छात्र-छात्राएं ऑनलाइन अथवा ऑफलाइन माध्यम से किसान क्लब बनाकर उन्हें प्रशिक्षित करेंगे. जिससे उनकी आमदनी स्वयं बढ़ेगी और समय पर उनके खेतों में बुवाई एवं बिजाई का कार्य भी पूरा होगा.

चंद्र भानु गुप्ता कृषि स्नातकोत्तर महाविद्यालय लगातार अपने छात्र छात्राओं को खेतो में ले जाकर प्रशिक्षित कर रहा है, ताकि वह किसानों तक सही जानकारी पहुंचा सके. यह पहल महाविद्यालय नवंबर से शुरू करेगा. छात्र-छात्राएं जो क्लास में पढ़ेंगे उसे किसानों के साथ आफलाइन और ऑनलाइन के माध्यम से साझा करेंगें. इसके लिए गांव में किसान क्लब बनाने की भी तैयरी की जा रही है.

महाविद्यालय के सहायक आचार्य डॉ. सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि आज के समय में शिक्षा प्रयोगशाला तक न सीमित रह कर खेतों तक पहुंचाना हम सबकी जिम्मेदारी है. इसलिए महाविद्यालय ने यह पहल शुरू की है. उन्होंने बताया कि इस पहल की शुरुआत दिवाली के बाद से की जाएगी. जिसमे छात्र-छात्राएं ऑनलाइन ऑफलाइन के माध्यम से किसानों से अपनी जानकारी साझा करेंगी. इसके लिए किसान क्लब भी बनाए जाएंगे. जिसके जरिए अलग-अलग जिले से किसानों को जोड़ा जाएगा और उन्हें ऑनलाइन माध्यम से जानकारी दी जाएगी. इसमें छात्र-छात्राओं को खेतों में कीट की पहचान तथा उन्हें प्रबंधन की तकनीकी जानकारी दी जा रही है. जिससे छात्र-छात्राएं सीखकर खेतों में जाकर किसानों को बताएंगे. इससे किसान जल्दी से अपनी फसल पर लगने वाले कीटों की पहचान करके फसल को बचा सकेगा और अपनी आमदनी बड़ा सकेगा.

ईटीवी से बातचीत के दौरान बीएससी 5वें सेमेस्टर की छात्रा प्रतिष्ठा सिंह ने बताया कि आज महाविद्यालय के बख्शी का तालाब स्थित हाजीपुर कृषि फार्म पर लगी हुई धान की फसल में गंधी कीट प्लांट हापुर ,ग्रास हॉपर, कीटों की पहचान तथा उन्हें प्रबंधित करने एवं कैसे कीटनाशक स्प्रे किए जाएं की जानकारी हमें दी गई. ऐसे कीटों को जो पत्तियों के रस को चूसते हैं, उन्हें प्रबंधित करने के लिए क्लोरोपायरी फास कीटनाशक की 1ml मात्रा को 1 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करने से कीटों का प्रबंधन हो जाता है.


वहीं, बीएससी 5th सेमेस्टर के छात्र राजवीर सिंह ने बताया कि कृषि फार्म पर केले पर लगने वाले कीटो की जानकारी दी गई और बताया गया कि किसानों को इन्हें पहचानने के लिए कौन सी विधि अपनानी चाहिए और कब पहचानना चाहिए . रजनीश ने बताया कि पौधे की पत्तियां कटी हुई हो और कीट की विष्ठा पत्तियों के ऊपर दिखाई दे तो यह समझ लेना चाहिए कि इसमें बनाना विटल का प्रकोप है. इस किट को प्रबंधित करने के लिए lambda-cyhalothrin तथा इममेक्यूटिन बेंजोएट कीटनाशक का छिड़काव करना चाहिए.

इसे भी पढ़ें-किसान ने खोली धान खरीद में रिश्वतखोरी की पोल, रंगे हाथों पकड़ा गया रिश्वतखोर



बीएससी 5th सेमेस्टर की छात्रा निहारिका यादव ने बताया कि धान में जब दुग्ध अवस्था होती है तो गंधी कीट लगता है. रवि फसलों की बुवाई होनी है उसमें भी कीट एवं बीमारियों का अधिक प्रकोप होगा. इसके लिए समय से प्रबंधन कर लेने से फसलें बच जाती हैं. उन्होंने माहू कीट के जैविक प्रबंधन की बात करते हुए बताया कि लेडीबर्ड बीटल की पहचान करने और कैसे खेतों में छोड़ा जाए इसकी जानकारी डॉक्टर सत्येंद्र कुमार सिंह ने दी. निहारिका ने बताया कि जब बहुत अधिक खेतों में कीटो की संख्या हो तो उस समय इमिडाक्लोप्रिड की 0.5 एम माता को 1 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए.

लखनऊः राजधानी के बख्शी का तालाब क्षेत्र में स्थित चंद्र भानु गुप्ता कृषि स्नातकोत्तर महाविद्यालय के कीट विज्ञान विभाग ने नई पहल शुरू की है. जिसके तहत अब शिक्षकों के साथ-साथ विद्यार्थी भी किसानों को कृषि व उनमें लगने वाले कीटों से संबंधित जानकारी देंगे. छात्र-छात्राएं ऑनलाइन अथवा ऑफलाइन माध्यम से किसान क्लब बनाकर उन्हें प्रशिक्षित करेंगे. जिससे उनकी आमदनी स्वयं बढ़ेगी और समय पर उनके खेतों में बुवाई एवं बिजाई का कार्य भी पूरा होगा.

चंद्र भानु गुप्ता कृषि स्नातकोत्तर महाविद्यालय लगातार अपने छात्र छात्राओं को खेतो में ले जाकर प्रशिक्षित कर रहा है, ताकि वह किसानों तक सही जानकारी पहुंचा सके. यह पहल महाविद्यालय नवंबर से शुरू करेगा. छात्र-छात्राएं जो क्लास में पढ़ेंगे उसे किसानों के साथ आफलाइन और ऑनलाइन के माध्यम से साझा करेंगें. इसके लिए गांव में किसान क्लब बनाने की भी तैयरी की जा रही है.

महाविद्यालय के सहायक आचार्य डॉ. सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि आज के समय में शिक्षा प्रयोगशाला तक न सीमित रह कर खेतों तक पहुंचाना हम सबकी जिम्मेदारी है. इसलिए महाविद्यालय ने यह पहल शुरू की है. उन्होंने बताया कि इस पहल की शुरुआत दिवाली के बाद से की जाएगी. जिसमे छात्र-छात्राएं ऑनलाइन ऑफलाइन के माध्यम से किसानों से अपनी जानकारी साझा करेंगी. इसके लिए किसान क्लब भी बनाए जाएंगे. जिसके जरिए अलग-अलग जिले से किसानों को जोड़ा जाएगा और उन्हें ऑनलाइन माध्यम से जानकारी दी जाएगी. इसमें छात्र-छात्राओं को खेतों में कीट की पहचान तथा उन्हें प्रबंधन की तकनीकी जानकारी दी जा रही है. जिससे छात्र-छात्राएं सीखकर खेतों में जाकर किसानों को बताएंगे. इससे किसान जल्दी से अपनी फसल पर लगने वाले कीटों की पहचान करके फसल को बचा सकेगा और अपनी आमदनी बड़ा सकेगा.

ईटीवी से बातचीत के दौरान बीएससी 5वें सेमेस्टर की छात्रा प्रतिष्ठा सिंह ने बताया कि आज महाविद्यालय के बख्शी का तालाब स्थित हाजीपुर कृषि फार्म पर लगी हुई धान की फसल में गंधी कीट प्लांट हापुर ,ग्रास हॉपर, कीटों की पहचान तथा उन्हें प्रबंधित करने एवं कैसे कीटनाशक स्प्रे किए जाएं की जानकारी हमें दी गई. ऐसे कीटों को जो पत्तियों के रस को चूसते हैं, उन्हें प्रबंधित करने के लिए क्लोरोपायरी फास कीटनाशक की 1ml मात्रा को 1 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करने से कीटों का प्रबंधन हो जाता है.


वहीं, बीएससी 5th सेमेस्टर के छात्र राजवीर सिंह ने बताया कि कृषि फार्म पर केले पर लगने वाले कीटो की जानकारी दी गई और बताया गया कि किसानों को इन्हें पहचानने के लिए कौन सी विधि अपनानी चाहिए और कब पहचानना चाहिए . रजनीश ने बताया कि पौधे की पत्तियां कटी हुई हो और कीट की विष्ठा पत्तियों के ऊपर दिखाई दे तो यह समझ लेना चाहिए कि इसमें बनाना विटल का प्रकोप है. इस किट को प्रबंधित करने के लिए lambda-cyhalothrin तथा इममेक्यूटिन बेंजोएट कीटनाशक का छिड़काव करना चाहिए.

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बीएससी 5th सेमेस्टर की छात्रा निहारिका यादव ने बताया कि धान में जब दुग्ध अवस्था होती है तो गंधी कीट लगता है. रवि फसलों की बुवाई होनी है उसमें भी कीट एवं बीमारियों का अधिक प्रकोप होगा. इसके लिए समय से प्रबंधन कर लेने से फसलें बच जाती हैं. उन्होंने माहू कीट के जैविक प्रबंधन की बात करते हुए बताया कि लेडीबर्ड बीटल की पहचान करने और कैसे खेतों में छोड़ा जाए इसकी जानकारी डॉक्टर सत्येंद्र कुमार सिंह ने दी. निहारिका ने बताया कि जब बहुत अधिक खेतों में कीटो की संख्या हो तो उस समय इमिडाक्लोप्रिड की 0.5 एम माता को 1 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए.

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