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UPSSSC की परीक्षा में हुई थी धोखाधड़ी, SIT ने शुरु की जांच

प्रदेश पुलिस के विशेष जांच दल (SIT) ने उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की परीक्षा में गड़बड़ी की कोशिश करने वाले सभी 136 अभ्यर्थियों से संबंधित मुकदमे की जांच शुरू कर दी है. यह भर्ती परीक्षा वर्ष 2018 में कराई गई थी.

UPSSSC की परीक्षा में हुई थी धोखाधड़ी
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Published : Mar 10, 2021, 6:32 AM IST

लखनऊ: राजधानी में वर्ष 2018 में कराई गई उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की परीक्षा में गड़बड़ी की कोशिश की गई थी. जिसके बाद प्रदेश पुलिस के विशेष जांच दल (SIT) ने सभी 136 अभ्यर्थियों से संबंधित मुकदमे की जांच शुरू कर दी है.

अवर सचिव ने शिकायत दर्ज कराई थी कि ग्राम पंचायत अधिकारी, ग्राम विकास अधिकारी एवं पर्यवेक्षक समाज कल्याण के पदों पर भर्ती के लिए प्रदेश के 16 जिलों के 572 परीक्षा केंद्रों पर 22 व 23 दिसंबर 2018 को दो-दो पालियों में परीक्षा कराई गई थी. लिखित परीक्षा में उत्तर पत्रक (OMR) की तीन प्रतियां तकनीकी संस्था के माध्यम से तैयार कराई गई थीं. ओएमआर की दूसरी प्रति जिले के कोषागार में परीक्षा के दिन ही जमा करा दी गई थी.

अवर सचिव के मुताबिक, परीक्षा परिणाम तैयार करते समय जिन 136 अभ्यर्थियों द्वारा ओएमआर में की गई गड़बड़ी सामने आई, उन्हें आयोग ने परीक्षा से बाहर कर दिया. साथ ही उनके विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराने का फैसला किया. इन अभ्यर्थियों को तीन वर्षों से लिए आयोग की सभी परीक्षाओं से प्रतिबंधित करने तथा इनसे संबंधित परीक्षा केंद्रों को भविष्य में आयोग की किसी परीक्षा के लिए परीक्षा केंद्र न बनाने का भी फैसला किया गया था. इन अभ्यर्थियों के मूल ओएमआर एवं कोषागार में जमा ओएमआर के स्कोर में असामान्य रूप से भिन्नता पाई गई थी. इससे यह माना गया कि इन अभ्यर्थियों ने अज्ञात लोगों के साथ मिलकर साजिश रचते हुए सरकारी नौकरी पाने की कोशिश की थी.


शासन के आदेश पर एसआईटी ने दर्ज कराया था मुकदमा
शासन के आदेश पर एसआईटी ने धोखाधड़ी से संबंधित आईपीसी की धारा 420 के अलावा 468, 471 व 477-ए के तहत यह मुकदमा लखनऊ के विभूतिखंड थाने में दर्ज कर लिया है. यह मुकदमा चयन आयोग के अवर सचिव राम नरेश प्रजापति की तहरीर पर दर्ज किया गया है. मूल मुकदमा अगस्त 2019 में लखनऊ के विभूति खंड थाने में दर्ज कराया गया था.

लखनऊ: राजधानी में वर्ष 2018 में कराई गई उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की परीक्षा में गड़बड़ी की कोशिश की गई थी. जिसके बाद प्रदेश पुलिस के विशेष जांच दल (SIT) ने सभी 136 अभ्यर्थियों से संबंधित मुकदमे की जांच शुरू कर दी है.

अवर सचिव ने शिकायत दर्ज कराई थी कि ग्राम पंचायत अधिकारी, ग्राम विकास अधिकारी एवं पर्यवेक्षक समाज कल्याण के पदों पर भर्ती के लिए प्रदेश के 16 जिलों के 572 परीक्षा केंद्रों पर 22 व 23 दिसंबर 2018 को दो-दो पालियों में परीक्षा कराई गई थी. लिखित परीक्षा में उत्तर पत्रक (OMR) की तीन प्रतियां तकनीकी संस्था के माध्यम से तैयार कराई गई थीं. ओएमआर की दूसरी प्रति जिले के कोषागार में परीक्षा के दिन ही जमा करा दी गई थी.

अवर सचिव के मुताबिक, परीक्षा परिणाम तैयार करते समय जिन 136 अभ्यर्थियों द्वारा ओएमआर में की गई गड़बड़ी सामने आई, उन्हें आयोग ने परीक्षा से बाहर कर दिया. साथ ही उनके विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराने का फैसला किया. इन अभ्यर्थियों को तीन वर्षों से लिए आयोग की सभी परीक्षाओं से प्रतिबंधित करने तथा इनसे संबंधित परीक्षा केंद्रों को भविष्य में आयोग की किसी परीक्षा के लिए परीक्षा केंद्र न बनाने का भी फैसला किया गया था. इन अभ्यर्थियों के मूल ओएमआर एवं कोषागार में जमा ओएमआर के स्कोर में असामान्य रूप से भिन्नता पाई गई थी. इससे यह माना गया कि इन अभ्यर्थियों ने अज्ञात लोगों के साथ मिलकर साजिश रचते हुए सरकारी नौकरी पाने की कोशिश की थी.


शासन के आदेश पर एसआईटी ने दर्ज कराया था मुकदमा
शासन के आदेश पर एसआईटी ने धोखाधड़ी से संबंधित आईपीसी की धारा 420 के अलावा 468, 471 व 477-ए के तहत यह मुकदमा लखनऊ के विभूतिखंड थाने में दर्ज कर लिया है. यह मुकदमा चयन आयोग के अवर सचिव राम नरेश प्रजापति की तहरीर पर दर्ज किया गया है. मूल मुकदमा अगस्त 2019 में लखनऊ के विभूति खंड थाने में दर्ज कराया गया था.

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