लखनऊ: बीटीसी (अब डीएलएड) को कुछ समय पहले तक सरकारी नौकरी का टिकट माना जाता है. इसमें प्रवेश का मतलब था कि सरकारी स्कूल में नौकरी पक्की. लेकिन, अब इस कोर्स की हालत खराब हो चली है. इस साल यूपी में इस पाठ्यक्रम को पढ़ने के लिए छात्र ही नहीं मिल रहे हैं, जबकि बीएड में दाखिले के लिए मारामरी है. काउंसलिंग के शुरुआती दो चरणों में ही काफी हद तक सीट भर गई हैं.
लखनऊ विश्वविद्यालय की शिक्षाशास्त्र विभाग की प्रो. अमिता बाजपेयी बताती हैं कि वर्ष 2018 में राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने नियमों में बदलाव कर दिया है. बीएड करने वाले छात्र-छात्राओं को प्राथमिक कक्षाओं को भी पढ़ाने की अनुमति दे दी है. ऐसे में बीएड के बाद अभ्यर्थी के लिए प्राइमरी और जूनियर दोनों में पढ़ाने के रास्ते खुल जाते हैं. इसके नतीजे अब नजर आने लगे हैं. छात्र डीएलएड से ज्यादा बीएड की ओर बढ़ रहे हैं.
एक लाख से ज्यादा सीट रही खाली
उत्तर प्रदेश में इस बार डीएलएड की हालत खराब रही है. यहां कुल 2.28 लाख सीटे हैं. एक अक्टूबर को जारी अन्तिम आवंटन में 96,134 सीट भरी. यानी करीब 1.32 लाख खाली रह गई हैं. बता दें, यूपी में 67 जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में करीब 10,600 और 3087 निजी कॉलेजों में 2.18 लाख सीट उपलब्ध हैं. जानकारों की मानें तो डीएलएड के कई निजी कॉलेजों के इस बार खाते तक नहीं खुल पाए हैं.
बीएड में प्रवेश की प्रक्रिया जारी
डीएलएड में अन्तिम आवंटन सूची जारी कर दी गई है. बीएड में अभी प्रवेश लिए जा रहे हैं. बीएड की राज्य प्रवेश समन्वयक प्रो. अमिता बाजपेई ने बताया कि स्टेट रैंक दो लाख एक से 3.50 लाख तक और पहली व दूसरी काउंसलिंग में छूट हुए अभ्यर्थियों को मौका दिया गया है. यह छह अक्टूबर यानी बुधवार तक च्वाइस फिलिंग कर सकते हैं.
बीएड में मारामारी डीएलएड की सीट खाली, जानिए कैसे बदल गया दाखिले का गणित
डीएलएड के 2021 सत्र में प्रवेश के लिए कॉलेजों को छात्र नहीं मिल रहे. सैकड़ों कॉलेज ऐसे हैं जहां बमुश्किल एक दर्जन छात्र भी नहीं मिले हैं. कुल मिलाकर कभी पक्की नौकरी का टिकट माने जाने वाली बीटीसी (अब डीएलएड) के प्रति छात्रों का क्रेज कम होता जा रहा है.
लखनऊ: बीटीसी (अब डीएलएड) को कुछ समय पहले तक सरकारी नौकरी का टिकट माना जाता है. इसमें प्रवेश का मतलब था कि सरकारी स्कूल में नौकरी पक्की. लेकिन, अब इस कोर्स की हालत खराब हो चली है. इस साल यूपी में इस पाठ्यक्रम को पढ़ने के लिए छात्र ही नहीं मिल रहे हैं, जबकि बीएड में दाखिले के लिए मारामरी है. काउंसलिंग के शुरुआती दो चरणों में ही काफी हद तक सीट भर गई हैं.
लखनऊ विश्वविद्यालय की शिक्षाशास्त्र विभाग की प्रो. अमिता बाजपेयी बताती हैं कि वर्ष 2018 में राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने नियमों में बदलाव कर दिया है. बीएड करने वाले छात्र-छात्राओं को प्राथमिक कक्षाओं को भी पढ़ाने की अनुमति दे दी है. ऐसे में बीएड के बाद अभ्यर्थी के लिए प्राइमरी और जूनियर दोनों में पढ़ाने के रास्ते खुल जाते हैं. इसके नतीजे अब नजर आने लगे हैं. छात्र डीएलएड से ज्यादा बीएड की ओर बढ़ रहे हैं.
एक लाख से ज्यादा सीट रही खाली
उत्तर प्रदेश में इस बार डीएलएड की हालत खराब रही है. यहां कुल 2.28 लाख सीटे हैं. एक अक्टूबर को जारी अन्तिम आवंटन में 96,134 सीट भरी. यानी करीब 1.32 लाख खाली रह गई हैं. बता दें, यूपी में 67 जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में करीब 10,600 और 3087 निजी कॉलेजों में 2.18 लाख सीट उपलब्ध हैं. जानकारों की मानें तो डीएलएड के कई निजी कॉलेजों के इस बार खाते तक नहीं खुल पाए हैं.
बीएड में प्रवेश की प्रक्रिया जारी
डीएलएड में अन्तिम आवंटन सूची जारी कर दी गई है. बीएड में अभी प्रवेश लिए जा रहे हैं. बीएड की राज्य प्रवेश समन्वयक प्रो. अमिता बाजपेई ने बताया कि स्टेट रैंक दो लाख एक से 3.50 लाख तक और पहली व दूसरी काउंसलिंग में छूट हुए अभ्यर्थियों को मौका दिया गया है. यह छह अक्टूबर यानी बुधवार तक च्वाइस फिलिंग कर सकते हैं.