लखनऊ : राजधानी की सड़कों पर बेसहारा पशुओं की भरमार है. गायों से दूध निकालने के बाद लोग उन्हें सड़कों पर छोड़ देते हैं जिससे वे कहीं भी गंदगी करती हैं और हादसों का कारण भी बनती हैं. नगर निगम का कैटल कैचिंग दस्ता नजर नहीं आता है. वहीं पशुपालन विभाग की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की जाती है. पशुधन मंत्री कहते हैं कि जानवरों को बेसहारा छोड़ने वालों पर मुकदमा दर्ज कराया जाएगा, लेकिन अभी तक प्रदेश में ऐसा एक भी मुकदमा दर्ज नहीं कराया गया है. इसी के चलते छुट्टा पशुओं की संख्या बढ़ती ही जा रही है.
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ समेत यूपी के ग्रामीण और शहरी इलाकों में छुट्टा जानवरों की समस्या से लोग परेशान हैं. किसानों की फसलें छुट्टा जानवर खा जाते हैं. जिसकी वजह से किसानों की फसल की पैदावार कम हो जाती है. वहीं शहरी इलाकों में बड़ी संख्या में बेसहारा पशु सड़कों पर चहलकदमी करते रहते हैं. जिससे दुर्घटना का बड़ा कारण भी बनते हैं. लखनऊ की जिस सड़क से आप निकल जाएं उधर ऐसे ही छुट्टा जानवर जिनमें गाय और सांड़ मुख्य हैं, सड़कों पर टहलते हुए नजर आ जाएंगे. आए दिन इन्हीं की वजह से बाइक सवार या फिर कार सवार चोटिल हो जाते हैं. सवाल यह है कि ऐसे पशुओं को पकड़ने का दम भरने वाले नगर निगम के कर्मचारी कहां हैं? कैटल कैचिंग दस्ता कर क्या रहा है?
लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश की सड़कों पर बेसहारा पशु घूम रहे हैं. छुट्टा जानवरों के चलते फसलों को नुकसान हो रहा है. इन पर रोक लगा पाना प्रदेश के पशुपालन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह को मुश्किल हो रहा है. उनका यहां तक कहना है कि सरकार चाहे अपना पूरा बजट लगा दे फिर भी बेसहारा पशुओं की समस्या खत्म होना मुश्किल है. हम गौ आश्रय बना रहे हैं, जहां पर गायों को संरक्षण दे रहे हैं. साथ ही बेसहारा पशुओं की समस्या दूर कर रहे हैं, लेकिन यह काफी मुश्किल हो रहा है. उनका कहना है कि जब तक लोग और समाज खुद नहीं सोचेगा तब तक यह समस्या दूर होना काफी मुश्किल है. लोगों को खुद ही सोचना होगा कि गायों को संरक्षण प्रदान करें, उनकी देखभाल करें, उन्हें खुले में न छोड़ें.
यह भी पढ़ें : हाउसिंग बोर्ड में नामांतरण शुल्क में अब भारी छूट, जानिये कितना होगा खर्च