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लखनऊ और दिल्ली में धूम मचा रही खीरी की स्ट्रॉबेरी

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले की स्ट्रॉबेरी ने लखनऊ, दिल्ली और नेपाल तक में धूम मचा रखी है. खूबसूरत साइज और बेहद रसीले होने की चलते खीरी की इस स्ट्रॉबेरी की डिमांड महानगरों में खूब है. जिले में अब गन्ने की खेती छोड़ लोग स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं.

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महानगरों में बढ़ रही खीरी की स्ट्रॉबेरी की डिमांड.
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Published : Jan 28, 2020, 10:53 AM IST

लखीमपुर खीरी: जिले की स्ट्रॉबेरी राजधानी लखनऊ से लेकर दिल्ली और नेपाल तक धूम मचा रही है. अपने बड़े खूबसूरत साइज और बेहद रसीले होने की कारण स्ट्रॉबेरी की डिमांड अब महानगरों में खूब बढ़ती जा रही है. गन्ने का कटोरा कहे जाने वाले खीरी जिले में अब किसान स्ट्रॉबेरी की खेती ज्यादा करने लगे हैं. इसमें लागत के मुताबिक मुनाफा अच्छा हो रहा है और किसानों को पैसा भी तुरंत मिल जाता है.

महानगरों में बढ़ रही खीरी की स्ट्रॉबेरी की डिमांड.

युवा किसान आकाशदीप ने शुरू की खेती
जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर बेहजम कस्बे में युवा किसान आकाशदीप ने स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की है. पहले वो गन्ने की खेती किया करते थे, लेकिन पेमेंट की दिक्कतों के चलते अब उन्होंने विकल्प के रूप में मिठास की तोड़ को मिठास से ही ढूंढ लिया है. इसके चलते उन्होंने गन्ने की जगह स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू कर दी है. इस बार आकाशदीप को पहली बार ही स्ट्राबेरी की खेती करने पर अच्छा रिजल्ट मिला है.

बेड बनाकर मल्चिंग शीट पर होती है खेती
स्ट्रॉबेरी की खेती थोड़ी टेकिनिकल खेती होती है. इसमें पहले जमीन की खूब अच्छी तरह से जोताई की जाती है. फिर बेड बनाकर बेड्स पर मल्चिंग शीट बिछाई जाती है. इसके बाद स्ट्रॉबेरी की पौध लगाई जाती है. एक एकड़ में दो से तीन लाख का खर्च आता है. पानी भी ड्रिप इरिगेशन पद्धति से दिया जाता है. स्ट्रॉबेरी बड़ी ही सेंसिटिव क्रॉप होती है, इसलिए इसका बड़ा ध्यान रखना पड़ता. ठंड और पाले से बचाने के लिए पॉलीथिन शीट से रात को ढकना पड़ता है और धूप में खोलना पड़ता है.

स्ट्रॉबेरी की कई शहरों में डिमांड
लखनऊ से लेकर दिल्ली और नेपाल में इसकी सप्लाई लगातार बढ़ती जा रही है. यहां की स्ट्रॉबेरी का साइज बहुत बड़ा है. यह देखने में खूबसूरत है. यहां की स्ट्रॉबेरी रसीली इतनी है कि जो खा ले वह मुरीद हो जाए, इसीलिए दूर-दूर से लगातार डिमांड आ रही हैं. लखनऊ, बरेली और दिल्ली के साथ नेपाल तक में यहां की स्ट्राबेरी ने धूम मचा रखी है.

स्ट्रॉबेरी पहली बार लगाई, लेकिन इक्स्पिरीयन्स अच्छा रहा है. सबसे खुशी की बात यह है कि हमारी स्ट्रॉबेरी का साइज बड़ा और रसीला है. किसानों को भी इस खेती को करना चाहिए, जिससे खीरी जिला स्ट्रॉबेरी का हब बन सके और यहां अच्छी मार्केट मिले. गन्ने की ही तरह स्ट्राबेरी से भी जिले को पहचान मिलेगी.
-आकाशदीप, किसान

लखीमपुर खीरी: जिले की स्ट्रॉबेरी राजधानी लखनऊ से लेकर दिल्ली और नेपाल तक धूम मचा रही है. अपने बड़े खूबसूरत साइज और बेहद रसीले होने की कारण स्ट्रॉबेरी की डिमांड अब महानगरों में खूब बढ़ती जा रही है. गन्ने का कटोरा कहे जाने वाले खीरी जिले में अब किसान स्ट्रॉबेरी की खेती ज्यादा करने लगे हैं. इसमें लागत के मुताबिक मुनाफा अच्छा हो रहा है और किसानों को पैसा भी तुरंत मिल जाता है.

महानगरों में बढ़ रही खीरी की स्ट्रॉबेरी की डिमांड.

युवा किसान आकाशदीप ने शुरू की खेती
जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर बेहजम कस्बे में युवा किसान आकाशदीप ने स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की है. पहले वो गन्ने की खेती किया करते थे, लेकिन पेमेंट की दिक्कतों के चलते अब उन्होंने विकल्प के रूप में मिठास की तोड़ को मिठास से ही ढूंढ लिया है. इसके चलते उन्होंने गन्ने की जगह स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू कर दी है. इस बार आकाशदीप को पहली बार ही स्ट्राबेरी की खेती करने पर अच्छा रिजल्ट मिला है.

बेड बनाकर मल्चिंग शीट पर होती है खेती
स्ट्रॉबेरी की खेती थोड़ी टेकिनिकल खेती होती है. इसमें पहले जमीन की खूब अच्छी तरह से जोताई की जाती है. फिर बेड बनाकर बेड्स पर मल्चिंग शीट बिछाई जाती है. इसके बाद स्ट्रॉबेरी की पौध लगाई जाती है. एक एकड़ में दो से तीन लाख का खर्च आता है. पानी भी ड्रिप इरिगेशन पद्धति से दिया जाता है. स्ट्रॉबेरी बड़ी ही सेंसिटिव क्रॉप होती है, इसलिए इसका बड़ा ध्यान रखना पड़ता. ठंड और पाले से बचाने के लिए पॉलीथिन शीट से रात को ढकना पड़ता है और धूप में खोलना पड़ता है.

स्ट्रॉबेरी की कई शहरों में डिमांड
लखनऊ से लेकर दिल्ली और नेपाल में इसकी सप्लाई लगातार बढ़ती जा रही है. यहां की स्ट्रॉबेरी का साइज बहुत बड़ा है. यह देखने में खूबसूरत है. यहां की स्ट्रॉबेरी रसीली इतनी है कि जो खा ले वह मुरीद हो जाए, इसीलिए दूर-दूर से लगातार डिमांड आ रही हैं. लखनऊ, बरेली और दिल्ली के साथ नेपाल तक में यहां की स्ट्राबेरी ने धूम मचा रखी है.

स्ट्रॉबेरी पहली बार लगाई, लेकिन इक्स्पिरीयन्स अच्छा रहा है. सबसे खुशी की बात यह है कि हमारी स्ट्रॉबेरी का साइज बड़ा और रसीला है. किसानों को भी इस खेती को करना चाहिए, जिससे खीरी जिला स्ट्रॉबेरी का हब बन सके और यहां अच्छी मार्केट मिले. गन्ने की ही तरह स्ट्राबेरी से भी जिले को पहचान मिलेगी.
-आकाशदीप, किसान

Intro:लखीमपुर-यूपी के खीरी जिले की स्ट्राबेरी की लखनऊ दिल्ली और नेपाल तक मे धूम मची हुई है। अपने बड़े ख़ूबसूरत साइज और बेहद रसीली होने की वजह से खीरी की स्ट्राबेरी की डिमांड महानगरों में खूब है। गन्ने का कटोरा कहे जाने वाले यूपी के खीरी जिले में अब किसान स्ट्राबेरी की खेती भी करने लगे हैं। इसमें मुनाफा अच्छा हो रहा। और किसानों को पैसा भी तुरंत मिल जा रहा।


Body:जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर बेहजम कस्बे में युवा किसान आकाशदीप ने स्ट्राबेरी की खेती शुरू की। आकाशदीप का कहना है कि पहले वो भी गन्ने की खेती करते थे। पर पेमेंट की दिक्कतों के चलते अब उन्होंने विकल्प के रूप में मिठास की तोड़ मिठास से ही कि है। गन्ने की जगह स्ट्राबेरी की खेती शुरू की।।इस बार पहली बार ही किया पर रिजल्ट अच्छे हैं। लखनऊ दिल्ली और नेपाल में सप्लाई जा रही। आकाशदीप कहते हैं। हमारी स्ट्राबेरी का साइज बहुत बड़ा है। देखने में खूबसूरत है और रसीली इतनी कि जो खा ले मुरीद हो जाए। इसीलिए दिए दूर दूर से डिमांड आ रही।।लखनऊ बरेली दिल्ली के साथ नेपाल तक स्ट्राबेरी की धूम है।


Conclusion:बेड बनाकर मल्चिंग शीट पर होती है खेती
स्ट्रॉबेरी की खेती थोड़ी टेकिनिकल खेती होती है। इसमें पहले जमीन को खूब जोतकर बेड बनाकर फिर बेड्स पर मल्चिंग शीट बिछाई जाती है।इसके बाद स्ट्राबेरी की पौध लगाई जाती है। एक एकड़ में दो से तीन लाख का खर्च आता है। पानी भी ड्रिप इरिगेशन पद्धति से दिया जाता है। स्ट्राबेरी बड़ी ही सेंसिटिव क्रॉप होती है इसलिए इसका बड़ा ध्यान रखना पड़ता। ठंड पाले से बचाने को पालीथीन शीट से रात को ढकना पड़ता है। धूप में खोलना पड़ता है।
आकाशदीप कहते है। पहली बार लगाई पर इक्स्पीरियन्स अच्छा रहा। सबसे खुशी की बात हमारी स्ट्राबेरी का साइज और रसीली होना है। कहते है और किसानों को भी इस खेती को करना चाहिए। जिससे खीरी जिला स्ट्राबेरी का हब बने। अच्छी मार्केट मिले। खीरी जिले को गन्ने की ही तरह स्ट्राबेरी से भी पहचान मिले।
बाइट-आकाशदीप(युवा किसान)
पीटीसी-प्रशान्त पाण्डेय
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