लखनऊ: राजधानी के केजीएमयू में लेजर से गुर्दे की पथरी के इलाज का इंतजार बढ़ता जा रहा है. दरअसल यूरोलॉजी विभाग में लिथोट्रिप्सी मशीन करीब डेढ़ साल से खराब है. नई मशीन के लिए टेंडर फाइनल हो चुका है. लेकिन बावजूद इसके मशीन नहीं लगी है. ऐसे में मरीज लेजर विधि से पथरी के इलाज के लिए भटकने को मजबूर हैं.
बताया जा रहा है कि पहले इस मशीन से हर महीने 50 से 60 मरीजों का बिना चीर-फाड़ के पथरी का इलाज किया जा रहा था. वहीं, अब लेजर विधि से इलाज ठप है. ऐसे में मरीजों की सुविधा के लिए पीपीपी मॉडल पर मशीन लगाने के लिए टेंडर निकाला गया. जबकि कुलसचिव आशुतोष कुमार द्विवेदी ने पिछले सप्ताह यूरोलॉजी विभाग के अधिकारियों को पत्र लिखकर जल्द से मशीन लगाने से जुड़ी समस्या का समाधान करने के लिए कहा है.
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वहीं, दूसरी ओर केजीएमयू में सोमवार को माइक्रोबायोलॉजी विभाग के लैब टेक्नीशियन ने एक साथ तबादले को लेकर पत्र लिखा. पांच लैब टेक्नीशियन ने कुलसचिव को पत्र लिखने से हड़कंप है. पत्र में कहा है कि मरीज हित में हमारे तबादले किए जाएं. यहां करीब 12 साल से सेवाएं दे रहे हैं. पैथोलॉजी समेत दूसरे विभागों में काम का दबाव अधिक है. मरीजों को और बेहतर जांच की सुविधा मुहैया कराने के लिए हम लोगों को दूसरे विभाग में तैनाती दी जाए. ताकि हम लोग भी नया काम सीख सकें. यह राज्य सरकार के नीतियों के अनुकूल है.
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