लखनऊ: नगर निगम के कुछ अधिकारियों पर लगातार भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं. भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने वाले नगर निगम के अधिकारी संवैधानिक संस्थाओं के सामने भी झूठ बोल रहे हैं. नगर निगम द्वारा राज्य मानवाधिकार आयोग के सामने बोले गए झूठ का पर्दाफाश हुआ है. राजधानी लखनऊ में ब्रेकर तोड़े जाने को लेकर नगर निगम के अफसरों को तलब किया गया है.
फरवरी महीने में राज्य मानवाधिकार आयोग ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी को आदेश दिए थे कि हर हाल में लखनऊ के अंदर बनाए गए सभी ब्रेकर को हटाया जाए, जिससे लोगों को सुविधा मिल सके. इसके बाद मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी ने लखनऊ नगर निगम के अफसरों को ब्रेकर्स हटाने के निर्देश दिए. इस दौरान लखनऊ नगर निगम की तरफ से एक रिपोर्ट राज्य मानवाधिकार आयोग को भेजा गया, जिसमें कहा गया कि लखनऊ के ब्रेकर को हटा दिया गया है.
राज्य मानवाधिकार ने पाया कि कई जगहों से अब भी ब्रेकर नहीं हटाए गए हैं. मानवाधिकार आयोग ने नगर निगम के अफसरों को फटकार लगाते कई स्थानों पर लगे ब्रेकर की सूची दी और हटाने के निर्देश दिए.
चौंकाने वाली बात यह है कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार है और राजधानी लखनऊ में बीजेपी की महापौर संयुक्ता भाटिया और नगर आयुक्त डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी के बीच पिछले काफी समय से विवाद चल रहा है. भ्रष्टाचार के मामले सामने आने पर मेयर संयुक्ता भाटिया ने कई बार नगर आयुक्त से सवाल जवाब किया और कार्रवाई के निर्देश भी दिए थे लेकिन सब मामलों में लीपापोती हो गई.
लखनऊ नगर निगम पिछले कुछ सालों में नागरिक सुविधाओं को ठीक से लोगों को उपलब्ध कराने के मामले में सवालों के घेरे में रहा है. चाहे बात नालों की सफाई की हो, डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन की या फिर राजधानी लखनऊ के तमाम इलाकों में सड़कों की मरम्मत करने की हो. इन सभी मामलों में तमाम तरह के भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं.
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