लखनऊ: स्टेट गेस्टहाउस कांड (2 जून 1995) (State Guest House kand) ने समाजवादी पार्टी के संस्थापक कद्दावर नेता मुलायम सिंह यादव के जीवन को एक बड़े राजनीतिक (mulayam singh yadav political career) के रूप में बदला था. अपने विधायकों की बैठक ले रही मायावती के ऊपर उस वक्त समाजवादी पार्टी के नेता और समर्थकों ने घातक हमला बोला था. इसके लिए मायावती ने मुलायम सिंह यादव और उनके भाई शिवपाल यादव को जिम्मेदार मानते हुए मुकदमा भी दर्ज करवाया था.
मुलायम सिंह यादव और मायावती के बीच रिश्तों (relation between mayawati and mulayam singh yadav) में आई खटास के बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में सामान्य होती नजर आई. मगर चुनाव हारते ही एक बार फिर मायावती ने समाजवादी पार्टी से गठबंधन तोड़ा और यह भी कहा कि स्टेट गेस्ट हाउस में जो कुछ हुआ, उसका मुकदमा वापस लेना उनकी एक भूल थी. 2 जून 1995 को हुआ स्टेट गेस्ट हाउस कांड मुलायम सिंह यादव की राजनीति में बहुत ही अहम स्थान रखता है.
सपा और बसपा ने 256 और 164 सीटों पर मिलकर चुनाव लड़ा. सपा अपने खाते में से 109 सीटें जीतने में कामयाब रही. जबकि 67 सीटों पर हाथी का दांव चला. लेकिन दोनों की ये रिश्तेदारी ज्यादा दिन नहीं चली. साल 1995 में दोनों दलों के रिश्ते खत्म हो गए. इसमें मुख्य किरदार गेस्ट हाउस है. इस दिन जो घटा उसकी वजह से बसपा ने सरकार से हाथ खींच लिए और वो अल्पमत में आ गई. भाजपा, मायावती के लिए सहारा बनकर आई और कुछ ही दिनों में तत्कालीन राज्यपाल मोतीलाल वोहरा को वो चिट्ठी सौंप दी गई कि अगर बसपा सरकार बनाने का दावा पेश करती है, तो भाजपा का साथ है.
जब मायावती ने समाजवादी पार्टी का साथ छोड़ने का फैसला किया था, तब इसे लेकर वह स्टेट गेस्ट हाउस में मीटिंग कर रही थी. वरिष्ठ पत्रकार रतीभान त्रिपाठी बताते हैं कि जानकारी मिलने के बाद बड़ी संख्या में सपा के लोग गेस्ट हाउस के बाहर जुट गए और कुछ ही देर में गेस्ट हाउस के भीतर के कमरे में जहां बैठक चल रही थी, वहां मौजूद बसपा के लोगों को मारना-पीटना शुरू कर दिया.
तभी मायावती जल्दी से जाकर एक कमरे में छिप गईं और खुद को अंदर से बंद कर लिया. उनके साथ दो लोग और भी थे. इनमें एक सिकंदर रिज़वी थे. वो जमाना पेजर का हुआ करता था. रिजवी ने मुझे बाद में बताया कि पेजर पर ये सूचना दी गई थी कि किसी भी हालत में दरवाजा मत खोलना. दरवाजा पीटा जा रहा था और बसपा के कई लोगों की काफी पिटाई हुई. इनमें से कुछ लहूलुहान हुए और कुछ भागने में कामयाब रहे. सपा के लोगों को किसी तरह इस बात की जानकारी मिल गई कि बसपा और भाजपा की सांठ-गांठ हो गई है और वो सपा का दामन छोड़ने वाली है तब बसपा के नेता सूबे के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को फोन कर बुलाने की कोशिश कर रहे थे लेकिन तब किसी ने फोन नहीं उठाया.
तब भारतीय जनता पार्टी के नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी ने मायावती को किसी तरह से बचाकर गेस्ट हाउस से बाहर निकाला था. समाजवादी पार्टी के बड़े नेता मुलायम सिंह यादव शिवपाल यादव सहित अनेक बड़े नेताओं पर मायावती की ओर से मुकदमा दर्ज करवाया गया. यह मुकदमा 2019 में जब सपा बसपा का दोबारा गठबंधन हुआ तो मायावती ने वापस ले लिया था. बसपा और सपा के बीच आई खटास कभी भी पूरी तरह से समाप्त नहीं हो सकी. यह हालात अभी बने हुए हैं.
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