लखनऊ : राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद (State Employees Joint Council) उत्तर प्रदेश से सम्बद्ध चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के सभी घटक संगठनों के प्रांतीय पदाधिकारियों ने नवसृजित मेडिकल कॉलेजों में प्रतिनियुक्ति पर तैनात विभिन्न सवर्गों के कार्मिकों को कार्यमुक्त किए जाने पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कैबिनेट मंत्री व उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक (Deputy Chief Minister Brajesh Pathak) से हस्तक्षेप करने की मांग की है. इस संबंध में बैठक बलरामपुर चिकित्सालय परिसर में परिषद के अध्यक्ष सुरेश रावत की अध्यक्षता में हुई.
डिप्लोमा फार्मासिस्ट एसोसिएशन के महामंत्री उमेश मिश्रा ने कहा कि शासनादेश के अनुसार नया जिला चिकित्सालय बनने तक जनहित में समस्त चिकित्सालय सुविधाएं मेडिकल कॉलेज से संचालित होंगी, लेकिन उसका उल्लंघन करते हुए कार्मिकों को जबरन कार्यमुक्त किया जा रहा है, जो निंदनीय है. उत्तर प्रदेश एक्सरे टेक्नीशियन के प्रदेश अध्यक्ष राम मनोहर कुशवाहा ने कहा कि अक्सर इस संवर्ग में मुख्य रूप से जिला चिकित्सालय में मेडिकोलीगल एक्सरे संपादित किए जाते हैं उनके कार्य मुक्त किए जाने से न्यायालय संबंधी पत्रावलियों का रखरखाव बाधित होगा. एक्सरे टेक्नीशियन के पास पत्रावली के रखरखाव का दायित्व होता है.
उत्तर प्रदेश लैब टेक्नीशियन के उपाध्यक्ष ओपी पांडे ने कहा रक्त कोष में तैनात वरिष्ठ लैब टेक्नीशियन लैब टेक्नीशियन जो विशेष परीक्षण प्राप्त हैं, उन्हें कार्यमुक्त करने से रक्त कोष का कार्य बाधित हो जाएगा. इंडियन डेंटल हाइजीनिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष देश दीपक त्रिपाठी ने कहा कि वर्तमान नीतियों से जनहित प्रभावित होगा शासकीय कार्य बाधित होंगे व अजीबोगरीब स्थिति उत्पन्न होगी. जिससे मरीजों का हित प्रभावित होगा.
प्रोविंशियल फ़िज़ियोथेरेपिस्ट एसोसिएशन के महामंत्री अनिल चौधरी ने कहा कि जो कर्मचारी प्रतिनियुक्ति पर तैनात हैं उनकी योग्यता एम्स नई दिल्ली एसजीपीजीआई के समकक्ष है. शासन द्वारा समय-समय पर जारी शासनादेश के अनुसार कर्मचारी उक्त संस्थानों में आवेदन विलय हो सकते हैं. ऐसी स्थिति में उनको विभाग में वापस करना न्यायोचित नहीं होगा. मुख्य सचिव की उपस्थिति में हुई बैठक में प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा को निर्देश दिया गया था कि तीन वर्ष की प्रतिनियुक्ति पूर्ण हो जाने पर उन कर्मचारियों का विकल्प ले लिया जाए जो अपने पैतृक विभाग में वापस जाना चाहते हैं उनको ही वापस किया जाए और जो कर्मचारी विलय लेना चाहते हैं उनका ही विलय किया जाए.
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