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राज्य विद्युत नियामक आयोग की जनसुनवाई में उठी जनता प्रस्ताव लागू करने की मांग

उत्तर प्रदेश की बिजली कम्पनियों की तरफ से टैरिफ रेट में बढ़ोतरी के लिए दिए गए प्रस्ताव और स्लैब पर गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राज्य विद्युत नियामक आयोग में जनसुनवाई आयोजित हुई. कम्पनियों की तरफ से दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) सहित बिजली दर प्रस्ताव व स्लैब परिवर्तन पर आम जनता की सार्वजनिक सुनवाई में आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह, सदस्य केके शर्मा व वीके श्रीवास्तव मौजूद रहे.

राज्य विद्युत नियामक आयोग ने आयोजित की जनसुवाई
राज्य विद्युत नियामक आयोग ने आयोजित की जनसुवाई
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Published : Sep 25, 2020, 3:06 PM IST

लखनऊः यूपी की बिजली कम्पनियों की तरफ से प्रदेश के बिजली बिल में बढ़ोतरी के लिए टैरिफ प्रस्ताव और स्लैब पर गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राज्य विद्युत नियामक आयोग में जनसुनवाई आयोजित हुई. कम्पनियों की तरफ से दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) सहित बिजली दर प्रस्ताव व स्लैब परिवर्तन पर आम जनता की सार्वजनिक सुनवाई में आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह, सदस्य केके शर्मा व वीके श्रीवास्तव मौजूद रहे. इस के साथ ही दक्षिणांचल, पश्चिमांचल व केष्कों कम्पनी के प्रतिनिधि भी इसमें शामिल थे. आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि 28 सितंबर को मध्यांचल, पूर्वांचल की सुनवाई के बाद आम जनता की राय के आधार पर फैसला लिया जाएगा.

जन सुनवाई में तीनों बिजली कम्पनियों ने अपनी-अपनी कम्पनी का प्रस्तुतीकरण किया. उसके बाद प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की तरफ से अपनी बात रखते हुए राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष और राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि परिषद द्वारा प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दरों में 16 प्रतिशत कमी किए जाने सहित घरेलू बिजली कंज्यूमर्स के फिक्स चार्ज समाप्त करने, वाणिज्यिक उपभोक्ताओं के मिनिमम गारण्टी चार्ज समाप्त करने व सभी विद्युत उपभोक्ताओं को चार प्रतिशत का रेगुलेटरी लाभ देने के मुद्दे पर अपने तर्क रखे. कहा कि जब प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कम्पनियों पर लगभग 13,337 करोड़ रुपये निकल रहा हैं. ऐसे में उसका लाभ आयोग को दरों में कमी करके उपभोक्ताओं को देना चाहिए.

विधिक तर्क रखते हुए बिजली कम्पनियों के स्लैब परिवर्तन को असंवैधानिक बताते हुए खारिज करने की मांग की. वहीं लोगों ने उत्तराखण्ड, हरियाणा, महाराष्ट्र, पंजाब, बिहार, दिल्ली में कोरोना काल में बिजली दरों में कमी को आधार बनाकर प्रदेश में जनता प्रस्ताव को लागू कराने की मांग उठाई. प्रदेश की बिजली कम्पनियों की तरफ से छह प्रतिशत वितरण हानियों को बढ़ाकर लगभग 3500 करोड़ का अतिरिक्त गैप निकाला गया. उसी प्रकार एटीएंडसी हानियों की शेयरिंग प्रदेश के उपभोक्ताओं पर डालने के लिए 4510 करोड़ का ट्रू-अप में गैप निकाला गया. बिजली कम्पनियों को मिलने वाली रिटर्न ऑफ इक्यूटी के तहत 2000 करोड़ का फायदा समाप्त हो. उपभोक्ता परिषद ने पिछले आठ वर्षों में किसानों, ग्रामीणों व घरेलू उपभोक्ताओं की दरों में अधिकतम 84 से 500 प्रतिशत की वृद्धि का आधार देते हुए कहा कि अगर अब प्रदेश की बिजली दरों में बढ़ोतरी हुई तो उपभोक्ता बर्बाद हो जाएंगे. परिषद ने कहा कि दक्षिणांचल बिजली निगम 5.26 रुपए प्रति यूनिट की बिजली खरीद कर टोरेंट को सस्ती दर 4.45 रुपये प्रति यूनिट में बेचकर प्रत्येक वर्ष 162 करोड़ का नुकसान झेल रहा है. अविलम्ब टोरेंट के अनुबन्ध को खारिज किया जाना चाहिए.

उपभोक्ता परिषद ने स्मार्ट मीटर परियोजना को फेल करार दिया. प्रदेश के लगभग 75 लाख विद्युत उपभोक्ताओं की सिक्योरिटी को सिस्टम में फीड न करके 150 से 200 करोड़ रुपया उपभोक्ताओं का पिछले पांच सालों से कम्पनियां दबा रखी हैं. ग्रामीण अनमीटर्ड से मीटर्ड हुए उपभोक्तओं को 10 प्रतिशत रिबेट न देकर बिजली कम्पनियों ने लगभग 150 करोड़ दबा लिया. यह सब उपभोक्ताओं का उत्पीड़न है. उन्होंने जन सुनवाई के दौरान कहा कि पिछले वर्षों में ग्रामीण विद्युत उपभोक्तओं को 24 घण्टे बिजली देने के नाम पर उनकी दरों को 400 रुपये प्रति किलोवाट से 500 रुपया कराया गया और गांव में फिर भी तीन साल में 24 घण्टे बिजली न मिल पाई. किसानों को 10 घण्टे बिजली दी जा रही है और प्रस्ताव को 14 घण्टे के नाम पर बनाया गया है. इस दौरान आईआईए के संजीव अरोरा ने उद्योगों की दरों में कमी और केवीएच बिलिंग की मांग उठाई. उत्तर प्रदेश मेट्रो से डॉ. सुशील कुमार, डीएमआरसी से सुबोध कुमार ने फिक्स चार्ज समाप्त करने की मांग उठाई.

लखनऊः यूपी की बिजली कम्पनियों की तरफ से प्रदेश के बिजली बिल में बढ़ोतरी के लिए टैरिफ प्रस्ताव और स्लैब पर गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राज्य विद्युत नियामक आयोग में जनसुनवाई आयोजित हुई. कम्पनियों की तरफ से दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) सहित बिजली दर प्रस्ताव व स्लैब परिवर्तन पर आम जनता की सार्वजनिक सुनवाई में आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह, सदस्य केके शर्मा व वीके श्रीवास्तव मौजूद रहे. इस के साथ ही दक्षिणांचल, पश्चिमांचल व केष्कों कम्पनी के प्रतिनिधि भी इसमें शामिल थे. आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि 28 सितंबर को मध्यांचल, पूर्वांचल की सुनवाई के बाद आम जनता की राय के आधार पर फैसला लिया जाएगा.

जन सुनवाई में तीनों बिजली कम्पनियों ने अपनी-अपनी कम्पनी का प्रस्तुतीकरण किया. उसके बाद प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की तरफ से अपनी बात रखते हुए राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष और राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि परिषद द्वारा प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दरों में 16 प्रतिशत कमी किए जाने सहित घरेलू बिजली कंज्यूमर्स के फिक्स चार्ज समाप्त करने, वाणिज्यिक उपभोक्ताओं के मिनिमम गारण्टी चार्ज समाप्त करने व सभी विद्युत उपभोक्ताओं को चार प्रतिशत का रेगुलेटरी लाभ देने के मुद्दे पर अपने तर्क रखे. कहा कि जब प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कम्पनियों पर लगभग 13,337 करोड़ रुपये निकल रहा हैं. ऐसे में उसका लाभ आयोग को दरों में कमी करके उपभोक्ताओं को देना चाहिए.

विधिक तर्क रखते हुए बिजली कम्पनियों के स्लैब परिवर्तन को असंवैधानिक बताते हुए खारिज करने की मांग की. वहीं लोगों ने उत्तराखण्ड, हरियाणा, महाराष्ट्र, पंजाब, बिहार, दिल्ली में कोरोना काल में बिजली दरों में कमी को आधार बनाकर प्रदेश में जनता प्रस्ताव को लागू कराने की मांग उठाई. प्रदेश की बिजली कम्पनियों की तरफ से छह प्रतिशत वितरण हानियों को बढ़ाकर लगभग 3500 करोड़ का अतिरिक्त गैप निकाला गया. उसी प्रकार एटीएंडसी हानियों की शेयरिंग प्रदेश के उपभोक्ताओं पर डालने के लिए 4510 करोड़ का ट्रू-अप में गैप निकाला गया. बिजली कम्पनियों को मिलने वाली रिटर्न ऑफ इक्यूटी के तहत 2000 करोड़ का फायदा समाप्त हो. उपभोक्ता परिषद ने पिछले आठ वर्षों में किसानों, ग्रामीणों व घरेलू उपभोक्ताओं की दरों में अधिकतम 84 से 500 प्रतिशत की वृद्धि का आधार देते हुए कहा कि अगर अब प्रदेश की बिजली दरों में बढ़ोतरी हुई तो उपभोक्ता बर्बाद हो जाएंगे. परिषद ने कहा कि दक्षिणांचल बिजली निगम 5.26 रुपए प्रति यूनिट की बिजली खरीद कर टोरेंट को सस्ती दर 4.45 रुपये प्रति यूनिट में बेचकर प्रत्येक वर्ष 162 करोड़ का नुकसान झेल रहा है. अविलम्ब टोरेंट के अनुबन्ध को खारिज किया जाना चाहिए.

उपभोक्ता परिषद ने स्मार्ट मीटर परियोजना को फेल करार दिया. प्रदेश के लगभग 75 लाख विद्युत उपभोक्ताओं की सिक्योरिटी को सिस्टम में फीड न करके 150 से 200 करोड़ रुपया उपभोक्ताओं का पिछले पांच सालों से कम्पनियां दबा रखी हैं. ग्रामीण अनमीटर्ड से मीटर्ड हुए उपभोक्तओं को 10 प्रतिशत रिबेट न देकर बिजली कम्पनियों ने लगभग 150 करोड़ दबा लिया. यह सब उपभोक्ताओं का उत्पीड़न है. उन्होंने जन सुनवाई के दौरान कहा कि पिछले वर्षों में ग्रामीण विद्युत उपभोक्तओं को 24 घण्टे बिजली देने के नाम पर उनकी दरों को 400 रुपये प्रति किलोवाट से 500 रुपया कराया गया और गांव में फिर भी तीन साल में 24 घण्टे बिजली न मिल पाई. किसानों को 10 घण्टे बिजली दी जा रही है और प्रस्ताव को 14 घण्टे के नाम पर बनाया गया है. इस दौरान आईआईए के संजीव अरोरा ने उद्योगों की दरों में कमी और केवीएच बिलिंग की मांग उठाई. उत्तर प्रदेश मेट्रो से डॉ. सुशील कुमार, डीएमआरसी से सुबोध कुमार ने फिक्स चार्ज समाप्त करने की मांग उठाई.

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