लखनऊ : पिछले काफी समय से निजीकरण के नाम से बिजली विभाग के कर्मचारियों को डर था. सोमवार को पेश हुए आम बजट में सरकार ने उनके डर को और पुख्ता कर दिया. बिजली विभाग में निजी कंपनियों के लिए दरवाजे खोलकर एक तरह से सरकार ने बिजली विभाग के निजीकरण की पटकथा लिख दी है. सरकार के इस बजट से बिजली विभाग के कर्मचारियों में भारी नाराजगी है.
'विभाग के साथ आम जनता का होगा नुकसान'
राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन (उप्र) के केंद्रीय अध्यक्ष इंजीनियर जीवी पटेल और केंद्रीय महासचिव इंजीनियर जयप्रकाश ने कहा कि बजट में बिजली के पारेषण एवं वितरण क्षेत्र का निजीकरण करने की घोषणा से अवर अभियंता संवर्ग में भारी नाराजगी है. उन्होंने कहा कि बिजली वितरण कम्पनियों की मोनोपोली समाप्त करने के नाम पर एक क्षेत्र में एक से अधिक बिजली वितरण कंपनियों के आने और डी लाइसेंसी व्यवस्था लागू करने का मतलब है कि वर्तमान में सरकारी बिजली कंपनियों के अतिरिक्त निजी कंपनियों को बिजली आपूर्ति का कार्य दिया जाएगा. निजी बिजली कम्पनियां सरकारी वितरण कंपनियों के नेटवर्क का बिना नेटवर्क में कोई निवेश किए प्रयोग करेंगी. इतना ही नहीं, निजी कम्पनियां केवल मुनाफे कमाने का काम करेंगी और बिजली के दामों में बेतहाशा वृद्धि होगी, जिसका सीधा असर आम उपभोक्ताओं, किसानों व छोटे और मध्यम व्यापारी पर पड़ेगा.
कॉरपोरेट घरानों को लाभ पहुंचाने वाला बजट
बजट में सार्वजानिक क्षेत्र के सम्पूर्ण निजीकरण की घोषणा की निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि यह बजट पूरी तरह निजीकरण और कारपोरेट घरानों को लाभ देने और सरकारी कर्मचारी व आम आदमी, किसान विरोधी बजट है. केंद्रीय प्रचार सचिव इंजीनियर अरविंद कुमार झा ने कहा कि इनकम टैक्स में कोई राहत न मिलने से सभी मे भारी निराशा है.