लखनऊ : उत्तर प्रदेश पुलिस का स्लोगन है 'सुरक्षा आपकी संकल्प हमारा', लेकिन फोर्स के कुछ जवान इस स्लोगन को झूठा साबित करने में अमादा हैं. हाल ही में लखनऊ में एक दारोगा और एक सिपाही ने मिलकर एक ठेकेदार से छह लाख वसूलने के लिए उसे रात भर हवालात में बंद कर थर्ड डिग्री टॉर्चर किया. फिलहाल दोनों पुलिसकर्मियों को निलंबित कर उनके खिलाफ उन्हीं के थाने में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है. ऐसे में अब एक बार फिर सवाल उठने लगे हैं कि पुलिस किस लिए होती है? क्योंकि प्रदेश में बीते सालों में एक नहीं, बल्कि दर्जनों घटनाओं में पुलिस अपराधी बनकर उभरी है, जिसने पूरे पुलिस महकमे को शर्मसार किया है.
ताजा मामला लखनऊ के सरोजनीनगर थाने का है. जहां नादरगंज, सरोजनीनगर निवासी ठेकेदार सुधीर मौर्य को बदलीखेड़ा चौकी प्रभारी दिनेश कुमार और सिपाही रवि कुमार ने 21 अप्रैल की रात कॉल कर चौकी बुलाया. ठेकेदार जब चौकी पहुंचा तो वहां उससे घर निर्माण करने के एवज में छह लाख रुपये की मांग की गई. ठेकेदार ने पैसे देने से मना किया तो रात भर दारोगा और सिपाही ने उसकी पिटाई की और हवालात में बंद कर दिया. यही नहीं उसके यूपीआई से करीब 15 हजार रुपये भी ट्रांसफर करा लिए. पीड़ित ने जब सोशल मीडिया में अपनी आवाज उठाई तो आलाधिकारियों ने दोनों पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया और उन्हीं के थाने में दोनों के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया है.
कानपुर में व्यापारी से पुलिस ने लूट लिए थे पैसे
यह कोई पहली घटना नहीं है जब पुलिसकर्मियों ने किसी व्यापारी से पैसों की लूट की या फिर पैसों की वसूली के लिए टॉर्चर किया. दो महीने पहले कानपुर देहात के सिकंदरा निवासी हार्डवेयर कारोबारी सत्यम शर्मा रात को 5.3 लाख रुपये लेकर उन्नाव से अपने घर लौट रहे थे. रास्ते में एक ढाबे के पास कारोबारी को डीसीपी वेस्ट कार्यालय में तैनात दारोगा यतीश कुमार, हेड कांस्टेबल अब्दुल और सचेंडी थाने में तैनात दारोगा रोहित सिंह ने रोक लिया. पहले कारोबारी को धमकाया गया और मारपीट कर उसके पास मौजूद 5.3 लाख रुपये लेकर पुलिसवाले फरार हो गए. पीड़ित व्यापारी ने जब कमिश्नर से शिकायत की तो मामला सबके सामने आया. कमिश्नर ने तीनों आरोपी पुलिसकर्मियों को निलंबित कर गिरफ्तार कराया.
-मई 2022 को लखनऊ में तैनात दो सिपाहियों ने बर्थडे पार्टी कर रहे कुछ युवकों को पहले धमकाया और फिर उनके पास मौजूद 15 हजार रुपये छीन लिए. यही नहीं जब उन युवकों ने विरोध किया तो सिपाहियों ने झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी दी. पीड़ित युवक ने पुलिसकर्मियों की इस लूट की वारदात का वीडियो सोशल मीडिया में पोस्ट किया तो आलाधिकारियों ने आननफानन मुकदमा दर्ज करा आरोपी पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार कर लिया.
-लखनऊ और कानपुर के अलावा गोरखपुर में भी पुलिस व्यापारी पर कहर ढहा चुकी है. 27 सितम्बर 2021 को कानपुर के व्यापारी मनीष गुप्ता दोस्तों के साथ गोरखपुर घूमने गए थे. जिस होटल में मनीष रुके हुए थे वहां पुलिस ने रेड की और मनीष की पीट-पीट कर हत्या कर दी. इस मामले में थाना प्रभारी समेत छह पुलिसकर्मियों को जेल भेजा गया.
-यूपी के महोबा में एक खनन व्यापारी तत्कालीन एसपी मणिलाल पाटीदार की वसूली से इतना परेशान हो गया कि उसने आत्महत्या कर ली. व्यापारी का आरोप था कि आईपीएस मणिलाल पाटीदार उससे लगातार पैसों की वसूली कर रहे थे और पैसे न देने पर फर्जी मुकदमों में फंसाने की धमकी भी देते थे. व्यापारी की मौत के बाद आईपीएस मणिलाल पर मुकदमा दर्ज हुआ और पुलिस की लचर जांच और पाटीदार को ढूंढने में हीलाहवाली बरतने के चलते दो सालों तक फरार रहा और फिर मनमाफिक समय पर कोर्ट में सरेंडर कर दिया.
-नोएडा में 39 थाने के अंतर्गत सेक्टर 44 में यूपी पुलिस राहगीरों को रेप के झूठे केस में फंसाने की धमकी देकर वसूली करती थी. एसएसपी ने चार पुलिसकर्मियों को निलंबित कर मुकदमा दर्ज करवाया था.
-वर्ष 2021 में राजधानी के आठ पुलिसकर्मियों के खिलाफ डकैती का मुदकमा खुद पुलिस ने दर्ज किया था. इन पुलिसकर्मियों पर आरोप था कि इन्होंने लखनऊ से कानपुर जाकर आईपीएल में सट्टा लगाने के आरोप में एक युवक को पकड़ा था और उससे 40 लाख रुपये लूट लिए थे. इसके बाद पीड़ित ने पहले पुलिस से न्याय की गुहार लगाई और जब सुनवाई नहीं हुई तो उसने कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज कराया था.
-अप्रैल 2018 में यूपी पुलिस ने अपने ही 13 पुलिसकर्मियों और अधिकारियों के खिलाफ डकैती और हत्या के प्रयास के आरोप में मुकदमा दर्ज किया था. दरअसल, 21 फरवरी 2018 को फर्रुखाबाद जिले के पुलिस द्वारा एक घर में गोलीबारी और फर्जी मुठभेड़ को अंजाम दिया गया था. जिसमें एक लड़के के पैर में गोली लगी थी। इस घटना के बाद परिवार वालों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. कोर्ट के आदेश पर यूपी पुलिस को अपने ही अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज करना पड़ा.
कई और मामलों में पुलिस के खिलाफ दर्ज हुई FIR
-30 अक्टूबर 2021 को राम की नगरी अयोध्या में एक महिला बैंककर्मी ने आत्महत्या कर ली और सुसाइड नोट में जिसे जिम्मेदार ठहराया वो नाम देखकर हर कोई हैरान रह गया. इस मामले में आईपीएस आशीष तिवारी, विवेक गुप्ता और एक अन्य पुलिसकर्मी अनिल रावत के खिलाफ हत्या के लिए उकसाने का मुकदमा दर्ज किया गया था.
-बर्रा निवासी 28 वर्षीय संजीत यादव का 26 जून 2020 को अपहरण हो गया था. बदमाशों ने 30 लाख की फिरौती मांगी थी. परिजनों ने आरोप लगाया था कि उन्होंने 30 लाख रुपये की फिरौती पुलिस को दी थी जो रकम बदमाश लेकर फरार हो गए थे, लेकिन संजीत का कुछ पता नहीं चला था. बाद में पता चला कि संजीत की हत्या पैसे देने से पहले ही कर दी गई थी. इस मामले में सीबीआई जांच चल रही है.
-वर्ष 2018 को लखनऊ में एप्पल कंपनी के एरिया सेल्स मैनेजर विवेक त्रिपाठी की रात में दो सिपाहियों ने तलाशी लेने के बहाने परेशान किया. जिसका विरोध करने पर सिपाही संदीप ने विवेक की गोली मार कर हत्या कर दी. उस वक़्त विवेक अपनी महिला मित्र के साथ गाड़ी में मौजूद थे.
-राजधानी लखनऊ में तैनात एनकाउंटर स्पेशलिस्ट इंस्पेक्टर संजय राय ने वर्ष 2013 को इकतरफा प्यार के जुनून में एक ट्रेनी महिला सब इंस्पेक्टर के मासूम ममेरे भाई को गोलियों से छलनी करवा दिया था. छानबीन के बाद इंस्पेक्टर संजय राय पर हत्या का मामला दर्ज हुआ और जेल जाना पड़ा था.
-ललितपुर की एक 13 साल की मासूम बेटी थाने गई थी, अपने साथ हुए रेप की शिकायत दर्ज कराने, लेकिन वहां खाकी वर्दी पहने हैवान ने उसकी आबरू तार-तार कर दी. दरअसल, 13 साल की नाबालिक बेटी के साथ चार युवकों ने रेप किया. जिसे लेकर 27 अप्रैल 2022 को उसे पहले थाने में इंस्पेक्टर तिलकधारी सरोज ने बयान के लिए बुलाया और कमरे में ले जाकर उसके साथ रेप किया. बच्ची को जब चाइल्ड लाइन को सौंपा गया तो मामले का खुलासा हुआ कि यूपी पुलिस अब बलात्कारी हो गई है.
-न्याय की आश लेकर थाने गई एक बेटी की आबरू तो पुलिस ने लूट ली थी. अब बस हत्या करना ही बाकी था. जिसकी हसरत पुलिस ने ललितपुर से 575 किलोमीटर दूर चंदौली जिले में 22 साल की निशा यादव की हत्या कर पूरी कर ली थी. एक मई 2022 को चंदौली के सैयदराजा थाने की पुलिस बालू व्यापारी कन्हैया यादव को पकड़ने के लिए उसके घर पहुंची थी. घर में कन्हैया की दो बेटियां अकेले थीं. ऐसे में यूपी की बहादुर पुलिस ने उसी घर में बेटियों पर थर्ड डिग्री का कहर ढा दिया. व्यापारी की छोटी बेटी अंजू ने बताया था कि पुलिस उसकी बहन निशा को दूसरे कमरे में ले गई और तब तक मारती रही जब तक उसकी चीखें सन्नाटे में बदल नहीं गईं. निशा के शांत होते ही पुलिस मौके से निकल गई और जब अंजू ने अंदर जाकर देखा तो निशा पंखे से लटकी मिली और उसकी सांसें उखड़ चुकी थीं. आलाधिकारियों ने आरोपी पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया था.
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