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लखनऊ : सुविधाएं पाने के लिए भी दिव्यांगों को झेलनी पड़ती हैं इतनी परेशानियां - lucknow health department

बलरामपुर अस्पताल में पूरे लखनऊ से दिव्यांग अपना विकलांगता प्रमाण पत्र बनवाने आते हैं, ताकि उन्हें सरकारी सुविधाओं का लाभ मिल सके. वहीं इस लाभ को पाने के लिए भी उन्हें खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है.

बोर्डों पर आज भी लिखा है विकलांग
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Published : May 14, 2019, 10:53 AM IST

लखनऊ : राजधानी स्थित बलरामपुर अस्पताल में दिव्यांगों के लिए प्रमाण पत्र बनाए जाते हैं. अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी प्रत्येक सोमवार को यह सर्टिफिकेट जारी करते हैं. वहीं जिस कार्यालय में यह सर्टिफिकेट बनाए जाते हैं उसकी खुद की स्थिति दयनीय है.

दिव्यांगों को दिया जाता है प्रमाणपत्र.

क्या है मामला?

  • बलरामपुर अस्पताल के पुराने भवन में बनाए जाते हैं प्रमाणपत्र.
  • तपती गर्मी में यहां आकर लाइन में खड़े होना सजा से कम नहीं है.
  • झुलसती गर्मी में यहां पंखे तक की व्यवस्था नहीं है और न बैठने के लिए कुर्सी या बेंच है.
  • मरीजों को होने वाली परेशानी के बावजूद भी प्रमाणित करने वाले अधिकारी कभी समय पर नहीं आते हैं.
  • प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद शारीरिक सक्षमताओं से रहित लोगों को दिव्यांग बुलाने की बात कही गई.
  • वहीं यहां के कार्यालय में लगे पैम्पलेट और विज्ञापनों में अब भी गलत नाम ही लिखे गए हैं.

मैंने अस्पताल के निदेशक से बात की है. अगर भवन में सुविधाओं का अभाव तो कार्यालय को विज्ञान भवन में शिफ्ट कर दें. जल्द ही सभी व्यवस्थाओं को दुरुस्त करा दिया जाएगा. विकलांग शब्द का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए, अगर ऐसा हो रहा है तो उसे बंद कराया जाएगा.
- डॉ. नरेंद्र अग्रवाल, मुख्य चिकित्सा अधिकारी

लखनऊ : राजधानी स्थित बलरामपुर अस्पताल में दिव्यांगों के लिए प्रमाण पत्र बनाए जाते हैं. अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी प्रत्येक सोमवार को यह सर्टिफिकेट जारी करते हैं. वहीं जिस कार्यालय में यह सर्टिफिकेट बनाए जाते हैं उसकी खुद की स्थिति दयनीय है.

दिव्यांगों को दिया जाता है प्रमाणपत्र.

क्या है मामला?

  • बलरामपुर अस्पताल के पुराने भवन में बनाए जाते हैं प्रमाणपत्र.
  • तपती गर्मी में यहां आकर लाइन में खड़े होना सजा से कम नहीं है.
  • झुलसती गर्मी में यहां पंखे तक की व्यवस्था नहीं है और न बैठने के लिए कुर्सी या बेंच है.
  • मरीजों को होने वाली परेशानी के बावजूद भी प्रमाणित करने वाले अधिकारी कभी समय पर नहीं आते हैं.
  • प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद शारीरिक सक्षमताओं से रहित लोगों को दिव्यांग बुलाने की बात कही गई.
  • वहीं यहां के कार्यालय में लगे पैम्पलेट और विज्ञापनों में अब भी गलत नाम ही लिखे गए हैं.

मैंने अस्पताल के निदेशक से बात की है. अगर भवन में सुविधाओं का अभाव तो कार्यालय को विज्ञान भवन में शिफ्ट कर दें. जल्द ही सभी व्यवस्थाओं को दुरुस्त करा दिया जाएगा. विकलांग शब्द का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए, अगर ऐसा हो रहा है तो उसे बंद कराया जाएगा.
- डॉ. नरेंद्र अग्रवाल, मुख्य चिकित्सा अधिकारी

Intro:राजधानी लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल में मुख्य चिकित्सा अधिकारी लखनऊ द्वारा दिव्यांगों के लिए सर्टिफिकेट प्रत्येक सोमवार को बनाए जाते हैं। बलरामपुर अस्पताल में दिव्यांगों को प्रमाणित किया जाता है। लेकिन बलरामपुर अस्पताल में चल रहे हैं। इस कार्यालय की स्थिति खुद दिव्यांग जैसी है।


Body:राजधानी लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल में हर सोमवार को दिव्यांगों को प्रमाणित करने का काम किया जाता है। यह पूरा कार्य बलरामपुर अस्पताल में होता है। इसमें पुराने भवन में इसका कार्य किया जाता है। जो कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा संचालित किया जाता है। इस भवन के हालात खुद दिव्यांगों से हो चलें ।

दरअसल राजधानी लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल में दिव्यांगों को प्रमाणित कर उन्हें सरकार द्वारा मिलने वाली सुविधाओं के लिए जो प्रमाणित किया जाता है। यह कार्य प्रत्येक सोमवार को यहां पर होता है। जिसमें राजधानी लखनऊ भर के हर कोने से दिव्यांग यहां पर खुद को प्रमाणित कराने के लिए आते हैं। लेकिन लखनऊ के कोने कोने से आने वाले दिव्यांगजन यहां पर सुबह से ही कतारों में खड़े हो जाते हैं। जिससे उन्हें बलरामपुर अस्पताल में मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा वह सर्टिफिकेट मिल सके। जिससे भारत सरकार द्वारा मिल रही सेवाओं का लाभ उठा सकें। लेकिन बलरामपुर अस्पताल व मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बिल्कुल इससे उल्टा ही मूड बना रखा है। दरअसल ऐसा इसलिए क्योंकि बलरामपुर अस्पताल में जिस भवन में यह कार्य निर्धारित किया गया है। वहां पर ऐसी झुलसती गर्मी में दिव्यांगों के लिए किसी भी तरह के पंखे आदि की व्यवस्था यहां पर नहीं है। इस भवन में सीधे धूप कमरे में प्रवेश करती है। जिसकी वजह से यहां पर दिव्यांग जमीन पर बैठे रहते हैं। कुर्सी भी यहां पर दिव्यांगों के लिए उपलब्ध नहीं है। जिसकी वजह से दिव्यांग जनों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। दिव्यांगजन यहां पर सुबह 7:00 बजे से ही लाइन में खड़े हो जाते हैं। लेकिन 12:00 बजे से पहले उनका कोई कार्य पूरा नहीं होता। ऐसा इसलिए भी क्योंकि प्रमाणित करने वाले डॉक्टर कभी समय पर यहां पर उपलब्ध ही नहीं होते। इसकी वजह से एक दिव्यांग जनों का कष्ट और बढ़ जाता है।

प्रधानमंत्री ने नाम बदलकर किया था दिव्यांग, पर अधिकारी नहीं मानते

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में यह कहा था कि आने वाले दिनों में शारीरिक असक्षमताओं से रहित व्यक्ति को दिव्यांग कह कर ही बुलाया जाएगा। इस आदेश का पालन केंद्र सरकारों ने अपनी लिखा पढ़ी व कागजी कार्यों में भी शुरू कर दिया था। लेकिन इन सभी आदेशों को बलरामपुर अस्पताल में मुख्य चिकित्सा अधिकारी धता बता रहे क्योंकि ऐसा इसलिए जिस भवन में दिव्यांगों का प्रमाणीकरण होता है। उसी भवन में गलत नाम से पेम्पलेट आदि चिपके हुए हैं। जो कि दर्शाते हैं कि किसी भी आदेश को स्वास्थ्य विभाग व अधिकारी कितनी गंभीरता से लेते हैं। जिससे यह फिर साफ होता है कि स्वास्थ विभाग में चल रही तमाम योजनाएं लोगों को मिल भी पाते हैं या सिर्फ लफ़्फ़ाज़ी यह साबित होती है।

वाक थ्रू- बलरामपुर अस्पताल से

बाइट- डॉ. नरेंद्र अग्रवाल, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, लखनऊ






Conclusion:एन्ड पीटीसी
शुभम पाण्डेय
7054605976
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