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संविधान दिवस: विधानमंडल में आयोजित होगा एकदिवसीय विशेष सत्र

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में संविधान दिवस पर मंगलवार को आयोजित विशेष सत्र के दौरान विधान मंडल के दोनों सदनों में चर्चा होगी. संविधान दिवस हर साल 26 नवंबर को मनाया जाता है.

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भारत का संविधान.
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Published : Nov 26, 2019, 6:09 AM IST

Updated : Nov 26, 2019, 9:19 AM IST

लखनऊः संविधान दिवस के अवसर पर 26 नवंबर को उत्तर प्रदेश विधानमंडल के दोनों सदनों का एक दिवसीय विशेष सत्र बुलाया गया है. मंगलवार को दोनों सदनों में संविधान पर चर्चा होगी. इस विशेष सत्र में कोई प्रश्न नहीं लिए जाएंगे. संविधान दिवस की पूर्व संध्या पर विधान भवन, बापू भवन सचिवालय, बहादुर शास्त्री भवन, योजना भवन समेत शासन के अन्य भवनों को सजाया गया है.

संविधान दिवस पर विधानमंडल में आयोजित होगी एकदिवसीय विशेष सत्र.
राज्यपाल करेंगी संबोधित
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल सुबह 11 बजे राज्य विधान मंडल के दोनों सदनों को एक साथ संबोधित करेंगी. संविधान दिवस के उपलक्ष में आहूत सदन के विशेष सत्र की सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए सोमवार को विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित की गई. इसके बाद कार्य मंत्रणा समिति की बैठक हुई. अध्यक्ष ने सभी दलीय नेताओं से सदन को सुचारू रूप से चलाए जाने के लिए सहयोग की अपेक्षा की.

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प्रत्येक देश का राजधर्म होता है संविधान
विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि संविधान प्रत्येक देश का राजधर्म होता है. भारत का संविधान भी भारत का राज धर्म है. सत्ता और व्यक्ति के संबंधों के बीच, जो व्याख्या होती है, वह संविधान में है, लेकिन भारत का संविधान कई अर्थों में दुनिया के अन्य देशों के संविधान से काफी भिन्न है. भारत का संविधान वृहद विवरण वाला है. वृहद विवरण वाला ऐसा व्यापक संविधान दुनिया में दूसरा नहीं है.
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि हमारे संविधान में नागरिकों के मूल अधिकार हैं. हमारे संविधान में लोकसभा, विधानसभा, विधान परिषद, राज्यपाल, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री जैसी संवैधानिक संस्थाएं हैं.

संविधान 26 नवंबर 1949 को पारित हुआ था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में घोषणा की थी कि इस तिथि को हम संविधान दिवस के रूप में मनाएंगे, तब से संविधान दिवस मनाया जा रहा है.

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एक दिवसीय विशेष सत्र का आयोजन
विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि 26 नवम्बर को आयोजित सत्र के दौरान संविधान के मूलभूत उद्देशिका और संविधान के मूल कर्तव्य पर हम लोग बहुत खास ध्यान देकर विधानसभा और विधान परिषद में दिनभर चर्चा करेंगे. यह एक विशेष प्रकार का सत्र होगा. इस सत्र में हम प्रश्नोत्तर नहीं लेंगे. इस सत्र में हम औचित्य के प्रश्न और ध्यानाकर्षण प्रश्न नहीं लेंगे. इस सत्र में केवल संविधान के मूलभूत तत्वों, कर्तव्य, संविधान के उद्देशिका और नीति निदेशक तत्वों पर बहस को सीमित रखेंगे. हम संविधान के प्रति निष्ठा व्यक्त करेंगे.

लखनऊः संविधान दिवस के अवसर पर 26 नवंबर को उत्तर प्रदेश विधानमंडल के दोनों सदनों का एक दिवसीय विशेष सत्र बुलाया गया है. मंगलवार को दोनों सदनों में संविधान पर चर्चा होगी. इस विशेष सत्र में कोई प्रश्न नहीं लिए जाएंगे. संविधान दिवस की पूर्व संध्या पर विधान भवन, बापू भवन सचिवालय, बहादुर शास्त्री भवन, योजना भवन समेत शासन के अन्य भवनों को सजाया गया है.

संविधान दिवस पर विधानमंडल में आयोजित होगी एकदिवसीय विशेष सत्र.
राज्यपाल करेंगी संबोधित
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल सुबह 11 बजे राज्य विधान मंडल के दोनों सदनों को एक साथ संबोधित करेंगी. संविधान दिवस के उपलक्ष में आहूत सदन के विशेष सत्र की सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए सोमवार को विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित की गई. इसके बाद कार्य मंत्रणा समिति की बैठक हुई. अध्यक्ष ने सभी दलीय नेताओं से सदन को सुचारू रूप से चलाए जाने के लिए सहयोग की अपेक्षा की.

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प्रत्येक देश का राजधर्म होता है संविधान
विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि संविधान प्रत्येक देश का राजधर्म होता है. भारत का संविधान भी भारत का राज धर्म है. सत्ता और व्यक्ति के संबंधों के बीच, जो व्याख्या होती है, वह संविधान में है, लेकिन भारत का संविधान कई अर्थों में दुनिया के अन्य देशों के संविधान से काफी भिन्न है. भारत का संविधान वृहद विवरण वाला है. वृहद विवरण वाला ऐसा व्यापक संविधान दुनिया में दूसरा नहीं है.
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि हमारे संविधान में नागरिकों के मूल अधिकार हैं. हमारे संविधान में लोकसभा, विधानसभा, विधान परिषद, राज्यपाल, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री जैसी संवैधानिक संस्थाएं हैं.

संविधान 26 नवंबर 1949 को पारित हुआ था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में घोषणा की थी कि इस तिथि को हम संविधान दिवस के रूप में मनाएंगे, तब से संविधान दिवस मनाया जा रहा है.

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एक दिवसीय विशेष सत्र का आयोजन
विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि 26 नवम्बर को आयोजित सत्र के दौरान संविधान के मूलभूत उद्देशिका और संविधान के मूल कर्तव्य पर हम लोग बहुत खास ध्यान देकर विधानसभा और विधान परिषद में दिनभर चर्चा करेंगे. यह एक विशेष प्रकार का सत्र होगा. इस सत्र में हम प्रश्नोत्तर नहीं लेंगे. इस सत्र में हम औचित्य के प्रश्न और ध्यानाकर्षण प्रश्न नहीं लेंगे. इस सत्र में केवल संविधान के मूलभूत तत्वों, कर्तव्य, संविधान के उद्देशिका और नीति निदेशक तत्वों पर बहस को सीमित रखेंगे. हम संविधान के प्रति निष्ठा व्यक्त करेंगे.

Intro:लखनऊ: संविधान दिवस पर आयोजित विशेष सत्र के दौरान मंगलवार को विधान मंडल के दोनों सदनों में होगी चर्चा

लखनऊ। संविधान दिवस के अवसर पर 26 नवंबर को उत्तर प्रदेश विधानमंडल के दोनों सदनों विधानसभा और विधान परिषद का एक दिवसीय विशेष सत्र बुलाया गया है। मंगलवार को दोनों सदनों में संविधान पर चर्चा होगी। इस विशेष सत्र में कोई प्रश्न नहीं लिए जाएंगे। संविधान दिवस की पूर्व संध्या पर विधान भवन, बापू भवन सचिवालय, बहादुर शास्त्री भवन योजना भवन समेत शासन के अन्य भवनों को सजाया गया है यह सभी भवन बिजली की झालरों से जगमग हो उठे हैं।


Body:राज्यपाल आनंदीबेन पटेल सुबह 11:00 बजे राज्य विधान मंडल के एक साथ समवेत सदन को संबोधित करेंगी। संविधान दिवस के उपलक्ष में आहूत सदन के विशेष सत्र की सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए सोमवार को विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित की गई। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष नारायण दीक्षित की अध्यक्षता में कार्य मंत्रणा समिति की बैठक हुई। बैठक में सभी दलों के सदस्य उपस्थित हुए। अध्यक्ष ने सभी दलीय नेताओं से सदन को सुचारू रूप से चलाए जाने के लिए सहयोग की अपेक्षा की।

इस पर नेताओं ने अध्यक्ष को सदन को सुचारू एवं गरिमा पूर्ण ढंग से चलाने में प्रत्येक प्रकार का सहयोग देने का के लिए आश्वस्त किया। कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना, समाजवादी पार्टी के उप मुख्य सचेतक शैलेंद्र यादव ललई, बहुजन समाज पार्टी के नेता लालजी वर्मा, कांग्रेस पार्टी की नेता आराधना मिश्रा मोना, अपना दल (सोनेलाल) के नेता नीलरतन पटेल एवं सुहेलदेव पार्टी के नेता ओमप्रकाश राजभर समेत अन्य लोग उपस्थित हुए।

बाईट- विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि संविधान प्रत्येक देश का राजधर्म होता है। भारत का संविधान भी भारत का राज धर्म है। सत्ता और व्यक्ति के संबंधों के बीच व्याख्या होती है संविधान में। लेकिन भारत का संविधान कई अर्थों में दुनिया के अन्य देशों के संविधान से काफी भिन्न है। भारत का संविधान वृहद विवरण वाला है। वृहद विवरण वाला ऐसा व्यापक संविधान दुनिया में दूसरा नहीं है।

दीक्षित ने कहा कि हमारे संविधान में नागरिकों के मूल अधिकार हैं। हमारे संविधान में लोक सभा, विधान सभा, विधान परिषद, राज्यपाल, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री जैसी संवैधानिक संस्थाएं हैं। इसके अलावा अनेक आयोग हैं। वित्त आयोग है। कैग है। ऐसी भी तमाम निष्पक्ष और स्वतंत्र संस्थाएं हैं। स्वतंत्र न्यायपालिका है। संविधान 26 नवंबर 1949 को पारित हुआ था। प्रधानमंत्री मोदी जी ने 2015 में घोषणा की थी कि इस तिथि को हम संविधान दिवस के रूप में मनाएंगे। तब से संविधान दिवस मनाया जा रहा है।

कल यानी 26 नवम्बर को आयोजित सत्र के दौरान संविधान के मूलभूत उद्देशिका और संविधान के मूल कर्तव्य पर हम लोग बहुत खास ध्यान देकर विधानसभा और विधान परिषद में दिनभर चर्चा करेंगे। यह एक विशेष प्रकार का सत्र होगा। इस सत्र में हम प्रश्नोत्तर नहीं लेंगे। इस सत्र में हम औचित्य के प्रश्न और ध्यानाकर्षण प्रश्न नहीं लेंगे। इस सत्र में हम काम रोको नहीं लेंगे। कोई सरकारी बिजनेस नहीं लेंगे। केवल संविधान के मूलभूत तत्वों पर, कर्तव्य, संविधान के उद्देशिका और नीति निदेशक तत्वों पर बहस को सीमित रखेंगे। संविधान के प्रति निष्ठा व्यक्त करेंगे।

दिलीप शुक्ला, 9450663213


Conclusion:
Last Updated : Nov 26, 2019, 9:19 AM IST
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