लखनऊः संविधान दिवस के अवसर पर 26 नवंबर को उत्तर प्रदेश विधानमंडल के दोनों सदनों का एक दिवसीय विशेष सत्र बुलाया गया है. मंगलवार को दोनों सदनों में संविधान पर चर्चा होगी. इस विशेष सत्र में कोई प्रश्न नहीं लिए जाएंगे. संविधान दिवस की पूर्व संध्या पर विधान भवन, बापू भवन सचिवालय, बहादुर शास्त्री भवन, योजना भवन समेत शासन के अन्य भवनों को सजाया गया है.
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प्रत्येक देश का राजधर्म होता है संविधान
विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि संविधान प्रत्येक देश का राजधर्म होता है. भारत का संविधान भी भारत का राज धर्म है. सत्ता और व्यक्ति के संबंधों के बीच, जो व्याख्या होती है, वह संविधान में है, लेकिन भारत का संविधान कई अर्थों में दुनिया के अन्य देशों के संविधान से काफी भिन्न है. भारत का संविधान वृहद विवरण वाला है. वृहद विवरण वाला ऐसा व्यापक संविधान दुनिया में दूसरा नहीं है.
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि हमारे संविधान में नागरिकों के मूल अधिकार हैं. हमारे संविधान में लोकसभा, विधानसभा, विधान परिषद, राज्यपाल, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री जैसी संवैधानिक संस्थाएं हैं.
संविधान 26 नवंबर 1949 को पारित हुआ था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में घोषणा की थी कि इस तिथि को हम संविधान दिवस के रूप में मनाएंगे, तब से संविधान दिवस मनाया जा रहा है.
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एक दिवसीय विशेष सत्र का आयोजन
विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि 26 नवम्बर को आयोजित सत्र के दौरान संविधान के मूलभूत उद्देशिका और संविधान के मूल कर्तव्य पर हम लोग बहुत खास ध्यान देकर विधानसभा और विधान परिषद में दिनभर चर्चा करेंगे. यह एक विशेष प्रकार का सत्र होगा. इस सत्र में हम प्रश्नोत्तर नहीं लेंगे. इस सत्र में हम औचित्य के प्रश्न और ध्यानाकर्षण प्रश्न नहीं लेंगे. इस सत्र में केवल संविधान के मूलभूत तत्वों, कर्तव्य, संविधान के उद्देशिका और नीति निदेशक तत्वों पर बहस को सीमित रखेंगे. हम संविधान के प्रति निष्ठा व्यक्त करेंगे.