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गोमती रिवर फ्रंट घोटाला: सिंचाई विभाग के तत्कालीन अभियंता अधीक्षण रूप सिंह यादव की की जमानत अर्जी खारिज - लखनऊ न्यूज

गोमती रिवर फ्रंट घोटाले (gomti river front scam) के मामले में आरोपी सिंचाई विभाग के तत्कालीन अधीक्षण अभियंता रूप सिंह यादव की जमानत अर्जी खारिज हो गई है. लखनऊ की विशेष सीबीआई कोर्ट (special cbi court of lucknow) ने रूप सिंह यादव की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है.

गोमती रिवर फ्रंट घोटाला
गोमती रिवर फ्रंट घोटाला
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Published : Jun 16, 2021, 5:30 AM IST

लखनऊ: गोमती रिवर फ्रंट घोटाला मामले में जेल में बंद सिंचाई विभाग के तत्कालीन अधीक्षण अभियंता रूप सिंह यादव की जमानत अर्जी सीबीआई की विशेष अदालत ने खारिज कर दी है. विशेष जज अजय विक्रम सिंह ने अपने आदेश में कहा है कि सीबीआई द्वारा इस मामले से सम्बंधित अन्य कार्यों में भी अभियुक्त की भूमिका को लेकर साक्ष्य संकलित किया जा रहा है. ऐसी स्थिति में जमानत पर उसके बाहर आने पर साक्ष्य के प्रभावित होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता. साथ ही कोर्ट ने कहा कि अपराध की प्रकृति व लगाए गए आरोपों में अभियुक्त की भूमिका व अन्य तथ्यों के मद्देनजर जमानत अर्जी में दिए गए आधार प्रर्याप्त नहीं है.


सीबीआई ने 30 नवंबर 2017 को गोमती रिवर फ्रंट घोटाले के मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की थी. विवेचना के दौरान अभियुक्त को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया था. इस मामले में रूप सिंह यादव के साथ ही सिंचाई विभाग के कनिष्ठ सहायक राजकुमार यादव तथा केके स्पन पाइप प्राइवेट लिमिटेड व इसके निदेशक हिमांशु गुप्ता व कविश गुप्ता समेत ब्रांड ईगल लोंगिजन जेवी के वरिष्ठ सलाहकार बद्री श्रेष्ठा के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल हैं. सीबीआई की ओर से जमानत अर्जी का विरोध करते हुए कहा गया कि मुल्जिम ने आपराधिक षडयंत्र के तहत मेसर्स केके स्पन प्राइवेट लिमिटेड को लाभ पहुंचाया. जबकि, इस कम्पनी के पास वांछित कार्य का अनुभव व टर्न ओवर दोनों ही नहीं था. साथ ही मुल्जिम द्वारा निर्धारित कार्य का 20 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी के लिए सक्षम प्राधिकारी से अ्रपूवल भी नहीं लिया गया.

लखनऊ: गोमती रिवर फ्रंट घोटाला मामले में जेल में बंद सिंचाई विभाग के तत्कालीन अधीक्षण अभियंता रूप सिंह यादव की जमानत अर्जी सीबीआई की विशेष अदालत ने खारिज कर दी है. विशेष जज अजय विक्रम सिंह ने अपने आदेश में कहा है कि सीबीआई द्वारा इस मामले से सम्बंधित अन्य कार्यों में भी अभियुक्त की भूमिका को लेकर साक्ष्य संकलित किया जा रहा है. ऐसी स्थिति में जमानत पर उसके बाहर आने पर साक्ष्य के प्रभावित होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता. साथ ही कोर्ट ने कहा कि अपराध की प्रकृति व लगाए गए आरोपों में अभियुक्त की भूमिका व अन्य तथ्यों के मद्देनजर जमानत अर्जी में दिए गए आधार प्रर्याप्त नहीं है.


सीबीआई ने 30 नवंबर 2017 को गोमती रिवर फ्रंट घोटाले के मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की थी. विवेचना के दौरान अभियुक्त को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया था. इस मामले में रूप सिंह यादव के साथ ही सिंचाई विभाग के कनिष्ठ सहायक राजकुमार यादव तथा केके स्पन पाइप प्राइवेट लिमिटेड व इसके निदेशक हिमांशु गुप्ता व कविश गुप्ता समेत ब्रांड ईगल लोंगिजन जेवी के वरिष्ठ सलाहकार बद्री श्रेष्ठा के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल हैं. सीबीआई की ओर से जमानत अर्जी का विरोध करते हुए कहा गया कि मुल्जिम ने आपराधिक षडयंत्र के तहत मेसर्स केके स्पन प्राइवेट लिमिटेड को लाभ पहुंचाया. जबकि, इस कम्पनी के पास वांछित कार्य का अनुभव व टर्न ओवर दोनों ही नहीं था. साथ ही मुल्जिम द्वारा निर्धारित कार्य का 20 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी के लिए सक्षम प्राधिकारी से अ्रपूवल भी नहीं लिया गया.

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