लखनऊ : कल से शारदीय नवरात्र का शुभारंभ हो रहा है. इसके साथ ही प्रदेश की योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) सरकार ने नारी सशक्तिकरण को लेकर 'मिशन शक्ति' के रूप में एक अच्छी पहल की है. सरकार के मिशन शक्ति का यह चौथा चरण है. इस दौरान महिलाओं के हितों और सरकार की विभिन्न योजनाओं को लेकर विशेष अभियान तो चलाए ही जाते हैं, साथ ही महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान को लेकर भी कई आयोजन भी होते हैं. प्रदेश सरकार की इस पहल का महिलाओं को निश्चित रूप से फायदा मिला है. प्रदेश में महिलाओं की स्थिति और सुरक्षा के हालात में भी काफी बदलाव देखा जा रहा है.
सरकार मिशन शक्ति के तहत सरकार महिलाओं को जननी सुरक्षा योजना, मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना, मिशन शक्ति अभियान, निराश्रित विधवा पेंशन योजना, मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना और मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना जैसी नीतियों के विषय न सिर्फ प्रचार-प्रसार करेगी, बल्कि महिलाओं को इन योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए कदम उठाए जाएंगे. इस अभियान का उद्देश्य ही पात्र महिलाओं को ढूंढकर उन्हें योजनाओं का लाभ दिलाना है. इतना ही नहीं, सरकारी तंत्र इस दौरान महिला हिंसा से संबंधित शिकायतों के लिए हेल्पलाइन जारी करेगी और महिलाओं को जागरूक कर त्वरित न्याय दिलाने के लिए प्रयास भी करेगी. इस दौरान पारिवारिक विवादों, घरेलू हिंसा, महिला अपराधों और साइबर क्राइम की घटनाओं आदि का मौके पर भी निस्तारण भी कराया जाएगा.
महिला अपराधों के निस्तारण में उत्तर प्रदेश देश में पहले स्थान पर है. प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद पिछले छह साल में अपराधियों के खिलाफ सख्ती एक मिसाल बन गई है. तमाम अपराधी मुठभेड़ में मारे गए, तो बड़ी संख्या में घायल भी हुए. अपराधियों के घरों और अन्य संपत्तियों के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई हुई. योगी सरकार के अपराधियों के खिलाफ रवैये को एक नजीर की तरह देखा गया और कई राज्यों ने इसे अपनाया भी. महिला सुरक्षा के लिए भी प्रदेश सरकार ने तमाम काम किए हैं. प्रदेश में महिला पुलिस चौकियों और परामर्श केंद्रों की स्थापना से लेकर महिला हेल्पडेस्क और महिला थानों की स्थापना तक तमाम निर्णय ऐसे हैं, जो नारी सशक्तिकरण को बल देते हैं.
प्रदेश और केंद्र की सरकारें महिलाओं की आर्थिक सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण कदम उठा रही हैं. इसी कड़ी में प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना के तहत प्रसूता और उसके बच्चे के लिए छह हजार रुपये की सहायता प्रदान की जाती है, वहीं प्रदेश सरकार ने छह साल में पौने चार लाख स्वयं सहायता समूहों का गठन कर बड़ी संख्या में महिलाओं को रोजगार देने का काम किया है. मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना के तहत लगभग चौदह लाख लड़कियों को 15-15 हजार की सहायता दी जा रही है. प्रदेश में तीस लाख से ज्यादा निराश्रित महिलाएं एक हजार रुपये पेंशन के रूप में पाती हैं. प्रदेश में इसके अलावा भी तमाम योजनाएं हैं, जो महिलाओं की सुरक्षा के साथ ही उन्हें स्वावलंबी बनाती हैं.
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