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SP Politics in UP : विधानसभा सदन में साथ दिखेंगे अखिलेश और शिवपाल, सपा ने बनाई ऐसी रणनीति

उत्तर प्रदेश की राजनीति (SP Politics in UP) में दखल की चाहत सभी दलों की रहती है. इसके लिए सभी दल अपनी अपनी जुगत लगाते रहते हैं. मौका विधानसभा सत्र का हो तो कोई चूकना नहीं चाहता है. इस बार सपा के साथ शिवपाल सिंह यादव के खड़े होने से सत्र के हंगामेदार होने के आसार हैं.

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Published : Feb 15, 2023, 10:05 PM IST

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लखनऊ : करीब छह साल बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव की जोड़ी सदन में एक साथ दिखेगी. सदन में जब अखिलेश और शिवपाल की जोड़ी मौजूद रहकर सरकार को कई मुद्दों पर घेरने का काम करेगी. अखिलेश यादव के साथ शिवपाल सिंह यादव की मौजूदगी से सपा विधायकों में भी काफी उत्साह नजर आएगा. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव छह साल पहले सपा सरकार में सत्ता पक्ष का प्रतिनिधित्व करते थे, लेकिन अब सरकार में भारतीय जनता पार्टी है और समाजवादी पार्टी विपक्ष के रूप में सदन में प्रतिनिधित्व कर रही है. छह साल बाद चाचा भतीजे एक हो गए हैं. पिछली बार सदन की कार्यवाही में सपा के विधायक होते हुए भी शिवपाल सिंह यादव अलग थलग थे, वह अखिलेश के साथ नहीं थे, लेकिन इस बार वह साथ-साथ दिखेंगे और सरकार पर ज्यादा जोरदार तरीके से हमलावर भी होंगे.

विधानसभा सत्र की तैयारी
विधानसभा सत्र की तैयारी


इससे पहले सदन की कार्यवाही में सत्ता पक्ष की तरफ से शिवपाल सिंह यादव के सहारे भी समाजवादी पार्टी पर हमले होते रहे हैं. मैनपुरी उप चुनाव में जीत के बाद चाचा शिवपाल सिंह यादव अखिलेश यादव के साथ आए साथ हो गए. अखिलेश ने शिवपाल को राष्ट्रीय महासचिव बनाया और अब जब सदन की कार्यवाही 20 फरवरी से शुरू हो रही है तो शिवपाल सिंह यादव अखिलेश के साथ फ्रंट सीट पर नजर आएंगे. दरअसल समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव लगातार पिछले कई चुनाव हार चुके हैं. पिछले साल जब मैनपुरी उप चुनाव हुआ तो उन्हें शिवपाल सिंह यादव के साथ लेने के लिए मजबूर होना पड़ा.

विधानसभा सत्र की तैयारी
विधानसभा सत्र की तैयारी

शिवपाल सिंह यादव भी पूरी तरह से परिवार के साथ आए और मैनपुरी उप चुनाव जिताने में पूरी भूमिका का निर्वहन किया. ऐतिहासिक वोट के साथ मैनपुरी उप चुनाव समाजवादी पार्टी ने जीता चुनाव. जीतने के ठीक बाद अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल सिंह यादव को समाजवादी पार्टी का झंडा थमा दिया. इसके साथ ही शिवपाल सिंह यादव ने अपनी पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का विलय सपा में कर दिया और लगातार अब दोनों लोग साथ में हैं. शिवपाल सिंह यादव ने पार्टी के विलय के साथ ही कहा कि वह पूरी तरह से समाजवादी पार्टी के हमेशा साथ रहेंगे. अखिलेश यादव ने उन्हें रिटर्न गिफ्ट दिया और पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव भी बना दिया. अब जब 20 फरवरी से राज्य विधान मंडल का बजट सत्र शुरू हो रहा है तो अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल सिंह यादव को पूरा सम्मान देते हुए फ्रंट सीट पर बैठने के संकेत दिए हैं. अखिलेश यादव और शिवपाल सिंह यादव विधानसभा सदन की कार्यवाही के दौरान साथ-साथ नजर आएंगे जब दोनों एक साथ होंगे तो स्वाभाविक रूप से सत्तापक्ष पर प्रभावी रूप से नसीब दबाव बनाएंगे, बल्कि तमाम मुद्दों पर सरकार को घेरने का काम करेंगे.

विधानसभा सत्र की तैयारी
विधानसभा सत्र की तैयारी

समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता व विधायक अमिताभ बाजपेई कहते हैं कि शिवपाल सिंह यादव और अखिलेश यादव की जोड़ी निश्चित रूप से सदन में सरकार को घेरने का काम करेगी. शिवपाल सिंह यादव एक अनुभवी नेता हैं, उनका संसदीय अनुभव लंबा रहा है और वह जब सदन में साथ-साथ होंगे तो निश्चित रूप से हम सब इससे उत्साहित होंगे और सरकार को सभी मुद्दों पर बेहतर और प्रभावी ढंग से घेरा जा सकेगा. राजनीतिक विश्लेषक विजय उपाध्याय कहते हैं कि अखिलेश यादव और शिवपाल सिंह यादव अब एक हो गए हैं. विधानसभा सदन की कार्यवाही के दौरान दोनों लोग साथ-साथ नजर आएंगे. इससे स्वाभाविक रूप से सत्तापक्ष को असहज होना पड़ सकता है. इससे पहले वह सपा विधायक के रूप में सदन में अलग-थलग नजर आते थे, लेकिन अब मैनपुरी उपचुनाव में जीत के बाद अखिलेश यादव ने उन्हें काफी सम्मान दिया है और उन्हें अब अपने साथ फ्रंट सीट पर बिठाने की भी बात कही है. यह अच्छी बात है और विपक्ष पूरी एकजुटता के साथ सरकार को घेरने का काम करेगा.

यह भी पढ़ें : Prabhat Gupta Murder Case में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के खिलाफ पुनरीक्षण याचिका खारिज

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लखनऊ : करीब छह साल बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव की जोड़ी सदन में एक साथ दिखेगी. सदन में जब अखिलेश और शिवपाल की जोड़ी मौजूद रहकर सरकार को कई मुद्दों पर घेरने का काम करेगी. अखिलेश यादव के साथ शिवपाल सिंह यादव की मौजूदगी से सपा विधायकों में भी काफी उत्साह नजर आएगा. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव छह साल पहले सपा सरकार में सत्ता पक्ष का प्रतिनिधित्व करते थे, लेकिन अब सरकार में भारतीय जनता पार्टी है और समाजवादी पार्टी विपक्ष के रूप में सदन में प्रतिनिधित्व कर रही है. छह साल बाद चाचा भतीजे एक हो गए हैं. पिछली बार सदन की कार्यवाही में सपा के विधायक होते हुए भी शिवपाल सिंह यादव अलग थलग थे, वह अखिलेश के साथ नहीं थे, लेकिन इस बार वह साथ-साथ दिखेंगे और सरकार पर ज्यादा जोरदार तरीके से हमलावर भी होंगे.

विधानसभा सत्र की तैयारी
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इससे पहले सदन की कार्यवाही में सत्ता पक्ष की तरफ से शिवपाल सिंह यादव के सहारे भी समाजवादी पार्टी पर हमले होते रहे हैं. मैनपुरी उप चुनाव में जीत के बाद चाचा शिवपाल सिंह यादव अखिलेश यादव के साथ आए साथ हो गए. अखिलेश ने शिवपाल को राष्ट्रीय महासचिव बनाया और अब जब सदन की कार्यवाही 20 फरवरी से शुरू हो रही है तो शिवपाल सिंह यादव अखिलेश के साथ फ्रंट सीट पर नजर आएंगे. दरअसल समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव लगातार पिछले कई चुनाव हार चुके हैं. पिछले साल जब मैनपुरी उप चुनाव हुआ तो उन्हें शिवपाल सिंह यादव के साथ लेने के लिए मजबूर होना पड़ा.

विधानसभा सत्र की तैयारी
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शिवपाल सिंह यादव भी पूरी तरह से परिवार के साथ आए और मैनपुरी उप चुनाव जिताने में पूरी भूमिका का निर्वहन किया. ऐतिहासिक वोट के साथ मैनपुरी उप चुनाव समाजवादी पार्टी ने जीता चुनाव. जीतने के ठीक बाद अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल सिंह यादव को समाजवादी पार्टी का झंडा थमा दिया. इसके साथ ही शिवपाल सिंह यादव ने अपनी पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का विलय सपा में कर दिया और लगातार अब दोनों लोग साथ में हैं. शिवपाल सिंह यादव ने पार्टी के विलय के साथ ही कहा कि वह पूरी तरह से समाजवादी पार्टी के हमेशा साथ रहेंगे. अखिलेश यादव ने उन्हें रिटर्न गिफ्ट दिया और पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव भी बना दिया. अब जब 20 फरवरी से राज्य विधान मंडल का बजट सत्र शुरू हो रहा है तो अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल सिंह यादव को पूरा सम्मान देते हुए फ्रंट सीट पर बैठने के संकेत दिए हैं. अखिलेश यादव और शिवपाल सिंह यादव विधानसभा सदन की कार्यवाही के दौरान साथ-साथ नजर आएंगे जब दोनों एक साथ होंगे तो स्वाभाविक रूप से सत्तापक्ष पर प्रभावी रूप से नसीब दबाव बनाएंगे, बल्कि तमाम मुद्दों पर सरकार को घेरने का काम करेंगे.

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समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता व विधायक अमिताभ बाजपेई कहते हैं कि शिवपाल सिंह यादव और अखिलेश यादव की जोड़ी निश्चित रूप से सदन में सरकार को घेरने का काम करेगी. शिवपाल सिंह यादव एक अनुभवी नेता हैं, उनका संसदीय अनुभव लंबा रहा है और वह जब सदन में साथ-साथ होंगे तो निश्चित रूप से हम सब इससे उत्साहित होंगे और सरकार को सभी मुद्दों पर बेहतर और प्रभावी ढंग से घेरा जा सकेगा. राजनीतिक विश्लेषक विजय उपाध्याय कहते हैं कि अखिलेश यादव और शिवपाल सिंह यादव अब एक हो गए हैं. विधानसभा सदन की कार्यवाही के दौरान दोनों लोग साथ-साथ नजर आएंगे. इससे स्वाभाविक रूप से सत्तापक्ष को असहज होना पड़ सकता है. इससे पहले वह सपा विधायक के रूप में सदन में अलग-थलग नजर आते थे, लेकिन अब मैनपुरी उपचुनाव में जीत के बाद अखिलेश यादव ने उन्हें काफी सम्मान दिया है और उन्हें अब अपने साथ फ्रंट सीट पर बिठाने की भी बात कही है. यह अच्छी बात है और विपक्ष पूरी एकजुटता के साथ सरकार को घेरने का काम करेगा.

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