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क्या अतीत की गलतियों से सबक लेकर लोकसभा चुनावों में उतरेगी समाजवादी पार्टी - सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव

लोक सभा चुनाव 2024 के लिए जनीतिक दलों ने अपने-अपने दांव चलने शुरू कर दिए हैं. समाजवादी पार्टी के सामने एक बार फिर यूपी में अपना वजूद कायम करने की चुनौती है, लेकिन अतीत की गलतियों से सबक नहीं लिया तो राह काफी कठिन होने वाली है. पढ़ें यूपी के ब्यूरो चीफ आलोक त्रिपाठी का विश्लेषण.

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Published : Jun 19, 2023, 9:24 PM IST

लखनऊ : लोकसभा चुनावों में भले ही अभी कुछ महीनों का समय बाकी हो, लेकिन उत्तर प्रदेश में अभी से चुनावी रंग चढ़ने लगा है. सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी हो या प्रदेश का मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी, सभी पार्टियों के नेताओं ने चुनाव को लेकर अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं. जिलों के दौरों, सभाओं और कार्यक्रमों में शिरकत करने का दौर जोर पकड़ चुका है. ऐसे में एक बार फिर यह सवाल आ खड़ा हुआ है कि क्या प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव अतीत की गलतियों से सबक लेकर भारतीय जनता पार्टी के सामने चुनौती खड़ी करने में कामयाब होंगे.

यूपी में सपा का प्रदर्शन.
यूपी में सपा का प्रदर्शन.


वर्ष 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव हों या 2019 का लोकसभा चुनाव, समाजवादी पार्टी ने कई ऐसी गलतियां की थीं, जिन्हें पार्टी के लिए आत्मघाती माना गया. वर्ष 2019 और 2022 में सपा के टिकट वितरण में तमाम खामियां थीं. कई जिताऊ उम्मीदवारों की जगह ऐसे नेताओं को प्रत्याशी बनाया गया जो अन्य दलों से सपा में शामिल हुए थे. कुछ टिकट घोषित हुए फिर उन्हें बदल दिया गया. कई स्थानों पर जातीय समीकरणों का ध्यान नहीं रखा गया. यही नहीं वर्ष 2017 के चुनाव में सत्ता गंवाने के बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर आरोप लगे कि वह अपने निर्णयों में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को शामिल नहीं करते. इसीलिए उन्हें पराजय का सामना करना पड़ता है. यह भी कहा जाता रहा है कि अखिलेश यादव कुछ खास ऐसे लोगों से घिरे हैं, जिन्हें राजनीति का ज्यादा तजुर्बा नहीं है. अखिलेश यादव को भाजपा के सामने चुनौती खड़ी करने के लिए इन सभी बातों पर ध्यान देना होगा. रामचरित मानस जैसे कई विषय भी होते हैं, जिन पर बयान पार्टी पर भारी पड़ते हैं. ऐसे बयानों से भी पार्टी को सतर्क रहना होगा.

विधानसभा चुनाव 2012 की स्थिति.
विधानसभा चुनाव 2012 की स्थिति.



यदि वर्ष 2022 के विधानसभा चुनावों की बात करें तो भाजपा को 41.29 प्रतिशत वोट मिले और वह सत्ता पाने में सफल रही. वहीं समाजवादी पार्टी को 32.06 प्रतिशत वोट मिले और वह दूसरे नंबर पर रही. सपा वर्ष 2017 के मुकाबले दोगुनी से ज्यादा सीटें जीतने में कामयाब रही. बहुजन समाज पार्टी को महज 12.88 प्रतिशत वोट मिले, राष्ट्रीय लोकदल 2.86 प्रतिशत, कांग्रेस पार्टी को 2.33 प्रतिशत, अपना दल (एस) को 1.62 प्रतिशत, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को 1.36 प्रतिशत, निषाद पार्टी को 0.91 प्रतिशत, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन को 0.49 प्रतिशत और आम आदमी पार्टी को 0.38 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए. गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी का गठन 04 अक्टूबर 1992 को मुलायम सिंह यादव ने किया था. वह उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री और एक बार रक्षा मंत्री भी रहे.

विधानसभा चुनाव 2017 की स्थिति.
विधानसभा चुनाव 2017 की स्थिति.


लोकसभा चुनावों की बात करें तो उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों पर वर्ष 2019 में हुए चुनावों में भाजपा गठबंधन 64 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. दूसरी ओर सपा-बसपा गठबंधन कुल 15 सीटें जीतने में कामयाब हुआ. इसमें बसपा को 10 और सपा को सिर्फ पांच सीटें प्राप्त हुईं. कांग्रेस पार्टी अपने गढ़ वाली रायबरेली लोकसभा सीट ही बचाने में कामयाब हुई. वर्ष 2022 के विधानसभा चुनावों से पहले अखिलेश यादव ने आजमगढ़ और मोहम्मद आजम खान ने रामपुर संसदीय सीट से इस्तीफा देकर विधानसभा चुनाव लड़ा. इस उप चुनाव में भाजपा ने दोनों सीटें समाजवादी पार्टी से छीन लीं. यदि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों की बात करें तो भाजपा गठबंधन ने प्रदेश की 73 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने में सफलता पाई थी, जबकि सपा पांच और कांग्रेस पार्टी सिर्फ दो सीटें ही जीत सकी थी. इस चुनाव में बहुजन समाज पार्टी का खाता तक नहीं खुला था.

2022 के विधानसभा चुनाव के आंकड़े.
2022 के विधानसभा चुनाव के आंकड़े.



राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर संजय गुप्ता कहते हैं कि हाल के विधानसभा चुनावों के बाद सपा में कई बदलाव हुए हैं. परिवार का झगड़ा खत्म कर चाचा शिवपाल सिंह यादव और अखिलेश यादव एक हुए हैं. धीरे-धीरे अखिलेश यादव में राजनीतिक परिपक्वता भी बढ़ रही है. ऐसे में उम्मीद की जानी चाहिए कि वह अब पार्टी के बड़े नेताओं को पूरा सम्मान देंगे और अपने निर्णय अकेले न करके सामूहिक चर्चा के बाद करेंगे. यदि राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के खिलाफ मजबूत गठबंधन बना तो सपा की स्थिति मजबूत हो सकती है. यह भी तय है कि उत्तर प्रदेश में बसपा और कांग्रेस के लिए अपने पक्ष में समीकरण बनाना बहुत कठिन है. ऐसे में लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश की लड़ाई बहुत ही रोचक रहने वाली है.

यह भी पढ़ें : लव जिहाद, पांच बार निकाह कर चुके मुस्लिम युवक ने हिंदू लड़की का कराया धर्म परिवर्तन

लखनऊ : लोकसभा चुनावों में भले ही अभी कुछ महीनों का समय बाकी हो, लेकिन उत्तर प्रदेश में अभी से चुनावी रंग चढ़ने लगा है. सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी हो या प्रदेश का मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी, सभी पार्टियों के नेताओं ने चुनाव को लेकर अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं. जिलों के दौरों, सभाओं और कार्यक्रमों में शिरकत करने का दौर जोर पकड़ चुका है. ऐसे में एक बार फिर यह सवाल आ खड़ा हुआ है कि क्या प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव अतीत की गलतियों से सबक लेकर भारतीय जनता पार्टी के सामने चुनौती खड़ी करने में कामयाब होंगे.

यूपी में सपा का प्रदर्शन.
यूपी में सपा का प्रदर्शन.


वर्ष 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव हों या 2019 का लोकसभा चुनाव, समाजवादी पार्टी ने कई ऐसी गलतियां की थीं, जिन्हें पार्टी के लिए आत्मघाती माना गया. वर्ष 2019 और 2022 में सपा के टिकट वितरण में तमाम खामियां थीं. कई जिताऊ उम्मीदवारों की जगह ऐसे नेताओं को प्रत्याशी बनाया गया जो अन्य दलों से सपा में शामिल हुए थे. कुछ टिकट घोषित हुए फिर उन्हें बदल दिया गया. कई स्थानों पर जातीय समीकरणों का ध्यान नहीं रखा गया. यही नहीं वर्ष 2017 के चुनाव में सत्ता गंवाने के बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर आरोप लगे कि वह अपने निर्णयों में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को शामिल नहीं करते. इसीलिए उन्हें पराजय का सामना करना पड़ता है. यह भी कहा जाता रहा है कि अखिलेश यादव कुछ खास ऐसे लोगों से घिरे हैं, जिन्हें राजनीति का ज्यादा तजुर्बा नहीं है. अखिलेश यादव को भाजपा के सामने चुनौती खड़ी करने के लिए इन सभी बातों पर ध्यान देना होगा. रामचरित मानस जैसे कई विषय भी होते हैं, जिन पर बयान पार्टी पर भारी पड़ते हैं. ऐसे बयानों से भी पार्टी को सतर्क रहना होगा.

विधानसभा चुनाव 2012 की स्थिति.
विधानसभा चुनाव 2012 की स्थिति.



यदि वर्ष 2022 के विधानसभा चुनावों की बात करें तो भाजपा को 41.29 प्रतिशत वोट मिले और वह सत्ता पाने में सफल रही. वहीं समाजवादी पार्टी को 32.06 प्रतिशत वोट मिले और वह दूसरे नंबर पर रही. सपा वर्ष 2017 के मुकाबले दोगुनी से ज्यादा सीटें जीतने में कामयाब रही. बहुजन समाज पार्टी को महज 12.88 प्रतिशत वोट मिले, राष्ट्रीय लोकदल 2.86 प्रतिशत, कांग्रेस पार्टी को 2.33 प्रतिशत, अपना दल (एस) को 1.62 प्रतिशत, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को 1.36 प्रतिशत, निषाद पार्टी को 0.91 प्रतिशत, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन को 0.49 प्रतिशत और आम आदमी पार्टी को 0.38 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए. गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी का गठन 04 अक्टूबर 1992 को मुलायम सिंह यादव ने किया था. वह उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री और एक बार रक्षा मंत्री भी रहे.

विधानसभा चुनाव 2017 की स्थिति.
विधानसभा चुनाव 2017 की स्थिति.


लोकसभा चुनावों की बात करें तो उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों पर वर्ष 2019 में हुए चुनावों में भाजपा गठबंधन 64 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. दूसरी ओर सपा-बसपा गठबंधन कुल 15 सीटें जीतने में कामयाब हुआ. इसमें बसपा को 10 और सपा को सिर्फ पांच सीटें प्राप्त हुईं. कांग्रेस पार्टी अपने गढ़ वाली रायबरेली लोकसभा सीट ही बचाने में कामयाब हुई. वर्ष 2022 के विधानसभा चुनावों से पहले अखिलेश यादव ने आजमगढ़ और मोहम्मद आजम खान ने रामपुर संसदीय सीट से इस्तीफा देकर विधानसभा चुनाव लड़ा. इस उप चुनाव में भाजपा ने दोनों सीटें समाजवादी पार्टी से छीन लीं. यदि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों की बात करें तो भाजपा गठबंधन ने प्रदेश की 73 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने में सफलता पाई थी, जबकि सपा पांच और कांग्रेस पार्टी सिर्फ दो सीटें ही जीत सकी थी. इस चुनाव में बहुजन समाज पार्टी का खाता तक नहीं खुला था.

2022 के विधानसभा चुनाव के आंकड़े.
2022 के विधानसभा चुनाव के आंकड़े.



राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर संजय गुप्ता कहते हैं कि हाल के विधानसभा चुनावों के बाद सपा में कई बदलाव हुए हैं. परिवार का झगड़ा खत्म कर चाचा शिवपाल सिंह यादव और अखिलेश यादव एक हुए हैं. धीरे-धीरे अखिलेश यादव में राजनीतिक परिपक्वता भी बढ़ रही है. ऐसे में उम्मीद की जानी चाहिए कि वह अब पार्टी के बड़े नेताओं को पूरा सम्मान देंगे और अपने निर्णय अकेले न करके सामूहिक चर्चा के बाद करेंगे. यदि राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के खिलाफ मजबूत गठबंधन बना तो सपा की स्थिति मजबूत हो सकती है. यह भी तय है कि उत्तर प्रदेश में बसपा और कांग्रेस के लिए अपने पक्ष में समीकरण बनाना बहुत कठिन है. ऐसे में लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश की लड़ाई बहुत ही रोचक रहने वाली है.

यह भी पढ़ें : लव जिहाद, पांच बार निकाह कर चुके मुस्लिम युवक ने हिंदू लड़की का कराया धर्म परिवर्तन

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