लखनऊ: विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस व दुकानदारों पर पथराव करने के तीस साल पुराने एक मामले में समाजवादी पार्टी के विधायक रविदास महरोत्रा को एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश हरबंस नारायण ने साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि अभियुक्त पर लगाए गए आरोपों को अभियोजन पक्ष साबित नहीं कर सका है.
रविदास मेहरोत्रा मध्य लखनऊ विधान सभा से सपा विधायक है. रविदास मेहरोत्रा के वकील सूर्यमणि यादव के मुताबिक 20 मार्च, 1993 को इस मामले की रिपोर्ट कोतवाली चौक के तत्कालीन थाना प्रभारी केपी सिंह ने दर्ज कराई थी. उस दिन रविदास मेहरोत्रा द्वारा उग्र भीड़ के साथ नक्खास तिराहे पर पुलिस बल, दुकानदार व राहगीरों पर ईट, पत्थर व बम से हमला करने का आरोप लगाया गया था. रिपोर्ट में कहा गया था कि शाम साढ़े नौ बजे रविदास महरोत्रा अपने समर्थकों के साथ नक़्ख़ास तिराहे पर आए. इसके बाद उनके भड़काने पर उग्र भीड़ ने उत्तेजक नारे लगाए व वाहनों को रोककर नुकसान पहुंचाया. कहा गया है कि जब भीड़ को रोकने का प्रयास किया गया तो रविदास के भड़काने पर भीड़ ने पत्थर और बम से पुलिस, दुकानदारों तथा राहगीरों पर हमला किया.
सरेबाजार चाकू से हमला करने के अभियुक्त की जमानत अर्जी खारिज
लखनऊ में सामान ख़रीद कर घर लौट रहे व्यक्ति पर चाकू से जानलेवा हमला कर घायल करने के आरोपी रितिक की जमानत अर्ज़ी सत्र अदालत ने ख़ारिज कर दी है. कोर्ट में बहस के दौरान सरकारी वकील अरुण पांडेय ने बताया कि मामले की रिपोर्ट वादी शफ़ीक़ ने 14 जुलाई 2021 को आशियाना थाने में दर्ज कराई थी. रिपोर्ट में बताया गया कि वादी दुकान से समान लेकर लौट रहा था. तभी आरोपी सूरज, शनि और रितिक बाजार में मिले और रितिक ने जान से मारने की नियत से पीछे से वादी की गर्दन पर चाकू से वार करके घायल कर दिया, जिससे उसको गंभीर चोट आई थी.
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