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लखनऊ: एसपी ने निगोहा थाने का किया निरीक्षण, चल-अचल संपत्ति का लिया जायजा

राजधानी लखनऊ में थानों का वार्षिक निरीक्षण के लिए एसपी ग्रामीण आदित्य लांगेह निगोहा थाने पहुंचे, जहां उन्होंने थाने की संपत्ति जैसे बिल्डिंग सहित अन्य चीजों का निरीक्षण किया. साथ ही दर्ज हुई शिकायतें और दर्ज एफआईआर को भी जांचा.

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वार्षिक निरीक्षण पर निगोहा थाना पहुंचे एसपी ग्रामीण आदित्य लांगेह.
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Published : Jun 30, 2020, 2:20 PM IST

लखनऊ: थानों का वार्षिक निरीक्षण के लिए मंलवार को एसपी ग्रामीण आदित्य लांगेह निगोहा थाने पहुंचे. यहां उन्होंने थाने की संपत्ति जैसे बिल्डिंग सहित अन्य चीजों का निरीक्षण किया. जहां उन्होंने थाने की संपत्ति, जैसे बिल्डिंग सहित अन्य चल-अचल संपत्ति का जायजा लिया.

एसपी ग्रामीण ने जानकारी देते हुए बताया कि पहले से ही एक सुनिश्चित प्रोग्राम होता है, जिसकी जानकारी थाने के प्रभारी को होती है. इस वार्षिक निरीक्षण के दौरान थाने की चल-अचल संपत्ति की जांच की जाती है. साथ ही थाने के अंतर्गत आनी वाले ग्राम सभाओं में लोगों से चौकीदार तथा ग्राम प्रधानों से भी जनसभा के जरिए बातचीत की जाती है. यह एक बड़ी प्रक्रिया होती है. इस पूरी प्रक्रिया के दौरान थाने में दर्ज हुई क्राइम की एफआईआर की जांच की जाती है और यह सुनिश्चित किया जाता है कि पेशी के दौरान जो डाटा जुटाया गया है, वह डाटा शुरुआती एफआईआर में दर्ज है या नहीं. अगर ऐसा नहीं होता है तो संबंधित थाने के क्षेत्राधिकारी को इस संबंध में अवगत कराया जाता है, ताकि इसे दोबारा से मिलाप कर ठीक कराया जा सके.

लखनऊ: थानों का वार्षिक निरीक्षण के लिए मंलवार को एसपी ग्रामीण आदित्य लांगेह निगोहा थाने पहुंचे. यहां उन्होंने थाने की संपत्ति जैसे बिल्डिंग सहित अन्य चीजों का निरीक्षण किया. जहां उन्होंने थाने की संपत्ति, जैसे बिल्डिंग सहित अन्य चल-अचल संपत्ति का जायजा लिया.

एसपी ग्रामीण ने जानकारी देते हुए बताया कि पहले से ही एक सुनिश्चित प्रोग्राम होता है, जिसकी जानकारी थाने के प्रभारी को होती है. इस वार्षिक निरीक्षण के दौरान थाने की चल-अचल संपत्ति की जांच की जाती है. साथ ही थाने के अंतर्गत आनी वाले ग्राम सभाओं में लोगों से चौकीदार तथा ग्राम प्रधानों से भी जनसभा के जरिए बातचीत की जाती है. यह एक बड़ी प्रक्रिया होती है. इस पूरी प्रक्रिया के दौरान थाने में दर्ज हुई क्राइम की एफआईआर की जांच की जाती है और यह सुनिश्चित किया जाता है कि पेशी के दौरान जो डाटा जुटाया गया है, वह डाटा शुरुआती एफआईआर में दर्ज है या नहीं. अगर ऐसा नहीं होता है तो संबंधित थाने के क्षेत्राधिकारी को इस संबंध में अवगत कराया जाता है, ताकि इसे दोबारा से मिलाप कर ठीक कराया जा सके.

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