लखनऊ. यूपी चुनाव में बीजेपी को प्रचंड जीत हासिल हुई है. उत्तर प्रदेश में दूसरी बार भाजपा की सरकार बनने पर तमाम प्रतिक्रियाएं भी सामने आने लगीं हैं. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ऑफ इंडिया ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद बयान जारी कर कहा है कि मुस्लिम समुदाय मायूस नहीं है. वह अपने हकों के लिए लोकतांत्रिक और संवैधानिक तरीके से अपना संघर्ष जारी रखेगा जिससे समुदाय विकास की मुख्यधारा में शामिल होकर राष्ट्र के प्रति अपना योगदान कर सके.
बोर्ड के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. मोइन अहमद खान ने कहा कि धर्मनिरपेक्ष दलों कांग्रेस, बसपा सहित विशेषकर समाजवादी पार्टी ने मुस्लिम समुदाय के साथ अपमानजनक व्यवहार करने के साथ उसके मुद्दों पर चुप्पी साधे रखी. सत्ता में रहते इन दलों ने कुछ नहीं किया. यही नहीं, इन दलों ने नेताओं व कार्यकर्ताओं को राजनीतिक हिस्सेदारी देना तो दूर की बात उनको मंच तक शेयर नहीं करने दिया. बोर्ड हालात को देखते हुए चुनाव तक चुप रहा किंतु आगे का समय चुप रहने का नहीं है. वह अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करेगा.
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कांग्रेस, सपा और बसपा सिर्फ मुसलमानों का वोट लेती रही
बोर्ड के महासचिव डॉ. मोइन अहमद खान ने कहा कि सपा, बसपा व कांग्रेस मुस्लिम समुदाय का वोट लेते रहे लेकिन समुदाय के हितों के प्रति कभी गंभीर नहीं रहे. मुसलमानों को इन दलों ने मजबूर व बेबस बनाए रखने की रणनीति पर काम किया. किंतु उसके बाद भी चुनाव दर चुनाव और इस चुनाव में भी सपा की झोली अपने वोटों से भरने में कसर नहीं छोड़ी.
सपा मुसलमानों को गुलाम समझती रही
वहीं, अखिलेश यादव ने मुस्लिम कार्यकर्ताओं को अपने चुनावी रथ व मंच पर खुले आम अपमानित करते व गुलाम समझते रहे है. मोइन अहमद ने कहा कि बोर्ड अपने धार्मिक मामलों में जागरूकता उत्पन्न करने के साथ समाज को राजनीतिक भागीदारी के लिए सतत रूप से प्रयास करता रहेगा. उन्होंने कहा कि मजबूत राजनीतिक नेतृत्व ही लोकतांत्रिक व्यवस्था में हमारे समुदाय के विकास व सुरक्षा की गारंटी दे सकता है. इसके लिए मुद्दा आधारित हिस्सेदारी समय की सख्त जरूरत है.
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