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Minister Aseem Arun ने कहा, सामाजिक कार्यों के लिए समाज कल्याण विभाग एलयू व टाटा इंस्टीट्यूट जैसे संस्थानों से लेगा मदद - लखनऊ विश्वविद्यालय

राजधानी में शुक्रवार को लखनऊ विश्वविद्यालय में 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020' पर (Minister Aseem Arun) कार्यशाला आयोजित की गई. इस दौरान समाज कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण (Minister Aseem Arun) मौजूद रहे.

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Published : Feb 24, 2023, 5:43 PM IST

लखनऊ : ‘भारत एक लोक कल्याणकारी राष्ट्र है' की परिभाषा को डबल इंजन की सरकार ने सर्वसमावेशी और समग्र विकास की नीति से सिद्ध किया जा रहा है. समाज कल्याण विभाग समाज के अंतिम पायदान पर खड़े नागरिकों तक योजनाओं का लाभ पहुंचाने का कार्य करता है. योजनाओं का लाभ सभी को बिना भेदभाव के मिल सके इसके लिए आवश्यक है कि सामाजिक कार्य के क्षेत्र में योगदान देने वाले विशेषज्ञों की मदद ली जाए. यह बात समाज कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण ने कही. वह लखनऊ विश्वविद्यालय में 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020' पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में रोज़गारपरक शिक्षा को बढ़ावा देने और शिक्षा के माध्यम से बच्चों के सर्वांगीण विकास पर आयोजित कार्यशाला में बोल रहे थे.

असीम अरुण ने कहा कि लखनऊ विश्वविद्यालय और टाटा इंस्टीट्यूट्स ऑफ़ सोशल साइंस जैसे संस्थानों के विशेषज्ञ ज़मीनी सत्यता तलाशने, शोधपत्र तैयार करने और योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन में समाज कल्याण विभाग की मदद करेंगे. इस मौक़े पर समाज कल्याण मंत्री ने कहा ‘प्रशिक्षित समाज सेवक एक प्रोजेक्ट के रूप में समाज की बुनियादी समस्याओं की पहचान कर उचित समाधान सोचकर उन्हें क्रियान्वित कर सकता है.'



उन्होंने कहा कि 'शिक्षा के साथ-साथ प्रधानमंत्री अनुसूचित जाति अभ्युदय योजना में उद्यमिता विकास के कार्यों में समाज कार्य संकाय का सहयोग लिया जाएगा. समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित सर्वोदय विद्यालयों में शिक्षा को और कैसे बेहतर किया जाए, इसमें भी समाज कार्य संकाय का योगदान लिया जाएगा. समाज कल्याण मंत्री ने बताया कि विभाग इस बात पर विचार कर रहा है कि विभागीय नौकरियों में समाज कार्य की डिग्री अनिवार्य की जाए.'



इस अवसर पर प्रोफेसर आरपी द्विवेदी ने कहा कि 'बस भारत में समाज कार्य शिक्षा के चार प्रमुख संस्थान टाटा समाज विज्ञान संस्थान, मुंबई, समाज कार्य विभाग, आगरा विश्वविद्यालय समाज कार्य विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय और समाज कार्य विभाग, काशी विद्यापीठ के आचार्य इस सम्मेलन के लिए आये हुए हैं. ये बहुत अच्छी बात है.' उन्होंने कहा कि 'शिक्षा का उद्देश्य मुक्ति प्रदान करना है.' उन्होंने बताया कि '1986 उसके बाद लगभग 28 साल बाद नई शिक्षा नीति बनाई गई है.' उनका मानना है कि यह शैक्षणिक को विशेष परिदृश्य के हिसाब से बनाया गया है और वैश्विक स्तर के ज्ञान को लेते हुए स्थानीय स्तर पर उसके इस्तेमाल पर यह शिक्षा ने ज़ोर देती है. 2030 तक 100% इनरोलमेंट की बात करती है.'

उनका कहना था कि 'प्रशिक्षित कार्यकर्ता समुदाय के लोग समुदाय के नेताओं, शिक्षकों और छात्रों को प्रेरित करके स्कूल में एक बेहतर पर्यावरण बनाने में मददगार साबित होगा, वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर संजय भट्ट ने कहा कि भारत शिक्षा का सबसे बड़ा केंद्र है, छह 15 लाख से अधिक स्कूल हैं जिसमें दो तिहाई सरकारी स्कूल हैं, 26.5 करोड़ से अधिक विद्यार्थी 95 लाख से अधिक शिक्षक हैं. 1035 विश्वविद्यालय हैं, 40 हजार से अधिक अन्य उच्चशिक्षा संस्थान हैं.' उन्होंने बताया कि 'नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सिद्धांतों का मूल मंत्र सभी तक शिक्षा की पहुंच को सुनिश्चित करना है. नई शिक्षा नीति विद्यालय संकुलों की बात करती है, जिसमें एक ऐसी जगह बनाने की बात है चार पांच विद्यालयों के बीच में जहां साझे पर आधारित अलग-अलग तरह की विद्यालय शिक्षकों ओर बच्चों से जुड़ी सुविधाएं और संसाधन उपलब्ध हों.

यह भी पढ़ें : UP News : ऐसे ही नहीं यूपी में NIA ने की थी छापेमारी, जानिए क्या थी वजह

लखनऊ : ‘भारत एक लोक कल्याणकारी राष्ट्र है' की परिभाषा को डबल इंजन की सरकार ने सर्वसमावेशी और समग्र विकास की नीति से सिद्ध किया जा रहा है. समाज कल्याण विभाग समाज के अंतिम पायदान पर खड़े नागरिकों तक योजनाओं का लाभ पहुंचाने का कार्य करता है. योजनाओं का लाभ सभी को बिना भेदभाव के मिल सके इसके लिए आवश्यक है कि सामाजिक कार्य के क्षेत्र में योगदान देने वाले विशेषज्ञों की मदद ली जाए. यह बात समाज कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण ने कही. वह लखनऊ विश्वविद्यालय में 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020' पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में रोज़गारपरक शिक्षा को बढ़ावा देने और शिक्षा के माध्यम से बच्चों के सर्वांगीण विकास पर आयोजित कार्यशाला में बोल रहे थे.

असीम अरुण ने कहा कि लखनऊ विश्वविद्यालय और टाटा इंस्टीट्यूट्स ऑफ़ सोशल साइंस जैसे संस्थानों के विशेषज्ञ ज़मीनी सत्यता तलाशने, शोधपत्र तैयार करने और योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन में समाज कल्याण विभाग की मदद करेंगे. इस मौक़े पर समाज कल्याण मंत्री ने कहा ‘प्रशिक्षित समाज सेवक एक प्रोजेक्ट के रूप में समाज की बुनियादी समस्याओं की पहचान कर उचित समाधान सोचकर उन्हें क्रियान्वित कर सकता है.'



उन्होंने कहा कि 'शिक्षा के साथ-साथ प्रधानमंत्री अनुसूचित जाति अभ्युदय योजना में उद्यमिता विकास के कार्यों में समाज कार्य संकाय का सहयोग लिया जाएगा. समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित सर्वोदय विद्यालयों में शिक्षा को और कैसे बेहतर किया जाए, इसमें भी समाज कार्य संकाय का योगदान लिया जाएगा. समाज कल्याण मंत्री ने बताया कि विभाग इस बात पर विचार कर रहा है कि विभागीय नौकरियों में समाज कार्य की डिग्री अनिवार्य की जाए.'



इस अवसर पर प्रोफेसर आरपी द्विवेदी ने कहा कि 'बस भारत में समाज कार्य शिक्षा के चार प्रमुख संस्थान टाटा समाज विज्ञान संस्थान, मुंबई, समाज कार्य विभाग, आगरा विश्वविद्यालय समाज कार्य विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय और समाज कार्य विभाग, काशी विद्यापीठ के आचार्य इस सम्मेलन के लिए आये हुए हैं. ये बहुत अच्छी बात है.' उन्होंने कहा कि 'शिक्षा का उद्देश्य मुक्ति प्रदान करना है.' उन्होंने बताया कि '1986 उसके बाद लगभग 28 साल बाद नई शिक्षा नीति बनाई गई है.' उनका मानना है कि यह शैक्षणिक को विशेष परिदृश्य के हिसाब से बनाया गया है और वैश्विक स्तर के ज्ञान को लेते हुए स्थानीय स्तर पर उसके इस्तेमाल पर यह शिक्षा ने ज़ोर देती है. 2030 तक 100% इनरोलमेंट की बात करती है.'

उनका कहना था कि 'प्रशिक्षित कार्यकर्ता समुदाय के लोग समुदाय के नेताओं, शिक्षकों और छात्रों को प्रेरित करके स्कूल में एक बेहतर पर्यावरण बनाने में मददगार साबित होगा, वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर संजय भट्ट ने कहा कि भारत शिक्षा का सबसे बड़ा केंद्र है, छह 15 लाख से अधिक स्कूल हैं जिसमें दो तिहाई सरकारी स्कूल हैं, 26.5 करोड़ से अधिक विद्यार्थी 95 लाख से अधिक शिक्षक हैं. 1035 विश्वविद्यालय हैं, 40 हजार से अधिक अन्य उच्चशिक्षा संस्थान हैं.' उन्होंने बताया कि 'नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सिद्धांतों का मूल मंत्र सभी तक शिक्षा की पहुंच को सुनिश्चित करना है. नई शिक्षा नीति विद्यालय संकुलों की बात करती है, जिसमें एक ऐसी जगह बनाने की बात है चार पांच विद्यालयों के बीच में जहां साझे पर आधारित अलग-अलग तरह की विद्यालय शिक्षकों ओर बच्चों से जुड़ी सुविधाएं और संसाधन उपलब्ध हों.

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