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सॉफ्टवेयर अपडेट नहीं होने से ठगे गए लाखों स्मार्ट मीटर बिजली उपभोक्ता - consumers cheated due to software updates

उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन ने अपने सॉफ्टवेयर में बदलाव नहीं किया. इसकी वजह से लाखों उपभोक्ता ठगे गए. नियामक आयोग ने स्मार्ट मीटरों के एक से पांच किलोवाट के कनेक्शनों का आरसीडीसी शुल्क 600 रुपये से कम करते हुए 100 रुपये कर दिया था, लेकिन सॉफ्टवेयर में बदलाव न होने की वजह से उपभोक्ताओं से 600 रुपये की दर से ही बिजली बिल वसूला गया.

उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन
उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन
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Published : Dec 23, 2020, 10:06 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन में बड़े खेल चल रहे हैं. मंगलवार को यूपीपीसीएल की आईटी विंग से बड़ा खुलासा सामने आया है. इसने विभाग की नींद उड़ाकर रख दी है. अधिकारियों ने इसे चूक मानते हुए मौके पर ही सॉफ्टवेयर में बदलाव कर उपभोक्ताओं को राहत दी है. दरअसल, पिछले माह 11 नवंबर को नियामक आयोग ने स्मार्ट मीटरों के एक से पांच किलोवाट के कनेक्शनों का आरसीडीसी शुल्क 600 रुपये से कम करते हुए 100 रुपये कर दिया. इस दौरान पांच किलोवाट से अधिक के लिए 200 रुपये आरसीडीसी निर्धारित की गई, लेकिन पावर कॉर्पोरेशन के आईटी विंग ने सॉफ्टवेयर में कोई बदलाव नहीं किया. इससे 21 दिसंबर तक स्मार्ट मीटर के उपभोक्ताओं से आरसीडीसी के नाम पर 600 रुपये की वसूली होती रही. इस दौरान विभाग ने हजारों स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं से लाखों रुपये की वसूली कर डाली.

साक्ष्य हुआ पेश तो खुली विभाग की पोल

इस दौरान प्रबंधन के अधिकारियों ने तो आरसीडीसी के नाम पर 600 रुपये की वसूली की बात से इंकार कर दिया, लेकिन जब सुबूत के तौर पर एक उपभोक्ता (जिससे 21 दिसंबर तक आरसीडीसी 600 रुपये लिया गया) ने जमा आरसीडीसी को साक्ष्य के तौर पर पेश कर दिया. इसके बाद विभाग के अधिकारियों ने अपनी गलती मानी और मंगलवार की देर शाम को सॉफ्टवेयर में बदलाव कराया. उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा के मुताबिक, विभाग ने एक महीने और 11 दिनों में हजारों उपभोक्ताओं से लाखों रुपये वसूल लिए. प्रबंधन से मांग की गई है कि जिन उपभोक्ताओं से 600—600 रुपये आरसीडीसी के नाम पर लिए गए हैं. वे सभी रुपये उनके बिलों में समायोजित कर दिए जाएं. पावर कॉर्पोरेशन के निदेशक वाणिज्य ने इसे विभाग की गलती मानते हुए वसूली गई रकम को बिलों में समायोजित करने की बात कही है.

उपभोक्ताओं को लाभ देने में फिसड्डी है विभाग

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन जिस स्मार्ट मीटर की वकालत करने में पुल बांध देता है उसे उपभोक्ताओं की कोई चिंता नहीं है. जब भी उपभोक्ताओं को लाभ देने की बात सामने आती है, पॉवर कॉर्पोरेशन प्रबंधन सब कुछ भूल जाता है.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन में बड़े खेल चल रहे हैं. मंगलवार को यूपीपीसीएल की आईटी विंग से बड़ा खुलासा सामने आया है. इसने विभाग की नींद उड़ाकर रख दी है. अधिकारियों ने इसे चूक मानते हुए मौके पर ही सॉफ्टवेयर में बदलाव कर उपभोक्ताओं को राहत दी है. दरअसल, पिछले माह 11 नवंबर को नियामक आयोग ने स्मार्ट मीटरों के एक से पांच किलोवाट के कनेक्शनों का आरसीडीसी शुल्क 600 रुपये से कम करते हुए 100 रुपये कर दिया. इस दौरान पांच किलोवाट से अधिक के लिए 200 रुपये आरसीडीसी निर्धारित की गई, लेकिन पावर कॉर्पोरेशन के आईटी विंग ने सॉफ्टवेयर में कोई बदलाव नहीं किया. इससे 21 दिसंबर तक स्मार्ट मीटर के उपभोक्ताओं से आरसीडीसी के नाम पर 600 रुपये की वसूली होती रही. इस दौरान विभाग ने हजारों स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं से लाखों रुपये की वसूली कर डाली.

साक्ष्य हुआ पेश तो खुली विभाग की पोल

इस दौरान प्रबंधन के अधिकारियों ने तो आरसीडीसी के नाम पर 600 रुपये की वसूली की बात से इंकार कर दिया, लेकिन जब सुबूत के तौर पर एक उपभोक्ता (जिससे 21 दिसंबर तक आरसीडीसी 600 रुपये लिया गया) ने जमा आरसीडीसी को साक्ष्य के तौर पर पेश कर दिया. इसके बाद विभाग के अधिकारियों ने अपनी गलती मानी और मंगलवार की देर शाम को सॉफ्टवेयर में बदलाव कराया. उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा के मुताबिक, विभाग ने एक महीने और 11 दिनों में हजारों उपभोक्ताओं से लाखों रुपये वसूल लिए. प्रबंधन से मांग की गई है कि जिन उपभोक्ताओं से 600—600 रुपये आरसीडीसी के नाम पर लिए गए हैं. वे सभी रुपये उनके बिलों में समायोजित कर दिए जाएं. पावर कॉर्पोरेशन के निदेशक वाणिज्य ने इसे विभाग की गलती मानते हुए वसूली गई रकम को बिलों में समायोजित करने की बात कही है.

उपभोक्ताओं को लाभ देने में फिसड्डी है विभाग

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन जिस स्मार्ट मीटर की वकालत करने में पुल बांध देता है उसे उपभोक्ताओं की कोई चिंता नहीं है. जब भी उपभोक्ताओं को लाभ देने की बात सामने आती है, पॉवर कॉर्पोरेशन प्रबंधन सब कुछ भूल जाता है.

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