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भाजपा के सहयोगी छोटे दलों ने हासिल की जबरदस्त कामयाबी, अपना दल बनी तीसरी सबसे बड़ी पार्टी

इस जीत के साथ ही अपना दल उत्तर प्रदेश की तीसरा सबसे बड़ी पार्टी बन गई है जबकि निषाद पार्टी ने छह सीटों पर जीत हासिल की है. दोनों छोटे दलों का प्रदर्शन अच्छा रहा है. अब इन सहयोगी दलों को भाजपा को मंत्रिमंडल में भी स्थान देना पड़ेगा.

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भाजपा के सहयोगी छोटे दलों ने हासिल की जबरदस्त कामयाबी, अपना दल बनी तीसरी सबसे बड़ी पार्टी
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Published : Mar 11, 2022, 8:58 PM IST

लखनऊ: एनडीए गठबंधन में भाजपा के दोनों सहयोगी छोटे दलों ने जबरदस्त प्रदर्शन किया है. 33 सीटें भाजपा ने अपने सहयोगी दलों को दी थीं जिनमें से 18 पर भाजपा ने जीत हासिल की है. दोनों सहयोगियों को बहुत अधिक कठिन लड़ाई वाली सीटें मिली थीं जिनमें से अधिकांश पर दोनों दलों ने जीत हासिल की हैं. अपना दल ने 12 सीट जीती हैं.

इस जीत के साथ ही अपना दल उत्तर प्रदेश की तीसरा सबसे बड़ी पार्टी बन गई है जबकि निषाद पार्टी ने छह सीटों पर जीत हासिल की है. दोनों छोटे दलों का प्रदर्शन अच्छा रहा है. अब इन सहयोगी दलों को भाजपा को मंत्रिमंडल में भी स्थान देना पड़ेगा. इसे लेकर भाजपा नेतृत्व विचार कर रहा है.

अपना दल को भाजपा ने 18 और निषाद पार्टी को छह सीटें दी थीं. अधिकांशतः पूर्वांचल की सीटें भाजपा ने दोनों छोटे दलों को दी थीं. इनमें से अपना दल ने 12 और निषाद पार्टी ने छह सीटों पर कामयाबी हासिल की है. अपना दल के बारे में कहा जा रहा है कि कुर्मी बाहुल्य सीटों पर उनका दबदबा रहा है.

यह भी पढ़ें : कैबिनेट की बैठक के बाद राज्यपाल से मिलकर सीएम योगी ने दिया इस्तीफा

इसकी वजह से भाजपा को इस वर्ग का वोट एनडीए गठबंधन को जमकर मिला है. निषाद पार्टी मल्लाह और मछुआरा समाज में अपना अच्छा दखल रखती है. इसलिए खासतौर पर पूर्वांचल में इस वर्ग को रिझाने के लिए भाजपा ने निषाद पार्टी को 13 सीटों पर मौका दिया था. इसके अलावा गोरखपुर और वाराणसी सभी सीट जीतने में भी निषाद पार्टी का योगदान भाजपा को मिला है.

छोटे दलों की यह जीत उनकी मंत्रिमंडल में उपस्थिति भी तय हो गई है. निषाद पार्टी को एक और अपना दल को दो मंत्री की कुर्सी मिल सकती हैं. अपना दल ने तो बहुत ही गर्व के साथ खुद को प्रदेश की तीसरी सबसे बड़ी ताकत बताना शुरू कर दिया है. ऐसे में निश्चित तौर पर अपना दल अब और मजबूती के साथ मंत्रिमंडल के लिए अपनी बात रखेगी.

लखनऊ: एनडीए गठबंधन में भाजपा के दोनों सहयोगी छोटे दलों ने जबरदस्त प्रदर्शन किया है. 33 सीटें भाजपा ने अपने सहयोगी दलों को दी थीं जिनमें से 18 पर भाजपा ने जीत हासिल की है. दोनों सहयोगियों को बहुत अधिक कठिन लड़ाई वाली सीटें मिली थीं जिनमें से अधिकांश पर दोनों दलों ने जीत हासिल की हैं. अपना दल ने 12 सीट जीती हैं.

इस जीत के साथ ही अपना दल उत्तर प्रदेश की तीसरा सबसे बड़ी पार्टी बन गई है जबकि निषाद पार्टी ने छह सीटों पर जीत हासिल की है. दोनों छोटे दलों का प्रदर्शन अच्छा रहा है. अब इन सहयोगी दलों को भाजपा को मंत्रिमंडल में भी स्थान देना पड़ेगा. इसे लेकर भाजपा नेतृत्व विचार कर रहा है.

अपना दल को भाजपा ने 18 और निषाद पार्टी को छह सीटें दी थीं. अधिकांशतः पूर्वांचल की सीटें भाजपा ने दोनों छोटे दलों को दी थीं. इनमें से अपना दल ने 12 और निषाद पार्टी ने छह सीटों पर कामयाबी हासिल की है. अपना दल के बारे में कहा जा रहा है कि कुर्मी बाहुल्य सीटों पर उनका दबदबा रहा है.

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इसकी वजह से भाजपा को इस वर्ग का वोट एनडीए गठबंधन को जमकर मिला है. निषाद पार्टी मल्लाह और मछुआरा समाज में अपना अच्छा दखल रखती है. इसलिए खासतौर पर पूर्वांचल में इस वर्ग को रिझाने के लिए भाजपा ने निषाद पार्टी को 13 सीटों पर मौका दिया था. इसके अलावा गोरखपुर और वाराणसी सभी सीट जीतने में भी निषाद पार्टी का योगदान भाजपा को मिला है.

छोटे दलों की यह जीत उनकी मंत्रिमंडल में उपस्थिति भी तय हो गई है. निषाद पार्टी को एक और अपना दल को दो मंत्री की कुर्सी मिल सकती हैं. अपना दल ने तो बहुत ही गर्व के साथ खुद को प्रदेश की तीसरी सबसे बड़ी ताकत बताना शुरू कर दिया है. ऐसे में निश्चित तौर पर अपना दल अब और मजबूती के साथ मंत्रिमंडल के लिए अपनी बात रखेगी.

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