लखनऊ : उत्तर प्रदेश स्किल डेवलपमेंट मिशन के तहत स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम में शॉर्ट टर्म वोकेशनल ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाने के लिए प्रदेश में अब छोटे संस्थाओं, ट्रस्ट, एनजीओ, सोसाइटी व कंपनियों को भी मौका दिया जाएगा. इसके लिए उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन ने अपने यहां ट्रेनिंग प्रोग्राम से जोड़ने के लिए अपने नियमावली में थोड़ी शिथिलता बरतते हुए इन संस्थाओं को भी मौका दिया है. अभी तक मिशन में ट्रेनिंग कराने के लिए केवल बड़ी-बड़ी संस्था को ही संबद्ध किया जाता था. ऐसे में बड़े स्तर पर प्रदेश में ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाना मुश्किल हो रहा था. ऐसे में छोटी कंपनियों को जोड़कर बड़े स्तर पर युवाओं को स्किल डेवलप कराने की शुरुआत की है. इसके लिए तैयार की गई नई नीति को लागू कर दिया गया है.
उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन शॉर्ट टर्म ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए कोई भी संस्था जिसकी सालाना आय 25 लाख रुपये तक है वह आवेदन कर सकती है. विभाग के अधिकारियों ने बताया कि "नए नियमावली के तहत कोई भी ट्रस्ट, सोसायटी या कंपनी शॉर्ट टर्म ट्रेनिंग प्रोग्राम चला सकती है. इन सभी कंपनियों, ट्रस्ट व संस्थाओं को मिशन के अनुसार तय की गई नियमावली का पालन कर कोर्स चलाने के लिए अनुमोदन प्राप्त करना होगा. एक बार आवेदन प्राप्त होने के बाद विभाग इन सभी संस्थाओं के ट्रेनिंग प्रोग्राम के मेथड इंफ्रास्ट्रक्चर आदि की जांच कर इनको ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाने की संस्तुति देगा. यह सभी ट्रेनिंग प्रोग्राम जॉब ओरिएंटेड होने चाहिए. नए नियम के अनुसार, प्राइवेट संस्थाओं को शॉर्ट टर्म स्किल ट्रेंनिंग प्रोगाम चलाने के लिए 1 जिले में दो सेंटर स्थापित करने की मंजूरी दी जाएगी. संस्थाएं एक सेंटर में अधिकतम 500 व न्यूनतम 250 युवाओं को ट्रेनिंग दे सकती हैं.
कौशल विकास मिशन निदेशक आंद्रा वामसी की ओर से जारी नियमावली में कहा गया है कि "250 अभ्यर्थियों के ट्रेनिंग सेंटर के लिए 25 लाख की बैंक गारंटी व 500 अभ्यर्थियों के ट्रेनिंग सेंटर चलाने के लिए 50 लाख की बैंक गारंटी देनी होगी. इसके साथ ही विभाग इन कंपनियों के ट्रेनिंग और स्पोर्ट्स के रिजल्ट को देखने के बाद खुद ही इनके अनुबंध को आगे बढ़ा देगा." बीते दिनों ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कौशल विकास मिशन निदेशक आंद्रा वामसी ने बताया था कि अभी लगभग डेढ़ हजार ट्रेनिंग पार्टनर्स के साथ अनुबंध है, लेकिन इनमें लगभग पांच सौ ही सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं. ट्रेनिंग पार्टनर बनने के लिए नियम व शर्तें कठिन होने के कारण नए लोगों को अवसर नहीं मिल पाते थे. अब विचारों से लबरेज नवाचार के हामी स्टार्टअप भी मिशन के साथ ट्रेनिंग पार्टनर बन सकेंगे. इसके लिए नीति तैयार की जा रही है और बहुत जल्द इसे अमल में लाया जाएगा.