लखनऊ : उत्तर प्रदेश में पशुओं में तेजी से लंपी नाम का त्वचा रोग फैल रहा है. इससे बचाव के लिए पशुपालन विभाग की तरफ से पशुओं का वैक्सीनेशन कराया जा रहा है. जैसे ही किसी पशु में इस बीमारी का पता चलता है मौके पर डॉक्टरों की टीम इलाज करने पहुंचती है. खास बात ये है कि इस रोग में जो वैक्सीन ज्यादा असर कारक साबित हो रही है उसे अभी तक लाइसेंस नहीं मिल पाया है. उसके स्थान पर दूसरी वैक्सीन लगाई जा रही है जो उतनी असरकारक नहीं है. अब दूसरे राज्यों की सीमाओं से लगने वाले जिलों में भी वैक्सिनेशन कॉरिडोर तैयार किया जा रहा है.
अब हर रोज लगेंगे तीन लाख टीके, रद्द की गई छुट्टियां : उत्तर प्रदेश के पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने लम्पी रोग प्रभावित जिलों में पशुओं के बचाव के लिए संचालित टीकाकरण अभियान की गहन समीक्षा की. उन्होंने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिये कि टीकाकरण और उपचार के अभाव में गोवंश हानि न होने पाए. वैक्सीनेशन कार्य में तेजी लाते हुए हर रोज तीन लाख टीकाकरण का कार्य किया जाए. पूर्वांचल क्षेत्र में प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीनेशन कार्य मेें तेजी लाई जाए. उन्होंने निर्देश दिये कि प्रभावित मंडलों के अधिकारियों और कर्मचारियों की छुट्टियां निरस्त की जाएं, स्थिति सामान्य होने तक पशु मेलों का आयोजन स्थगित रखा जाए. पशु परिवहन पर रोक लगाई जाए.
उत्तर प्रदेश के पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह ने गोवंशीय पशुओं में फैली लम्पी स्किन डिजीज (एलएसडी) के प्रभावित नियंत्रण के लिए गठित की गई टीम-09 की बैठक में रोग प्रकोप के नियंत्रण और बचाव के लिए कार्रवाई की समीक्षा भी की है. उन्होंने कहा कि पूर्वांचल के साथ ही पश्चिमांचल क्षेत्रों में लम्पी रोग के नियंत्रण और बचाव के लिए व्यापक व्यवस्थायें की जाएं और किसी भी दशा में लम्पी रोग का प्रसार अन्य क्षेत्रों में न होने पाए. जिलों में वैक्सीन की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जाये. बताया गया कि वर्तमान में 36 जनपद लम्पी रोग से प्रभावित हैं, जिसमें प्रभावित गोवंश 5,532 है और 49 गोवंश की मृत्यु हुई है. अब तक 3,391 गोवंश उपचार पश्चात स्वस्थ हुए है. प्रभावित क्षेत्रों में 22,77,500 टीकाकरण किया गया है. अब तक 88,46,000 वैक्सीन प्राप्त की जा चुकी है. लम्पी प्रभावित जनपदों में वैक्सीनेशन के लिए 988 टीमें कार्य कर रही हैं. लगभग 2.11 लाख टीकाकरण प्रतिदिन किया जा रहा है. दो हजार टीमें गठित कर अगले दो दिन में टीकाकरण की गति बढ़ाई जाएगी.
नेपाल से एमपी सीमा तक वैक्सिनेशन कॉरिडोर : पूर्वी उत्तर प्रदेश से पश्चिमी उत्तर प्रदेश की तरफ बीमारी के प्रसार को रोकने के उद्देश्य से नेपाल सीमा से मध्य प्रदेश की सीमा ( पीलीभीत, शाहजहांपुर, फर्रूखाबाद, मैनपुरी, इटावा) तक 10 किलोमीटर की परिधि में बेल्ट वैक्सीनेशन 14 सितम्बर से 20 सितम्बर तक कुल 23 विकास खण्डों में टीकाकरण एक सप्ताह में पूरा कराया जायेगा. पशुधन मंत्री ने वैक्सीनेशन कार्य, गोआश्रय स्थलों और गोसंरक्षण केन्द्रों के सैनीटाइजेशन और स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने, पशुपालकों, कृषको और आमजनता को जागरूक करने के लिए लम्पी रोग के बचाव के लिए सार्वजनिक स्थलों पर ’’क्या करें, क्या न करें’’ के पोस्टर, बैनर, होर्डिंग एवं वालराइटिंग करवाकर व्यापक प्रचार-प्रसार सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिये हैं.
अपर मुख्य सचिव, पशुधन एवं दुग्ध विकास डा. रजनीश दुबे ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि प्रभावित क्षेत्रों में वैक्सीन की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जाए. इसके साथ पश्चिमी और मध्य उत्तर प्रदेश के लम्पी स्किन डिजीज असंक्रमित जनपदों में भी टीकाकरण की गति बढ़ाई जाए. उन्होंने निर्देश दिये कि मुख्यालय पर स्थापित डिजीज कन्ट्रोल रूम पर प्राप्त शिकायतों आदि का नियमित रूप से अनुश्रवण एवं समीक्षा की जाए. जिला स्तरीय कॉलसेंटर यथाशीघ्र क्रियाशील कराये जाए जिससे तत्काल प्राप्त सूचना के आधार पर प्रभावित गोवंश का उपचार किया जा सके.
अपर निदेशक एमआई खान ने बताया कि 'लंपी रोग में अभी गोट पॉक्स वैक्सीन लगाई जा रही है, जबकि लंपी प्रो बैक अंडर ट्रायल है. मुख्यमंत्री की गौशाला में इस वैक्सीन का ट्रायल किया गया जो काफी असरकारक साबित हुआ इसके अलावा गोरखपुर में भी पशुओं पर इसका परीक्षण सफल रहा है हालांकि अभी इस वैक्सीन को लाइसेंस नहीं मिला है जिससे पशुओं पर इसका इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है.'
लखनऊ मंडल में 408 केस : बात अगर लखनऊ मंडल की करें तो यहां पर रायबरेली जिले में बड़ी संख्या में पशु इस रोग का शिकार हो रहे हैं. लखनऊ मंडल में अभी तक 408 पशुओं में लंपी रोग पाया गया है. इनमें सबसे ज्यादा 304 मामले रायबरेली में ही पाए गए हैं लखनऊ की बात करें तो 79 मामले सामने आए हैं राहत की बात है कि अभी तक लखनऊ मंडल के छह जिलों में इस रोग से किसी पशु की मौत नहीं हुई है.