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लखनऊः नींद से होने वाली दुर्घटनाओं पर रोक लगाएगी सिक्स सेंसर डिवाइस

यमुना एक्सप्रेसवे पर ड्राइवर के झपकी लेने से हुई दुर्घटना के बाद परिवहन विभाग ने बसों में सिक्स सेंसर डिवाइस लगाने की पहल की है. इस डिवाइस से ड्राइवर के नींद में जाने पर अलार्म बजने लगेगा, जिससे एक्सीडेंट की घटनाओं में काफी कमी आएगी.

बसों में लगाया जा रहा है,सिक्स सेंसर डिवाइस
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Published : Jul 12, 2019, 4:04 AM IST

लखनऊः नींद से होने वाली दुर्घटनाओं पर बसों में लगी सिक्स सेंसर डिवाइस नियंत्रण करेगी. इससे ड्राइवरों के नींद से होने वाला एक्सीडेंट लगभग शून्य हो जाएगा. अवध डिपो की चार जनरथ बसों में ट्रायल सफल होते ही सभी बसों में यह डिवाइस लगाई जाएगी.

बसों में लगाया जा रहा सिक्स सेंसर डिवाइस.

क्या है सिक्स सेंसर डिवाइस-

  • परिवहन निगम ने सड़क दुर्घटनाओं पर रोक लगाने के लिए जनरथ बसों में एक सिक्स सेंसर डिवाइस लगाई है.
  • अवध डिपो की चार जनरथ बसों में ये डिवाइस लगाई गई हैं.
  • ये बसें रामनगर, इलाहाबाद और गोरखपुर रूट पर संचालित हो रही हैं.
  • इसका समय रात 12 बजे से सुबह 6 बजे तक सेट किया गया है.

इस तरह काम करेगा सिक्स सेंसर डिवाइस-

  • ड्राइवर की स्टीयरिंग के पास एक सेंसर लगाया गया है.
  • लगातार एक मिनट से अधिक चालक का हाथ या उंगलियां सेंसर को टच नही करती तो एक्सीलरेटर पेडल फ्री हो जाता है.
  • एक्सीलेटर पेडल फ्री होने पर अलर्ट जनरेट हो जाता है.
  • अलर्ट की संख्या यह बताती है कि चालक कितनी देर तक इनएक्टिव रहा.
  • चालक के सोने का आभास होने पर एक्सीलरेटर पेडल फ्री हो जाता है
  • सेंसर से स्लीप अलार्म बजता है और ड्राइवर जाग जाता है.
  • वाहन के बीच दूरी कम होने से अगर दुर्घटना के चांस बढ़ते हैं तो अलर्ट जारी हो जाता है.
  • इसके अलावा एक महत्वपूर्ण ब्रेक अलर्ट भी है.
  • खतरनाक ओवर टेक पर ब्रेक लग जाता है और अलर्ट जारी होता है.
  • सामने चल रहे वाहन के काफी नजदीक पहुंचने पर ब्रेक अलर्ट ऑटोमेटिक लग जाता है.
  • ड्राइवर की स्टीयरिंग के पास डिवाइस लगी है जिसमें लाल, पीली और हरी बत्ती है.
  • हरी बत्ती जलने पर सब कुछ सही दर्शाता है.
  • पीली बत्ती जलना खतरे को दर्शाता है.
  • लाल बत्ती जलने पर अलर्ट होता है.
  • सेंसर पर उंगली न टच होने पर बस की स्पीड कम हो जाती है और अलार्म बज जाता है.
  • अधिकारियों के मुताबिक ट्रायल में सामने आ रहा है कि यह डिवाइस पूरी तरह से सफल है.

अवध डिपो की बसों में सिक्स सेंस डिवाइस लगाई गई है. पहले पिंक बसों में इसका ट्रायल किया गया है, जो सफल रहा है. रात 12 बजे से 6 बजे तक डिवाइस में टाइमिंग सेट की गई है क्योंकि इसी समय नींद आती है. ड्राइवर की स्टीयरिंग के पास सेंसर लगा हुआ है. जैसे ही ड्राइवर की स्टीयरिंग पर पकड़ कम होती है. यह स्पीड रिड्यूस करने लगता है. इसका जो फीडबैक आया है, वह सफल रहा है.

-अंबरीन अख्तर, एआरएम, अवध डिपो

लखनऊः नींद से होने वाली दुर्घटनाओं पर बसों में लगी सिक्स सेंसर डिवाइस नियंत्रण करेगी. इससे ड्राइवरों के नींद से होने वाला एक्सीडेंट लगभग शून्य हो जाएगा. अवध डिपो की चार जनरथ बसों में ट्रायल सफल होते ही सभी बसों में यह डिवाइस लगाई जाएगी.

बसों में लगाया जा रहा सिक्स सेंसर डिवाइस.

क्या है सिक्स सेंसर डिवाइस-

  • परिवहन निगम ने सड़क दुर्घटनाओं पर रोक लगाने के लिए जनरथ बसों में एक सिक्स सेंसर डिवाइस लगाई है.
  • अवध डिपो की चार जनरथ बसों में ये डिवाइस लगाई गई हैं.
  • ये बसें रामनगर, इलाहाबाद और गोरखपुर रूट पर संचालित हो रही हैं.
  • इसका समय रात 12 बजे से सुबह 6 बजे तक सेट किया गया है.

इस तरह काम करेगा सिक्स सेंसर डिवाइस-

  • ड्राइवर की स्टीयरिंग के पास एक सेंसर लगाया गया है.
  • लगातार एक मिनट से अधिक चालक का हाथ या उंगलियां सेंसर को टच नही करती तो एक्सीलरेटर पेडल फ्री हो जाता है.
  • एक्सीलेटर पेडल फ्री होने पर अलर्ट जनरेट हो जाता है.
  • अलर्ट की संख्या यह बताती है कि चालक कितनी देर तक इनएक्टिव रहा.
  • चालक के सोने का आभास होने पर एक्सीलरेटर पेडल फ्री हो जाता है
  • सेंसर से स्लीप अलार्म बजता है और ड्राइवर जाग जाता है.
  • वाहन के बीच दूरी कम होने से अगर दुर्घटना के चांस बढ़ते हैं तो अलर्ट जारी हो जाता है.
  • इसके अलावा एक महत्वपूर्ण ब्रेक अलर्ट भी है.
  • खतरनाक ओवर टेक पर ब्रेक लग जाता है और अलर्ट जारी होता है.
  • सामने चल रहे वाहन के काफी नजदीक पहुंचने पर ब्रेक अलर्ट ऑटोमेटिक लग जाता है.
  • ड्राइवर की स्टीयरिंग के पास डिवाइस लगी है जिसमें लाल, पीली और हरी बत्ती है.
  • हरी बत्ती जलने पर सब कुछ सही दर्शाता है.
  • पीली बत्ती जलना खतरे को दर्शाता है.
  • लाल बत्ती जलने पर अलर्ट होता है.
  • सेंसर पर उंगली न टच होने पर बस की स्पीड कम हो जाती है और अलार्म बज जाता है.
  • अधिकारियों के मुताबिक ट्रायल में सामने आ रहा है कि यह डिवाइस पूरी तरह से सफल है.

अवध डिपो की बसों में सिक्स सेंस डिवाइस लगाई गई है. पहले पिंक बसों में इसका ट्रायल किया गया है, जो सफल रहा है. रात 12 बजे से 6 बजे तक डिवाइस में टाइमिंग सेट की गई है क्योंकि इसी समय नींद आती है. ड्राइवर की स्टीयरिंग के पास सेंसर लगा हुआ है. जैसे ही ड्राइवर की स्टीयरिंग पर पकड़ कम होती है. यह स्पीड रिड्यूस करने लगता है. इसका जो फीडबैक आया है, वह सफल रहा है.

-अंबरीन अख्तर, एआरएम, अवध डिपो

Intro:नींद से होने वाली दुर्घटनाओं पर रोक लगाएगी सिक्स सेंसर डिवाइस, डिवाइस का बसों में ट्रायल शुरू

लखनऊ। नींद से होने वाली दुर्घटनाओं पर बसों में लगी एक डिवाइस नियंत्रण स्थापित करेगी। इस डिवाइस से बस का एक्सीडेंट लगभग शून्य हो जाएगा। अवध डिपो की चार जनरथ बसों में यह डिवाइस लगाकर ट्रायल किया जा रहा है। इससे पहले पिंक बसों में इस डिवाइस का ट्रायल सक्सेस हो चुका है। जनरथ बसों में ट्रायल सफल होता है तो सभी बसों में यह डिवाइस लगाई जाएगी, जिससे नींद से होने वाले बस हादसों पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी। डिवाइस की खासियत यही है कि जैसे ही ड्राइवर स्लीप मोड में जाएगा वैसे ही स्लीप मोड अलर्ट हो जाएगा और अलार्म बजने लगेगा। इससे ड्राइवर अलर्ट हो जाएगा और बस का एक्सीडेंट होने से बच जाएगा।




Body:हाल ही में यमुना एक्सप्रेस वे पर ड्राइवर की नींद की झपकी के चलते हुई बड़ी दुर्घटना में 29 लोगों की मौत और आज बुलंदशहर में नींद की झपकी के बाद बसों के आपसी टक्कर में 3 की मौत के बाद परिवहन निगम ने इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए जनरथ बसों में एक सिक्स सेंसर डिवाइस लगाई है। अवध डिपो की चार जनरथ बसों में ये डिवाइस लगाई गई है। ये बसें रामनगर, इलाहाबाद और गोरखपुर रूट पर संचालित हो रही हैं। रात में ड्राइवरों के नींद की झपकी आ जाने से होने वाली दुर्घटनाओं से बचने के लिए ही यह डिवाइस तैयार की गई है। इसका समय रात 11 बजे से सुबह 6 बजे तक सेट किया गया है क्योंकि इसी बीच ड्राइवर को नींद आती है। ड्राइवर की स्टीयरिंग के पास एक सेंसर लगाया गया है। अगर लगातार 1 मिनट से अधिक चालक का हाथ या उंगलियां इस सेंसर को टच नहीं करती है तो यह मानते हुए कि चालक सो रहा है एक्सीलरेटर पेडल फ्री हो जाता है और अलर्ट जनरेट होता है। अलर्ट की संख्या यह बताती है कि चालक कितनी देर तक इनएक्टिव रहा। सेंसर से स्लीप अलार्म बजता है और ड्राइवर जाग जाता है। इसके अलावा डिवाइस किए भी खासियत है कि सामने चल रहा है वाहन के बीच दूरी कम होने से अगर दुर्घटना के चांस बढ़ते हैं तो टेल गेटिंग अलर्ट जारी हो जाता है। इसके अलावा एक महत्वपूर्ण अलर्ट ब्रेक अलर्ट भी है। खतरनाक ओवर टेक पर ब्रेक लग जाता है और अलर्ट जारी होता है। सामने चल रहे वाहन के काफी नजदीक पहुंचने पर ब्रेक अलर्ट ऑटोमेटिक लग जाता है। ड्राइवर की स्टीयरिंग के पास डिवाइस लगी है जिसमें लाल, पीली और हरी बत्ती है। हरी बत्ती जलने पर सब कुछ सही दर्शाता है, वहीं जब पीली बत्ती जलती है तो कुछ ना कुछ खतरा दर्शाता है। लाल बत्ती जलने पर अलर्ट होता है। सेंसर पर उंगली न टच होने पर बस की स्पीड कम हो जाती है और अलार्म बज जाता है। अधिकारियों के मुताबिक ट्रायल में सामने आ रहा है कि यह डिवाइस पूरी तरह से सफल है।

बाइट: अंबरीन अख्तर: एआरएम, अवध डिपो

अवध डिपो की बसों में सिक्स सेंस डिवाइस लगाई गई है। पहले पिंक बसों में इसका ट्रायल किया गया है जो सक्सेस रहा है। रात 12 बजे से 6 बजे तक डिवाइस में टाइमिंग सेट की गई है क्योंकि इसी समय नींद आती है। ड्राइवर की स्टीयरिंग के पास सेंसर लगा हुआ है। जैसे ही ड्राइवर की स्टीयरिंग पर पकड़ कम होती है यह स्पीड रिड्यूस करने लगता है। इसका जो फीडबैक आया है, वह सफल रहा है।




Conclusion:निश्चित तौर पर रोडवेज की बसों में अगर यह सिक्स सेंस डिवाइस लगा दी जाती है तो नींद से होने वाली दुर्घटनाओं पर काफी हद तक लगाम लगेगी और बस हादसे नहीं होने से सैकड़ों यात्रियों की जान बचेगी। यमुना एक्सप्रेस-वे जैसी दर्दनाक दुर्घटनाएं भी नहीं होंगी।
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