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भाई दूज पर बहनों ने की भाइयों की लंबी उम्र की कामना - लखनऊ में मनाया गया भाई दूज का त्योहार

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भाई दूज के पर्व पर बहनों ने भाइयों के लंबी उम्र की कामना की. साथ ही कलम दवात की भी पूजा की गई.

भाई दूज पर बहनों ने की भाइयों के लंबी उम्र की कामना.
भाई दूज पर बहनों ने की भाइयों के लंबी उम्र की कामना.
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Published : Nov 16, 2020, 5:41 PM IST

लखनऊ: राजधानी लखनऊ में सोमवार को भाई दूज का पर्व धूमधाम के मनाया गया. बहनों ने भाइयों के लंबी उम्र की कामना की. इस दौरान कलम दवात की भी पूजा की गई. वहीं कायस्थ समाज के लोगों ने भगवान चित्रगुप्त की पूजा की.

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर देवताओं के लेखपाल भगवान चित्रगुप्त की पूजा होती है. आज ही के दिन यम द्वितीया ( भाई दूज ) का पर्व भी मनाया जाता है. चित्रगुप्त पूजा के दिन कलम दवात की पूजा करने का विधान है. ऐसी मान्यता है कि देवताओं के लेखपाल चित्रगुप्त महाराज मनुष्यों के पाप- पुण्य का लेखा-जोखा रखते हैं. कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर नई कलम की पूजा चित्रगुप्त के प्रतिरूप के तौर पर होती है. कायस्थ या व्यापारी वर्ग चित्रगुप्त पूजा के दिन ही नव वर्ष की शुरुआत मानते हैं.

भाई दूज पर बहनों ने की भाइयों के लंबी उम्र की कामना.

मान्यता है कि कार्तिक शुक्ल द्वितीया पक्ष को पूर्व काल में यमुना ने यमराज को अपने घर पर सत्कार पूर्वक भोजन कराया था. उस दिन नारकीय जीवों को यातना से छुटकारा मिला और पाप मुक्त होकर सब बंधनों से छुटकारा पा गए. सबके सब यहां अपनी इच्छा के अनुसार संतोषपूर्वक रहें. सबने मिलकर एक महान उत्सव मनाया, जो यमलोक के राज्य को सुख पहुंचाने वाला था. इसलिए इस तिथि को यम द्वितीया कहा जाता है. मान्यता है कि जिस तिथि को यमुना ने यम को अपने घर भोजन कराया था, उस तिथि के दिन, जो मनुष्य अपनी बहन के हाथ का उत्तम भोजन करता है. उसे भोजन समेत धन की प्राप्ति भी होती रहती है.

लखनऊ: राजधानी लखनऊ में सोमवार को भाई दूज का पर्व धूमधाम के मनाया गया. बहनों ने भाइयों के लंबी उम्र की कामना की. इस दौरान कलम दवात की भी पूजा की गई. वहीं कायस्थ समाज के लोगों ने भगवान चित्रगुप्त की पूजा की.

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर देवताओं के लेखपाल भगवान चित्रगुप्त की पूजा होती है. आज ही के दिन यम द्वितीया ( भाई दूज ) का पर्व भी मनाया जाता है. चित्रगुप्त पूजा के दिन कलम दवात की पूजा करने का विधान है. ऐसी मान्यता है कि देवताओं के लेखपाल चित्रगुप्त महाराज मनुष्यों के पाप- पुण्य का लेखा-जोखा रखते हैं. कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर नई कलम की पूजा चित्रगुप्त के प्रतिरूप के तौर पर होती है. कायस्थ या व्यापारी वर्ग चित्रगुप्त पूजा के दिन ही नव वर्ष की शुरुआत मानते हैं.

भाई दूज पर बहनों ने की भाइयों के लंबी उम्र की कामना.

मान्यता है कि कार्तिक शुक्ल द्वितीया पक्ष को पूर्व काल में यमुना ने यमराज को अपने घर पर सत्कार पूर्वक भोजन कराया था. उस दिन नारकीय जीवों को यातना से छुटकारा मिला और पाप मुक्त होकर सब बंधनों से छुटकारा पा गए. सबके सब यहां अपनी इच्छा के अनुसार संतोषपूर्वक रहें. सबने मिलकर एक महान उत्सव मनाया, जो यमलोक के राज्य को सुख पहुंचाने वाला था. इसलिए इस तिथि को यम द्वितीया कहा जाता है. मान्यता है कि जिस तिथि को यमुना ने यम को अपने घर भोजन कराया था, उस तिथि के दिन, जो मनुष्य अपनी बहन के हाथ का उत्तम भोजन करता है. उसे भोजन समेत धन की प्राप्ति भी होती रहती है.

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