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लखनऊ विश्वविद्यालय में शिक्षकों का अभाव, लगभग 30 फीसदी सीटें खाली

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Published : Jul 3, 2019, 5:03 PM IST

लखनऊ विश्वविद्यालय में शिक्षकों का अभाव है. प्रशासन ने बताया कि यह कमी आने वाले समय में दूर की जाएगी. संविदा पर शिक्षकों की सेवाएं ली जा रही हैं.

लखनऊ विश्वविद्यालय में शिक्षकों का अभाव.

लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय में शिक्षकों की करीब 30 फीसद भारी कमी है. विश्वविद्यालय प्रशासन खुद यह स्वीकार कर रहा है कि शिक्षकों की कमी है. प्रशासन ने बताया कि यह कमी आने वाले समय में दूर की जाएगी. तमाम तरह के नियमों के चलते नियुक्ति प्रक्रिया समय से पूरी नहीं हो पाई है.

लखनऊ विश्वविद्यालय में शिक्षकों का अभाव.

लखनऊ विश्वविद्यालय में शिक्षकों की भारी कमी-

  • विश्वविद्यालय में तमाम ऐसे विभाग हैं जहां पर शिक्षकों की कमी है.
  • प्रशासन यहां पर छात्रों को शिक्षा देने के लिए संविदा पर शिक्षकों की सेवाएं ले रहा है.
  • अक्सर विषय विशेषज्ञ न होने के कारण छात्रों को बेहतर शिक्षा नहीं मिल पाती.
  • विश्वविद्यालय ही नहीं बल्कि पूरे देश में स्टाफ की कमी है.
  • करीब आठ हजार से ऊपर विश्वविद्यालयों में अध्यापकों की कमी है.

लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय में शिक्षकों की करीब 30 फीसद भारी कमी है. विश्वविद्यालय प्रशासन खुद यह स्वीकार कर रहा है कि शिक्षकों की कमी है. प्रशासन ने बताया कि यह कमी आने वाले समय में दूर की जाएगी. तमाम तरह के नियमों के चलते नियुक्ति प्रक्रिया समय से पूरी नहीं हो पाई है.

लखनऊ विश्वविद्यालय में शिक्षकों का अभाव.

लखनऊ विश्वविद्यालय में शिक्षकों की भारी कमी-

  • विश्वविद्यालय में तमाम ऐसे विभाग हैं जहां पर शिक्षकों की कमी है.
  • प्रशासन यहां पर छात्रों को शिक्षा देने के लिए संविदा पर शिक्षकों की सेवाएं ले रहा है.
  • अक्सर विषय विशेषज्ञ न होने के कारण छात्रों को बेहतर शिक्षा नहीं मिल पाती.
  • विश्वविद्यालय ही नहीं बल्कि पूरे देश में स्टाफ की कमी है.
  • करीब आठ हजार से ऊपर विश्वविद्यालयों में अध्यापकों की कमी है.
Intro:एंकर
लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय में शिक्षकों की करीब 30 फीसद भारी कमी है ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि छात्रों को गुणवत्ता परक शिक्षा कैसे मिलेगी विश्वविद्यालय प्रशासन खुद यह स्वीकार कर रहा है कि शिक्षकों की कमी है लेकिन यह कमी आने वाले समय में दूर की जाएगी तमाम तरह के नियमों के चलते नियुक्ति प्रक्रिया समय से पूरी नहीं हो पाई लेकिन जो सबसे बड़ा सवाल है वह यह है कि 30 फीसद से अधिक जब विश्वविद्यालय में शिक्षक और प्रोफ़ेसर नहीं है तो छात्रों को गुणवत्ता परक शिक्षा कैसे मिल रही है ऐसे में छात्रों को भी अक्सर क्लास रूम में इंतजार तक भी करना पड़ता है।



Body:वीओ
लखनऊ विश्वविद्यालय में तमाम ऐसे विभाग है जहां पर शिक्षकों की कमी है और विश्वविद्यालय प्रशासन यहां पर छात्रों को शिक्षा देने के लिए संविदा पर शिक्षकों की सेवाएं ले रहा है लेकिन कई बार अक्सर यह होता है कि विषय विशेषज्ञ ना होने के कारण छात्रों को बेहतर शिक्षा नहीं मिल पाती जो लोग संविदा पर शिक्षा दे रहे हैं वह भी पूरी तरह से परिपक्व नहीं रहते ऐसे में छात्रों को शिक्षकों की भारी कमी का खामियाजा भी भुगतना पड़ता है।

बाईट
डॉ पीएम त्रिपाठी, प्रोफेसर
लखनऊ विश्वविद्यालय ही नहीं यह पूरे देश की समस्या है स्टाफ की कमी करीब आठ हजार से ऊपर विश्वविद्यालयों में अध्यापकों की कमी है और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की अपेक्षा की जाती है उसमें सकारात्मक कदम उठाने की आवश्यकता है गुणवत्ता परक शिक्षा तब तक नहीं दी जा सकती जब तक स्टाफ की कमी दूर नहीं की जा सकती यह उसी प्रकार है जैसे कोई स्वप्न देखने की बात।

वीओ
लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्रों को पढ़ाने के लिए स्टाफ एक बड़ी समस्या है विश्वविद्यालय में इस कमी से छात्रों को काफी परेशान होना पड़ता है और इस तरफ विश्वविद्यालय प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा उत्तर प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद उच्च शिक्षा विभाग में रिक्तियों की बात कही गई थी लेकिन सरकार विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में खाली पड़े पदों पर नियुक्ति नहीं कर पाई इससे गुणवत्ता परक शिक्षा देने का सपना साकार नहीं हो पा रहा।

बाईट, नेहा जायसवाल स्टूडेंट
हर एक संस्थान में सब्जेक्ट में प्रोफेशनल टीचर्स होते हैं अगर उस ढंग से पढ़ाया जाए तो बेहतर शिक्षा मिल पाती है हम लोगों को भी अगर विषय विशेषज्ञों ने पढ़ाया होता तो और अच्छी शिक्षा मिलती विषय विशेषज्ञ के आधार पर नियुक्ति होनी चाहिए यह सरकार को चिंता करनी चाहिए।
वीओ
लखनऊ विश्वविद्यालय में तमाम ऐसे विभाग और विषय है जहां पर शिक्षकों की कमी है ऐसे में विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों को बेहतर शिक्षा नहीं दे पा रहा तमाम विषयों पर संविदा पर शिक्षक रखे गए हैं जिनका अनुभव काफी कम है ऐसे में यह लोग इस प्रकार की गुणवत्ता परक शिक्षा दे रहे होंगे यह सबसे बड़ा सवाल बना हुआ है।
बाईट
प्रोफेसर एसपी सिंह, कुलपति लखनऊ विश्वविद्यालय
स्टाफ की जो स्वीकृति बहुत पहले हुई थी उस मानक के अनुरूप आज की तारीख में काफी अंतर आया है कई विषयों में छात्रों की संख्या बढ़ी है तो कई जगहों पर रिक्त हुई है पूर्व के अनुसार पद सृजित हुए थे और छात्रों की संख्या के आधार पर उनका पुनरीक्षण नहीं हुआ जो मानक पहले थे उसके अनुसार आज से तुलना करने में करीब 20 से 25 फीसद पद रिक्त हैं नियमों के परिवर्तन के कारण नियुक्त प्रक्रिया भी समय पर पूरी नहीं हो सकी इस समस्या से लखनऊ विश्वविद्यालय ही नहीं सभी विश्वविद्यालय इसका दंश झेल रहे हैं लखनऊ विश्वविद्यालय में करीब डेढ़ सौ से अधिक पद रिक्त हैं आने वाले समय में इन्हें भरने की प्रक्रिया की जाएगी।



Conclusion:कृपया इसका ग्राफिक्स बना सकते हैं
पदों की स्थिति
लखनऊ विश्वविद्यालय में 59 पद प्रोफेसर के स्वीकृत हैं जिनमें से 31पद खाली हैं एसोसिएट प्रोफेसर में भी 135 पदों के सापेक्ष करीब 42 पद रिक्त चल रहे हैं। असिस्टेंट प्रोफेसर में 332 की तुलना में 59 पद रिक्त हैं।

लखनऊ विश्वविद्यालय में रिक्त पदों को भरने के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ की तरफ से लगातार मांग होती रही है लेकिन इस तरफ सरकारों ने ध्यान नहीं दिया कई बार विज्ञापन निकले लेकिन उन पर नियुक्ति प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाई और स्टाफ की कमी बढ़ती चली गई।

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